राज्य के विभिन्न भागों में अलग-अलग किस्म की मिट्टी पाई जाती है। इस कारण प्रदेश के अलग अलग इलाकों में अलग-अलग प्रकार की फसलें बोई जाती हैं। मालवा के पठार, सतपुड़ा एवं नर्मदा घाटी में गहरी व मध्यम काली मिट्टी और उथली मध्यम काली मिट्टी पाई जाती है, तो पूर्वी उत्तर-पूर्वी व दक्षिणी क्षेत्र में मिश्रित लाल काली मिट्टी पाई जाती है।
प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी भाग में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है। इस में तरह सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के चार प्रमुख प्रकार मिलते हैं- मध्यम और गहरी काली मिट्टी, उथली और मध्यम काली मिट्टी, जलोढ़ मिट्टी, मिश्रित लाल और काली मिट्टी।
1. मध्यम एवं गहरी काली मिट्टी- प्रदेश में मध्यम एवं गहरी काली मिट्टी मालवा के पठार, सतपुड़ा एवं नर्मदा घाटी में बहुत बड़े क्षेत्रफल में मिलती है। राज्य के कुल क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए तो गहरी काली मिट्टी राज्य के लगभग 32 में आंशिक या पूरी तौर पर पायी जाती है।
जिन जिलों में यह मिट्टी पायी जाती है, वे जिले हैं- नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, जबलपुर, कटनी, सागर, दमोह, विदिशा, रायसेन, भोपाल, सीहोर, राजगढ़, उज्जैन, देवास, शाजापुर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, झाबुआ, अलीराजपुर, धार, इंदौर, खरगोन, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, गुना(आंशिक), अशोक नगर(आंशिक), शिवपुरी(आंशिक), दतिया(आशिक), सीधी और सिंगरौली(आशिक)।
इस मिट्टी में लोहा तथा चूना प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। पानी पड़ने से यह मिट्टी चिपकती है तथा सूखने पर इसमें दरारें पड़ जाती हैं। इस मिट्टी में हवा का संचरण एवं जल निकास आसानी से होता है।
2. उथली और मध्यम काली मिट्टी- काली मिट्टी का यह स्वरूप उथली और मध्यम काली मिट्टी सतपुड़ा के छिंदवाड़ा, बैतूल एवं सिवनी जिलों में मिलती है।
3. जलोढ़ मिट्टी : जलोढ़ प्रदेश के उत्तरी पश्चिमी भाग में मिलती है। यह क्षेत्र गंगा-यमुना के मैदान से जुड़ा है। मिट्टी का रंग पीलापन लिए हुए भूरा होता है। यह क्षेत्र अच्छी कृषि के लिए प्रसिद्ध है। जिन जिलों में यह मिट्टी होती है- वे हैं ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी(आंशिक), और अशोक नगर(आंशिक)।
4. मिश्रित लाल और काली मिट्टी: मिश्रित लाल और काली मिट्टी राज्य के मण्डला, डिण्डोरी, बालाघाट रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, शिवपुरी(आंशिक), गुना(आंशिक), दतिया(आंशिक), सीधी(आंशिक), सिंगरौली(आशिक), पूर्वी उत्तरी-पूर्वी और दक्षिणी मध्य प्रदेश के अधिकांश भाग मिलती है।
इस मिट्टी में चूने की मात्रा पर्याप्त होती है। इस मिट्टी में उर्वरक पदार्थों की कमी है। ऊँचे और ढालू क्षेत्र में मिलने के कारण इस मिट्टी के कण मोटे होते हैं। मिट्टी के उपरोक्त प्रकारों के अलावा, राज्य के छत्तीसगढ़ से लगे बालाघाट, डिंडोरी, शहडोल और सीधी जिलों में लाल और पीली मिट्टी भी आंशिक तौर पर थोड़े से हिस्से में पाई जाती है।