विशेष : भोपाल गैस कांड और कितना अन्याय? कब तक भुगतेंगे लोग, झूठ पर झूठ - अतुल पाठक


स्टोरी हाइलाइट्स

आज भोपाल गैस त्रासदी की बरसी है। 37 साल हो चुके हैं। गैस पीड़ित शहर भर में आयोजन कर रहे हैं। रैली निकाली जा रही है। मशालें जलाई जा रही है। 37 साल से ऐसा ही होता रहा है। भोपाल गैस पीड़ित न्याय की गुहार लगाते हुए देश दुनिया में अब तक लाखों धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। गैस पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भी गैस कांड का दंश झेल रही है। अनेक तरह की बीमारियों का शिकार हो रही है। गैस पीड़ित बस्तियों का भूजल अभी भी प्रदूषित है। यूनियन कार्बाईड घटना की जिम्मेदार थी लेकिन जिम्मेदार लोगों को खुद यहां की सरकार ने प्लेन में बैठाकर देश से बाहर भगाया। डाउ केमिकल, यूनियन कार्बाइड के जिम्मेदारों पर कोई एक्शन नहीं हुआ। अदालतों में केस चलते रहे। आरोपों की एक लंबी फेहरिस्त है। सवालों की झड़ी लगी है। लेकिन जवाब आज तक नहीं मिल सकते हैं। गैस पीड़ितों को जवाब का इंतजार है इलाज रोजगार मुआवजा देने में सरकारें नाकाम रही हैं।

भोपाल गैस कांड को 37 साल बीत चुके हैं। गैस पीड़ित अब भी न्याय के इंतजार में हैं। इस कांड के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन की डेथ 7 साल पहले हो गई। पूरी दुनिया हैरत में है भीषण हादसे का मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन भारत सरकार के संरक्षण में भाग निकला।

उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। उस पर सही ढंग से मुकदमा नहीं चला। 2 और 3 दिसंबर 1984 की रात को भोपाल में यह भीषण हादसा हुआ। जिसे याद करके आज भी दुनिया से सिहर जाती है। इस हादसे ने Bhopal को लाशों से पाट दिया। उस समय यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन वारेन एंडरसन थे।

वह भोपाल आए लेकिन उन्हें सरकार ने सुरक्षित बाहर भेज दिया। मध्य प्रदेश सरकार के दो अधिकारियों ने एंडरसन को विशेष विमान तक खुद अपने सरकारी वाहन से छोड़ा। इस घटना की जांच भी हुई लेकिन जांच से कुछ खास हल नहीं निकला। वारेन एंडरसन सहित यूनियन कार्बाइड के 11 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे चले,फैसला भी आया लेकिन यह सब जमानत पर छूट गए। भीषण गैस त्रासदी के गुनहगार जेल जाएंगे अब शायद मुमकिन नहीं। इस कांड के पीड़ितों ने अमेरिका तक लड़ाई लड़ी लेकिन कोई खास नतीजा नहीं निकला। मुआवजा दिया तो ऊंट के मुंह में जीरे के समान। वारेन एंडरसन को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के कहने पर छोड़ा गया था। अर्जुन सिंह को किस के निर्देश मिले थे यह सहज ही समझा जा सकता है। सरकार मुआवजे पर फोकस करती रही लेकिन असल गुनहगारों को सलाखों के पीछे ले जाने में उसका इंटरेस्ट नहीं रहा। बाद में यूनियन कार्बाइड को डाउ केमिकल्स ने विलय कर दिया गया। 2010 में सुनाए गए आदेश और फैसले के तहत भोपाल सीजीएम कोर्ट ने आठ आरोपियों को सजा सुनाई। लेकिन उन्होंने ऊपरी अदालत में अपील करके जमानत ले ली।

