भोपाल: राज्य सरकार अब प्रदेश के 6 हजार 520 वनखण्डों में शामिल 31 हजार 707 हैक्टेयर निजी भूमि को बाहर करेगी। यह निर्णय हाल ही में वन मंत्री रामनिवास रावत द्वारा ली गई विभागीय समीक्षा बैठक में लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि वनखण्डों में लगभग 30 लाख 5 हजार हैक्टेयर भूमि शामिल है, परन्तु इसमें वनमंडलाधिकारियों ने 31 हजार 707 हैक्टेयर निजी भूमि को शामिल कर लिया है। इस निजी भूमि को वन क्षेत्र से बाहर करने की कार्यवाही वर्ष 1988 से लंबित है। कई बार राज्य विधानसभा में भी इसकी जानकारी आई है।
अब निर्णय लिया गया है कि वन क्षेत्र में शामिल निजी भूमि को बाहर करने के लिये तीन बिन्दुओं पर कार्यवाही की जाये। एक, वन व्यवस्थापन अधिकारी द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 5 से 19 तक की कार्यवाही पूर्ण कर वनखण्डों में शामिल निजी भूमि को पृथक किया जाये। दो, वनखण्डों में शामिल निजी भूमि को स्थिति अनुरुप अधिग्रहित किया जाये। तीन, अधिग्रहण हेतु बजट में प्रावधान किया जाये।
बनी नई कार्ययोजना :
वन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये पौधरोपण हेतु अतिरिक्त संसाधन की कार्ययोजना भी बनाई है। इसमें अंडमान निकोबार प्रशासन से मप्र में वैकल्पिक वृक्षारोपण हेतु प्रस्ताव प्राप्त हुआ है जिसमें मप्र के बिगड़े वनों में 1505 हैक्टेयर में वैकल्पिक वृक्षारोपण किया जायेगा जिसके लिये 66 करोड़ 27 लाख रुपये की राशि अंडमान निकोबार राज्य से मिलेगी। इसी प्रकार, अरुणाचल प्रदेश से लगभग 10 हजार हैक्टेयर भूमि पर वैकल्पिक वृक्षारोपण हेतु राशि मिलना है। कारपोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी एवं कारपोरेट एनवायरमेंट रिस्पांसिबिलिटी के तहत मप्र में 708 हैक्टेयर वन क्षेत्र में पौधरोपण किया जायेगा।