"मन की बात" के 62 एपिसोड भीली बोली में रूपांतरित, केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय तैयार कर रहा एआई बेस्ड ट्रांसलेशन टूल


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स्टोरी हाइलाइट्स

झाबुआ जिले के 80 से अधिक शिक्षक मन की बात और प्रमुख भाषणों का कर रहे हैं भीली बोली में अनुवाद..!!

केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा 'एआई बेस्ड ट्रांसलेशन टूल' तैयार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य जनजातीय बोलियों में द्वि-भाषी शब्दकोश और त्रि-भाषी प्रवीणता मॉड्यूल तैयार कर नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप बहुभाषी शिक्षा (एमएलई) लक्ष्य के तहत कक्षा 1, 2 और 3 के विद्यार्थियों के लिए जनजातीय भाषाओं व बोलियों में प्राइमर तैयार करना है। जनजातीय लोक परम्पराओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न जनजातियों की लोककथाओं और इनका दस्तावेजीकरण करना भी इस नवाचार का प्रमुख लक्ष्य है।

इस दिशा में प्रदेश के झाबुआ जिले में अत्यंत ही सराहनीय कार्य हो रहा है। यहां जिले के 80 से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा विभिन्न प्रमुख गतिविधियों एवं संभाषणों का लगातार भीली बोली में अनुवाद का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में अब तक इन शिक्षक-‍शिक्षिकाओं द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के 62 एपिसोड का भीली बोली में अनुवाद किया जा चुका है। 

इनके द्वारा राष्ट्रपति के पिछले 12 वर्ष के संभाषणों एवं प्रधानमंत्री के गत 10 वर्ष के संभाषणों का अनुवाद किया जा चुका है। इसके अलावा कक्षा 1 से 5 तक की हिंदी विषय की पाठ्य पुस्तकों, कक्षा 3 से 5 तक पर्यावरण विषय की किताबों और आईआईटी, नई दिल्ली से प्राप्त 60 हजार से अधिक वाक्यों का भीली बोली में अनुवाद किया जा चुका है। यह कार्य निरंतर जारी है।

राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस पर अनुवादकों का हुआ सम्मान..

गत 15 नवम्बर को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस, भगवान बिरसा मुंडा जयंती के पावन अवसर पर झाबुआ जिला मुख्यालय में आयोजित जिला स्तरीय मुख्य समारोह में भीली बोली में अनुवाद में संलग्न सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं का सम्मान किया गया। महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया और कलेक्टर झाबुआ नेहा मीना द्वारा भीली बोली में अनुवादकों का आत्मीय सम्मान कर इनकी कार्य की मुक्त कंठ से सराहना की गई।

मंत्री भूरिया ने कहा कि इन अनुवादकों के सहयोग से हमारे प्रमुख दस्तावेज और भाषण अब हमेशा के लिये भीली बोली में उपलब्ध हो गये हैं। हमारे बच्चे और शिक्षक अध्ययन-अध्यापन कार्य में इस स्थानीय बोली में उपलब्ध साहित्य का उपयोग कर बेहतर तरीके से विषय को समझ सकेंगे और आगे बढ़ सकेंगे।