यूनियन कार्बाइड हादसे की 37 वीं बरसी के अवसर पर भोपाल गैस पीड़ितों के बीच काम कर रहे 4 संगठनों के नेताओं ने डाव केमिकल कम्पनी -USA द्वारा गैस पीड़ितों और प्रदूषित भूजल पीड़ितों के साथ किए जा रहे भेदभाव की निंदा की है। डाव कम्पनी के अध्यक्ष(CEO) जिम फिटरलिंग के एक एल जी बी टी + संस्था के सलाहकार होने के बल पर अपने आप को भेदभाव के खिलाफ होने के दावे के खोखलेपन को भोपाल के संगठनों ने तथ्यों से उजागर किया है | 

LGBT+ कार्यकर्ता एवं गैस पीड़ित संजना सिंह कहती हैं "LGBT+ लोगों के खिलाफ भेदभाव से लड़ना, हमें समाज में हर तरह के भेदभाव के खिलाफ लड़ना सिखाता है | 2014 में  सैमलैंगिक के तौर पर सार्वजनिक रूप से सामने आने वाले फिटरलिंग जो भेदभाव के खिलाफ सक्रिय होने का दावा करते हैं और भोपाल गैस पीड़ितों के साथ भेदभाव करने वाली कम्पनी का नेतृत्व करते हैं |

डाव केमिकल का प्रीमियम उत्पाद क्लोरपायरीफॉस को अमरीका में संभावित तंत्रिका तंत्र को क्षति, बुद्धि में कमी, याददाश्त में कमी लाना, अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर और जन्मजात विकृति पैदा करने के कारण इस उत्पाद पर प्रतिबंध है | हालांकि, भारत में डाव केमिकल से जुड़ी कंपनी कॉरटेवा क्लोरपायरीफॉस को ब्रांड नाम डर्सबैन से बेचती है और स्वास्थ्य सम्बन्धी खतरों की वजह से अमरीका में लगे प्रतिबंध का कभी जिक्र भी नहीं करती" |

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की शहजादी बी ने बताया, 2014 में, डाव ने मिशिगन राज्य के फ्लिंट शहर के पेयजल स्त्रोत के दूषित होने के जवाब में जल निस्पंदन (water filtration) प्रणाली लगवाई और 1 लाख डालर से अधिक पैसे भी दान किए | हालांकि, भोपाल में डाव केमिकल इस तथ्य की अनदेखी कर रहा है कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की वजह से प्रदूषित भूजल क्षेत्र में रहने वाली माताओं के दूध में पारा और कैंसर पैदा करने वाले रसायन पाए गए हैं और डाव ने इस जहरीले कचरे की सफाई के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं।

भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा के अनुसार डाव केमिकल अमेरिका की संस्थाओं और अदालतों में बिना कोई सवाल किए अपने आप को प्रस्तुत करता है । 2005 में डाव केमिकल की एक संयुक्त कम्पनी को शर्मन अधिनियम के उल्लंघन में सिंथेटिक रबर की कीमतों को ठीक करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय साजिश में भाग लेने के लिए दोषी ठहराते हुए 84 मिलियन डॉलर का जुर्माना भी अदा करवाया | भारत में डाव केमिकल 6 तामीली नोटिसो को नजरअंदाज करते हुए यह दावा कर रही है कि भारतीय अदालतों का  डी डाव केमिकल कम्पनी- अमरीका (TDCC)  पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है | डाव केमिकल के दोहरे मापदंड उनके संचालन के हर पहलू में स्पष्ट है, उन्होंने कहा 

"अमरीका में डाव कम्पनी के मिडलैंड मिशिगन के अपने मुख्यालय के पास टिट्टाबावसी और सैगिना नदी के मैदानों सहित 171 प्रदूषित स्थलों की सफाई के लिए भुगतान कर रहा है | लेकिन भोपाल में चल रहे प्रदूषण को साफ़ करने के मामले पर डाव का कहना है कि इसकी जिम्मेदारी मध्य प्रदेश सरकार की है", डाव -कार्बाइड के खिलाफ बच्चों की नौशीन खान ने कहा |

सवाल पर सवाल 

देखें वे सवाल जिनके जवाब अनुत्तरित हैं। ये सवाल उन गैस पीड़ित संगठनों के हैं जो 37 साल से गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।

When it has refused to respond to six summons issued by the Bhopal District Court since 2014, why do the central and MP state governments allow the outlaw Dow Chemical to freely do business in India and MP state?

