एसिडिटी से हों परेशान तो घर बैठे करें: ये घरेलु उपाय, भाग जाएगी पेट की समस्या...


स्टोरी हाइलाइट्स

If you are troubled by acidity, then sit at home: this home remedy, will run away from stomach problem ...

एसिडिटी से परेशान रोगी में रहते है ये सामान्य लक्षण भोजन का ठीक से न पचना, थकावट, उबकाई, पेट का भारी रहना, डकारें आना, छाती, गले और पेट में जलन होना, भोजन में अरूचि, उल्टी होने पर हरा, पीला, नीला या लाल रंग का पित्त निकल जाना आदि रोग के प्रमुख लक्षण हैं। इस प्रकार के रोगों से परेशान व्यक्ति अपने आप को काफ़ी ग्रषित महसूस करता है, और इसके उपचार के लिए काफ़ी पैसे भी खर्च करता है| जानिये कुछ आसान से घरेलू उपाय :    सामान्य घरेलू उपाय: पीपल के फलों को सुखाकर उसका चूर्ण बनाना चाहिए। इसमें तीन चम्मच चूर्ण फांककर ऊपर से ठंडा पानी पीना चाहिए। 2.  गुलाब जल में चन्दन का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करनी चाहिए | 3.  जीरा व शक्कर दोनों को मिलाकर चूर्ण बनाये उसे आधा चम्मच दूध के साथ सेवन करे | 4.  चने का शाक भोजन के साथ सेवन करने से गले की जलन दूर हों जाती है| 5.  नींबू के रस में आधा चम्मच भुना जीरा तथा एक चुटकी सेंधा नमक मिलाकर सेवन करना चाहिए। 6.  करौंदे का रस आधा चम्मच, पिसी हुई इलायची के दाने दो चुटकी तथा एक चम्मच शहद; तीनों को मिलाकर सेवन करना चाहिए। 7.  नारियल का पानी पीने से एसिडिटी दूर होती है। 8.  एक कप गुलाब जल, दो चम्मच चूने का पानी, एक चम्मच नींबू का रस, तीनों को मिलाकर तीन खुराक करें और सुबह-दोपहर व             शाम के समय पीना चाहिए। 9.  काले चनों को काली मिर्च की चटनी के साथ खाना चाहिए। 10. आँवले का रस एक चम्मच, भुने हुए जीरे का चूर्ण, मिश्री तथा आधा चम्मच धनिये का चूर्ण मिलाकर लेने से अम्लपित्त कुछ ही दिनों          में ठीक हो जाता है। 11.  एक गिलास पानी में आधे नींबू का रस निचोड़कर पीना चाहिए।  12.  जीरे का चूर्ण आधा तोला, गुड़ के साथ मिलाकर खाना चाहिए। 13.  प्याज के रस में नींबू निचोड़कर सेवन करना चाहिए। इससे पेट, छाती तथा पेशाब की जलन दूर होती है। 14.  सुबह के समय खाली पेट मूली में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करना चाहिए। लेकिन यदि खाँसी की शिकायत हो, तो मूली का               सेवन न करें, किसी अन्य दवा का प्रयोग करना चाहिए। 15.  बथुए के बीजों का चूर्ण बनाकर उसे शहद के साथ सेवन करना चाहिए। इससे अमाशय में शोधन कर शरीर से पित्त को बाहर               निकाल देता है। 16.  गले व छाती में जलन, बार-बार डकारें आना, बेचैनी, इन सब रोग व लक्षणों को देखते ही पालक और पाँच परवल, दोनों को एक          साथ उबालें फिर उसे उबले जल में ही ठंडा करके मसल लें। इसमें थोड़ा-सा हरा धनिया और नमक मिलाकर इसका जूस बना ले          और इसे सुबह-शाम पीना चाहिए। 17. पेट में तेजाबी तत्त्व बढ़ने पर पेट, छाती आँखों में जलन, आलस्य, चिड़चिड़ापन, शुष्कता, सांस का फूलना आदि हो जाए, तो सोंठ 1        चम्मच, सूखा धनिया 2 चम्मच, जीरा आधा चम्मच और चार लौंग; सबको कूट-पीसकर चूर्ण बनाना चाहिए। इसमें थोड़ी-सी मिश्री            मिलाकर रोगी को तीन बार देना चाहिए। 18.  एक चम्मच अदरक का रस शहद में मिलाकर सेवन करना चाहिए। 19.  पुदीने की चटनी बनाकर पानी में घोल लें। एक कप पानी में थोड़ी-सी शक्कर डालकर इसमें चटनी घोलकर पी जाय। यह पित्त को        शान्त करने के लिये सर्वोत्तम दवा है। 20.  अदरक तथा धनिया समान मात्रा में लेकर पानी के साथ सेवन करना चाहिए। 21.  एक चम्मच जामुन का रस, थोड़े-से गुड़ के साथ सेवन करना चाहिए | 22.  एक कप गुलाब जल, दो चम्मच चूने का पानी, दो चम्मच संतरे का रस। इन सबको मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करना चाहिए। 23.  यवक्षार को घी या शहद के साथ सुबह-शाम चाटना चाहिए। 24.  हरे धनिये को पीसकर पानी में घोल लें। उसमें थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर इसके सेवन से पित्त शान्त होती है। 25.  आँवले के चूर्ण को दही या छाछ के साथ सेवन करना चाहिए। 26.  फीका व ठंडा दूध २-२ घूंट दिन में कई बार लें। 27.  शहद में दो चुटकी हरड़ का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए। 28.  खट्टी डकारें आती हों तो २ चम्मच मूली के रस में थोड़ी-सी मिश्री       मिलाकर सेवन करना चाहिए। 29. भोजन के बाद लौंग चूसना चाहिए। लौंग अम्ल-पित्त को नष्ट       करती है।