बुढ़ापे को आयुर्वेद में रोगों की खदान कहा है। उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक और मानसिक शिथिलता पूरे व्यक्तित्व पर हावी हो जाती है। इस मानसिक अवस्था से बाहर आने के लिए कई उपाय आजमाए जाते हैं। इनमें सबसे कारगर प्राकृतिक चिकित्सा को माना जाता है। आइए जानते हैं कि कैसे वृद्धावस्था को भी उल्लासपूर्ण एवं आनंद के साथ बिताया जा सकता है।
कैसे जिएं, उल्लासपूर्ण वृद्धावस्था..
प्राकृतिक चिकित्सा:
डॉ. सुभाष संघवी नेचुरोपैथी के एक लेख के अनुसार आधुनिक जीवनशैली जीने वाले युवाओं को कम उम्र में ही बुढ़ापा इसलिए घेर लेता है, क्योंकि वे प्रकृति के विरुद्ध खड़े होने का दुस्साहस करते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि रात शरीर को विश्राम देने के लिए और सोने के लिए बनी है तो वे उसके खिलाफ जाना चाहते हैं।
ये लोग देर तक जागते हैं और दिन में सोते हैं। उनका आहार-विहार अप्राकृतिक होता है। इनके खाने और सोने के समय का ठिकाना नहीं होने के बावजूद ये लोग अत्यधिक तनाव लेकर जीते हैं। यही वजह है कि एक हद तक साथ निभाने के बाद शरीर साथ छोड़ने लगता है।
बढ़ती उम्र के कारण शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। पोषक आहार की कमी का प्रभाव शरीर पर दिखाई देने लगता है। पाचन तंत्र के प्रभावित होने के साथ ही शरीर में खून की कमी होने लगती है।
बढ़ती उम्र में शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ने लगती है। शरीर के खून में आयरन और कैल्शियम की कमी होने लगती है। गलत आहार-विहार तथा शारीरिक श्रम में कमी आने की वजह से रोगों से लड़ने की शक्ति का तेजी से क्षरण होने लगता है। नशीली वस्तुओं का सेवन, अत्यधिक भोग एवं विलासितापूर्ण जीवन बिताने के कारण कई रोग शरीर पर कब्जा कर लेते हैं।
क्या कर सकते हैं प्राकृतिक उपचार:
1. शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए मालिश करवाएं, धूप में बैठे, व्यायाम करें, तैराकी करें, सायकल चलाएं।
2. रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के लिए पेडू पर मिट्टी की पट्टी, एनिमा लगाएं, कटि-स्नान, ऊष: स्नान करें।
3. दिल के रोगों और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए व्यायाम करें, शवासन करे, योग निद्रा, अनुलोम विलोम, प्राणायाम, गहरी लंबी श्वास-प्रश्वास का अभ्यास करें। सीने पर गरम पानी की पट्टी की लपेट करें।
4. डायबिटीज के लिए पेट पर गर्म, ठंडा सेक, मंडूकासन, वज्रासन, पवनमुक्तासन तथा ब्रिस्क वॉक करें।
5. जोड़ों में दर्द को नियंत्रित करने के लिए मेन्दंड के आसन, सुबह की हल्की धूप में तेल मालिश, स्टीम बाथ, सूर्य स्नान तथा लाल किरणो का सेक करें।
6. प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ जाना बुढापे की एक आम शिकायत है। इस पर नियंत्रण रखने के लिए मडूकासन, पवनमुक्तासन, वक्रासन, अर्धमत्सेन्द्रासन तथा गरम ठंडा कटि स्नान करें।
7. चर्म रोगों पर काबू पाने के लिए स्टीम बाथ, सूर्य स्नान, मिट्टी स्नान, गंजी लेप, नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर पूरे शरीर पर लगाएं और फिर नहा लें।
8. अनिद्रा से पीछा छुड़ाने के लिए सिर पर गीली मिट्टी की पट्टी रखे। सिर पर ठंडे पानी की सूती कपड़े की लपेट करे। कुनकुने औषधियुक्त तेल से शिरोधारा करवाएं।
9. कब्ज की शिकायत को दूर करने के लिए रात सोने से पहले गरम पानी में त्रिफला चूर्ण का सेवन करें। पेड़ पर मिट्टी की पट्टी रखें
10. एनिमा और कटि स्नान का अभ्यास दोहराएं।
क्या-क्या करें जीवनशैली में बदलाव:
1. कैल्शियम पूरक आहार का उपयोग करें। धूप में समय बिताने का कोई अवसर न छोड़ें।
2. इस उम्र में किडनी फंक्शन कमजोर होने लगते हैं इसलिए नमक, मिर्च मसाले की मात्रा कम से कम कर दें।
3. आहार में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा लेने के लिए सभी तरह की दालों को रोजाना बदल-बदलकर किसी न किसी रूप में जरूर खाएं।
4. अपनी दैनिक गतिविधियां जैसे चलना फिरना, घूमना, योगाभ्यास पर अधिक ध्यान दें। घर के दैनिक क्रिया कलापों में खुद की हिस्सेदारी बढ़ा दें। अपनी उपस्थिति हर काम में दर्ज कराने की कोशिश करें। आसपास कहीं जाना हो तो पैदल चलने का अभ्यास बढ़ाएं। लिपट का उपयोग न करते हुए सीढ़ियां चढ़कर उपर जाए।
5. फास्ट फूड से तौबा करते हुए उचित मात्रा में प्राकृतिक पौष्टिक आहार लें। ताजे मौसमी फलों को रोजाना के आहार में शामिल करें। दिन भर में जितने भी 'मील' खाते हों उनमें से एक 'मील' फलों का रखें।