2014 से भोपाल जिला अदालत द्वारा डाव केमिकल कम्पनी को 6 बार हाज़िर होने का आदेश जारी किया गया है और हर बार कम्पनी ने उसे पालन करने से मना किया है | भारतीय अदालत के आदेश का पालन न करने वाली अमरीकी कम्पनी को केंद्र और प्रदेश की सरकारे भारत में व्यापार क्यों करने दे रही हैं ?

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कोरोना की वजह से भोपाल की अन्य आबादी की अपेक्षा गैस पीड़ितों में मृत्युदर 5 गुना से ज्यादा है | यूनियन कार्बाइड व डाव केमिकल से अतिरिक्त मुआवजा लेने के लिए मध्य प्रदेश सरकार इस जानकारी को सुप्रीम कोर्ट में पेश क्यों नहीं कर रही है ?

Covid mortality among gas victims is more than 5 times that of the Bhopal District population, official records show. Why is the MP government not presenting this clear proof of long-term morbidity in the Supreme Court to support its claim for additional compensation from Union Carbide and Dow Chemical?

मुआवजा बढ़ाने की लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर सुधार याचिका की जल्द सुनवाई के लिए केंद्र और मध्य प्रदेश की सरकारों ने  पिछले 11 सालो में एक भी आवेदन अदालत में क्यों पेश नहीं किया है ? 

Why in the last 11 years has the MP government not filed a single application for urgent hearing of the curative petition?

"मध्य प्रदेश सरकार के पास पिछले 10 सालों से 85 करोड़ की राशि होने के बावजूद आज तक वह किसी गैस पीड़ित या उसकी संतान को रोजगार क्यों नहीं दे पाई है ?"

“2010 में भोपाल पर बने मंत्रियों के समूह ने गैस पीड़ितों और उनके बच्चों को रोजगार देने के लिए रियायती लोन के लिए 104 करोड़ रुपए का प्लान पारित किया | 2011 में बिना कोई कारण बताए मध्य प्रदेश सरकार ने  रियायती लोन देने की योजना को व्यावसायिक पाठ्यक्रम (vocational courses) में परीक्षण देने के लिए बदल दिया | 2011-2014 के बीच 12,355 गैस पीड़ितों और उनके बच्चों को प्रशिक्षण देने वाली 22 संस्थाओं को 18 करोड़ दिए गए  | इस प्रशिक्षण से किसी भी पीड़ित या बच्चों को कोई रोज़गार नहीं मिला पर यह गैस राहत विभाग के अधिकारियों और इन संस्थानों के बीच की सांठगांठ से दोनों ने मिलकर करोड़ों रुपए कमाए”. 

"वैसे तो भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास मंत्री ने आज तक गैस पीड़ितों को रोजगार देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया पर 2018 में उन्होंने रसायन और उर्वरक मंत्री, भारत सरकार  (भोपाल में यूनियन कार्बाइड आपदा से संबंधित सभी मामलों पर नोडल एजेंसी) को पत्र लिख कर सम्बंधित अधिकारियों से आर्थिक पुनर्वास की मद में पड़ी 84.75 करोड़ की धनराशि को गैस राहत मंत्री के विधायकी क्षेत्र में सड़के, नालियों, पार्क और जिम बनाने के सम्बन्ध में निर्देश मांगे | यह तभी रुका जब  गैस पीड़ित संगठनों ने कैबिनेट सचिव को इस राशि के मद परिवर्तन के खिलाफ पत्र लिखा क्योंकि कैबिनेट द्वारा इस राशि का इस्तेमाल  सिर्फ गैस पीड़ितों को रोजगार देने के लिए कहा गया था"

यूनियन कार्बाइड गैस हादसे की मार झेलने वाले में से 70% ऐसे लोग है जो दिहाड़ी मजदूरी करते थे और गैस जनित बीमारियों की वजह से भारी काम करने में असमर्थ है जिसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति भी भारी गिरावट आई है  |आज भी 60,000 से ज्यादा गैस पीड़ित हैं जो जिन्हे रोजगार की जरूरत है और बजट होने के बाद भी सबसे ज्यादा जरुरतमंदों को रोजगार नहीं मिला है क्योंकि हमारी सरकारे सिर्फ 3 दिसंबर को घड़ियाली आंसू बहाने में विशवास करती हैं?

गैस पीड़ितों को बिना बताए उन पर अलग अलग दवा कम्पनियों की दवाओं के परीक्षण करने और इस दौरान 13 गैस पीड़ितों की मृत्यु घटाने के लिए जिम्मेदार भोपाल मेमोरियल अस्पताल के चिकित्सकों को आज तक सज़ा क्यों नहीं दी गई है ?

Doctors and Medical Researchers of BMHRC responsible for carrying out drug trials for multinationals without informed consent, resulting in at least 13 deaths in 13 trials, are not being prosecuted. Why?

यूनियन कार्बाइड व डाव केमिकल द्वारा भोपाल की मिट्टी और भूजल के जहरीले प्रदूषण के बारे में सरकारी वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्टो को केन्द्र तथा मध्य प्रदेश की सरकारें नज़रअंदाज़ क्यों कर रही हैं ?

यूनियन कार्बाइड व डाव केमिकल द्वारा भोपाल की मिट्टी और भूजल के जहरीले प्रदूषण के बारे में सरकारी वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्टो को केन्द्र तथा मध्य प्रदेश की सरकारें नज़रअंदाज़ क्यों कर रही हैं ?

Why are reports by official scientific agencies concerning soil and groundwater contamination by Union Carbide/Dow Chemical in Bhopal being ignored by the MP government? 

गैस काण्ड के आपराधिक मामले में CBI ने यूनियन कार्बाइड कम्पनी के कानूनी नुमाइंदे को हाज़िर करने के लिए आज तक कोई कदम क्यों नहीं उठाया है ?

Why has the prosecution, CBI, not made any attempt so far to extradite the legal representative of Union Carbide and make him appear in the criminal case on the disaster?

"भोपाल मेमोरियल अस्पताल में आज तक स्त्री रोग, बाल्य रोग और जनरल मेडिसन के विभाग क्यों नहीं हैं ?"

ICMR और अन्य शोधकर्ताओं द्वारा गैस पीड़ित महिलाओं पर किए गए अध्ययन बताते है कि महिलाओं में मासिक चक्र की गड़बड़ी, हादसे के 5 साल बाद भी अधिक गर्भपात होना, मृत बच्चों का पैदा होना का दर गैर गैस पीड़ित महिलाओ की तुलना में काफी ज्यादा है | ऐसे ही गैस पीड़ित बच्चों और गैस पीड़ित माता पिता को जन्मे बच्चों में भी जहरीली गैस की वजह से स्वास्थ्य पर असर पड़ा है | 1990 में ICMR द्वारा किया गया अध्ययन बताते है कि बच्चों की बढ़त में कमी, मांसपेशियों के इस्तेमाल और भाषा सीखने में देरी और तंत्रिका तंत्र और मानसिक समस्याओं का भी भी दर गैर गैस पीड़ित बच्चों की तुलना में ज्यादा है | "यह अत्यंत दयनीय है कि आज तक स्वास्थ्य मंत्रालय को समय नहीं मिला की यह जरुरी विभाग खोले जाए जबकि सरकारी शोध संस्था ICMR ने ही बताया है की गैस लगने की वजह से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़े है"

1994 के ICMR अध्ययन ने भी बताया था कि गैस लगने की वजह से शरीर के कई तंत्रों को नुकसान पहुंचा है | इन अध्ययन की परिणाम के बावजूद भी BMHRC ने आज तक जनरल मेडिसिन का विभाग शुरू नहीं किया है | "भारत सरकार की हाई पॉवरड समिति और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति भी इस विभाग को शुरू करने के लिए अनुशंसा कर चुकी है | इस विभाग के न होने की वजह से BMHRC अस्पताल लगातार गैस पीड़ितों को भर्ती करने से मना करता है"

सुप्रीम कोर्ट ने गैस पीड़ितों के इलाज के मामले पर सुनवाई करते हुए 2012 में BMHRC को आदेशित किया कि भारतीय संविधान की धारा 21 के मद्देनजर सभी गैस पीड़ितों को हुई बहु आयामी स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से वे सही इलाज के सबसे ज्यादा हकदार है क्योंकि उनकी पीड़ा के लिए वह जिम्मेदार नहीं है |  “सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी BMHRC को गैस पीड़ितों और उनके बच्चों के इलाज के लिए स्त्री रोग, बाल्य रोग और जनरल मेडिसिन के विभाग स्थापित करने का समय नहीं मिला है”

भोपाल में कार्बाइड कारखाने के पास की प्रदूषित जमीन में ऐसे रसायन मिले हैं जिनका जहरीलापन सैकड़ों सालों तक बना रहता है | इस जहर को साफ़ करने की कानूनी जिम्मेदारी डाव केमिकल की है | फिर गैस राहत मंत्री इस प्रदूषित जमीन पर स्मारक के नाम पर  सीमेंट क्यों डलवाना चाहते हैं ?

Why does the Gas Relief Minister plan to pour concrete over land poisoned with chemicals which persist in toxicity for 100 years, that the concrete will not stop from spreading, and that Dow Chemical is legally obliged to clean up?

प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गैस काण्ड की 27 वीं बरसी, दिनांक  3/12/2011 को गैस पीड़ित संगठनों से तीन वादे किए थे | पिछले 10 सालों में उन्होंने उनमें से एक भी पूरा क्यों नहीं किया है?

Why has the Chief Minister not fulfilled any of its promises made on 03/12/2011 till today?

Why is the Madhya Pradesh  government presenting two different figures of death – 5295 and 15242 caused by the disaster to the Supreme Court? ”

मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने गैस काण्ड की वजह से हुई मौतों की संख्या के दो अलग अलग आंकड़े: 5,295 और 15,342 क्यों पेश किए हैं ?

Why is the MP Govt lying in the curative petition before the Supreme Court of India that 93% of gas survivors are only temporarily injured by gas exposure?

सवाल 16: सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित मुआवजे की याचिका में केंद्र व प्रदेश सरकारें यह झूठ क्यों बोल रही है कि 93% गैस पीड़ितों को अस्थाई क्षति पहुंची हैं?

गैस पीड़ितों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए 4 करोड़ रुपये से निर्मित 7 योग केंद्र पिछले 9 सालों से खाली क्यों पड़े हैं ?

Why are the 7 yoga centres built by the MP government at the cost of 4 crores ($55,000) lying vacant and unused for the last 9 years?

Why are there no doctors for mental illnesses in the state government hospitals meant for the gas exposed population?

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा संचालित 6 गैस राहत अस्पतालों में किसी में भी एक भी मानसिक रोग चिकित्सक क्यों नहीं है ?

Why has the Ministry of Environment, Forest & Climate Change not accepted UNEP’s offer to carry out a scientific assessment of soil and groundwater contamination in and around the Union Carbide factory ?

भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने और उसके आस पास की प्रदूषित मिट्टी पानी की वैज्ञानिक जांच करने के संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरणीय कार्यक्रम के प्रस्ताव को केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने आज तक स्वीकार क्यों नहीं किया है ?

कार्बाइड  कारखाने के पीछे स्थित जहरीले तालाब  में सिंघाड़े उगाने और मछली पालने के सालों से चल रहे जहरीले व्यवसाय के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने आज तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की है ?

Why has the MP government not taken any steps to prevent a mass public poisoning due to the cultivation of fish and water chestnuts in the pond contaminated by Union Carbide ?

दो वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञों की स्पष्ट सलाह के बावजूद मध्य प्रदेश सरकार ने गैस पीड़ितों के इलाज में योग को शामिल क्यों नहीं किया है ?

Despite recommendations by two senior medical experts, why hasn’t the MP government included Yoga as part of healthcare provided to gas victims ?

मध्य प्रदेश सरकार के भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग में पिछले 3 सालों से क्यों ऐसे एक भी IAS अधिकारी नियुक्त नहीं हुए हैं जो साथ में दूसरा विभाग न संभालता हो ?

Why for the last 3 years has the Department of Bhopal Gas Tragedy, Relief & Rehabilitation not had a single IAS official who wasn’t dedicated to another department?

प्रदूषित भूजल की वजह से स्वास्थ्य को पहुंची क्षति के बारे में सरकारी शोध प्रकाशित होने के बावजूद आज तक प्रदूषित भूजल से पीड़ित इंसानो को गैस राहत अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा से वंचित क्यों रखा जा रहा है ?

Why are people with chronic exposure to  bio-accumulative organochlorines and persistent organic pollutants in contaminated groundwater denied free medical care in gas relief hospitals?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र तथा प्रदेश सरकार द्वारा गैस काण्ड के बाद जन्मे 1 लाख बच्चों का  चिकित्सीय बीमा करवाने के सम्बन्ध में 3 अक्टूबर 1991 को जारी अपने आदेश के उल्लंघन का आज तक संज्ञान क्यों नहीं लिया है?

Campaign for Justice and Life of dignity for the survivors. 

Why has the Supreme Court of India ignored the central and state governments’ non-compliance with its 1991 order mandating medical insurance coverage to “at least 100,000 children of gas victims born after the disaster?

गैस काण्ड की वजह से 30% पीड़ितों में अवसाद, घबराहट और अनिद्रा जैसी मानसिक बीमारियाँ होने के वैज्ञानिक सबूत होने के बावजूद गैस काण्ड की वजह से एक भी इन्सान को मानसिक स्वास्थ्य में क्षति के लिए मुआवजा क्यों नहीं मिला है 

Why no victim of the Union Carbide disaster has received any compensation for mental illnesses caused due to toxic exposure despite scientific evidence of 30 % of excess mental illnesses such as depression, anxiety disorder, insomnia and others?

Since its inception in 2004, almost every concern raised by the Supreme Court appointed Monitoring Committee for Medical Rehabilitation of Gas Victims has gone unaddressed by the MP Government. Why?

भोपाल पीड़ितों के चिकित्सीय पुनर्वास के लिए 2004 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति द्वारा आज तक की गई अधिंकांश अनुशंसाओं का मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पालन क्यों नहीं किया गया है ?

When 6 summons have been issued by the Bhopal District Court since 2014, why has the CBI still failed to make Dow Chemical appear in the unresolved criminal proceedings?

2014 से भोपाल जिला अदालत द्वारा अब तक 6 सम्मन जारी करने के बावजूद CBI डाव केमिकल को गैस काण्ड के आपराधिक प्रकरण में हाजिर क्यों नहीं करा पाई है ?

2010 में आपराधिक प्रकरण में कम्पनी  और उसके अधिकारियों के खिलाफ त्वरित न्यायायिक कार्यवाही के बारे में किए गए वादे को आज तक पूरा क्यों नहीं किया है ?

Why has the MP government failed to fulfil its 2010 promise to initiate a fast trial of the accused corporations and executives in the Bhopal criminal case ?

When it is officially acknowledged that the prolonged use of painkillers has contributed to kidney damage, and when close to 2,000 gas victims have been compensated for kidney damage, why has the use of kidney-damaging medicines in gas relief hospitals not been reviewed, or minimised?

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ गुर्दे को गंभीर नुकसान पहुँचने पर करीब 2000 गैस पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है | सरकारी तौर पर यह माना गया है कि गैस पीड़ितों के गुर्दो की खराबी के लिए अस्पतालों में दी जा रही दर्दनाशकों का गलत इस्तेमाल भी बड़ी वजह है,फिर भी गैस राहत अस्पतालों में गुर्दों को नुकसान पहुंचाने वाली दवाए क्यों दी जा रही हैं?