कहते हैं कि निरपेक्ष सत्य की स्वानुभूति ही ज्ञान है....स्वयं तथा अपने आसपास के तत्वों का बोध होना या उनको समझने की शक्ति को ज्ञान कहते हैं। मनुष्य के जीवन में ज्ञान का बहुत महत्व है, ज्ञान के प्रकाश से ही वह अंधेरों से लड़ कर विजयी बनता है, ज्ञान के इसी गूढ रहस्य को उद्घाटित करती हैं पुस्तक जिज्ञासा..
प्रस्तुत पुस्तक जिज्ञासा में पत्रकार भूपेंद्र दलाल ने सबसे पहले पहले देश फिर परदेस मध्य में मध्य प्रदेश और अंत में उज्जैन के विभिन्न प्रकार के सामान्य ज्ञान और रहस्यों को बेहद रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया है। लगभग 400 पृष्ठों की इस पुस्तक में उन्होंने राष्ट्रीय प्रतीक से लेकर धर्म धरा उज्जययिनी का पुरातन स्वरूप भी प्रस्तुत किया है । यह पहली ऐसी पुस्तक होगी, जिसमें राजनीतिक घटनाएं ,साहित्य, संस्कृति और व्यक्तित्व से जुड़े अनछुए पहलू भी पाठक को रोमांचित करेंगे, खासकर उस वर्ग में यह पुस्तक काफी लोकप्रिय होगी जो सामान्य ज्ञान के साथ-साथ अन कही अन सुनी बातों में भी रुचि रखते है। लेखक श्री दलाल की चाहत भी यही है कि यदि मेरी पुस्तक पढ़कर संघ लोक सेवा की तैयारी कर रहें किसी भी विद्यार्थी के उपयोग में आ जाएं तो मेरा पुस्तक लिखना सार्थक होगा। पुस्तक सामान्य ज्ञान के लिए महत्वपूर्ण कुंजी तो साबित होगी, साथ ही भारतीय राजनीति में अप्रसारित और अप्रकाशित किस्सें कहानी इसकी रोचकता को बढ़ाती हैं। जैसे मध्य भारत काल में 1 विधानसभा क्षेत्र से 2 विधायकों के निर्वाचन होने की जानकारी, भारत रत्न अलंकरण के प्रारंभ से लेकर अब तक पाने वालों के सचित्र विवरण इस पुस्तक में दिए हुए हैं।
साथ ही गांधी जी को क्यों नहीं मिला शांति का नोबेल पुरस्कार ..?इस विषय पर भी लेखक ने बड़ी दमदारी के साथ तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत की है।देश में पुलिस का चलन कब प्रारंभ हुआ किस तरह से अपराध जगत से निपटने के लिए पुलिस की टुकड़ी बनी वह भी इस पुस्तक में दिया हुआ है। कोहिनूर हीरा, राजा विक्रम और अकबर के नवरत्न और स्वतंत्रता आंदोलन में समाचार पत्रों की भूमिका भी जिज्ञासा में बेहतरीन तरीके से लिखी गई है। सबसे रोचक घटनाएं विभिन्न देशकाल और परिस्थितियों में हुए अलग -अलग युद्वों को लेकर लिखी गई है । लेखक भूपेंद्र दलाल का मानना है कि देश और दुनिया में जब जब भी युद्ध हुए हैं तब तब समाज को एक नई दिशा मिली है, चाहे वह महाभारत काल के युद्ध रहे या आधुनिक काल की जंग.... युद्ध सदैव समाज में परिवर्तन लाते हैं। खोजी और अंवेषणात्मक पत्रकारिता करते आ रहे श्री दलाल ने अपनी पुस्तक में हिंदी फिल्मों के चर्चित प्रेम प्रसंगों के राज से भी पर्दें उठाएं हैं ,जो अन्यत्र कभी दबा छुपा प्रकाशन मिलता था। भारत की मुद्रा और उसके चलन पर भी खोजपूर्ण और ऐतिहासिक जानकारी पुस्तक में नज़र आती हैं।
लेखक ने #जिज्ञासा" में सन् 1925 से लेकर 2011( एक सदी ) तक सोने के भाव भी दिये हैं। प्राचीन काल से चली आ रही गोला और गोली प्रथा, चाणक्य नीति , और पाकिस्तान में कब-कब सैन्य शासन रहा कैसे सियासी पण्डितों ने समाज में हालात बदले वह भी प्रकट किया। हिटलर और उससे जीवन चरित्र को भी पुस्तक में जगह दी गई है। मध्य प्रदेश के गठन से लेकर अद्यतन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल और उनसे जुड़े रोचक किस्से भी जिज्ञासा में दिए गए हैं ,खासकर राघोगढ़ के खींची राजाओं की वंशावली, स्वतंत्र भारत के पहले रिश्वतखोर अर्जुन सिंह के पिता शिव बहादुर सिंह को चुनाव हराने के लिए नेहरू जी की अपील को भी पुस्तक में तथ्यों के साथ लिया गया है । गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, अमर शहीद बख्तावर सिंह ,1857 के महान क्रांतिकारी योद्धाओं के विषय में और अन्य विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक लोगों के विषय में भी लिखा गया है।
देश के विभिन्न राज्यों में कब और कैसे लगा राष्ट्रपति शासन, ये भी रोचक तरीके से लिखा गया है। बड़े और चर्चित राजघरानों की वंशावली उनसे जुड़े पहलू भी जिज्ञासा की विषय वस्तु बनी है।पुरातन भारत में मुगलों से लेकर मराठों तक मालवा के कौन-कौन शासक रहे और उनकी क्या शैली थी यह भी जिज्ञासा में बहुत ही विस्तारित ढंग से लेखक ने प्रस्तुत की है। फ्रीगंज को कस्टम फ्री बनाने का प्रमाण पत्र और उज्जैन का 1930 का नक्शा पुस्तक के अंतिम पृष्ठ पर दिया गया है ।
कुल मिलाकर ज्ञान के अथाह सागर में डुबकी लगाने और अपने -अपने हिस्से की अंजुरी भरने का आह्वान करती है जिज्ञासा पुस्तक गागर में महासागर समेटे हुए हैं। फ्लिपकार्ट और अमेजॉन पर यह उपलब्ध है साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं को रियायती दरों पर प्रकाशक के माध्यम से यह पुस्तक उपलब्ध कराई जाएगी । बहरहाल अपनी अलहदा शैली में लीक से हटकर पत्रकारिता करने वाले भूपेंद्र दलाल की नई भूमिका लेखक समाज में पदार्पण करना आने वाले समय के लिए मील का पत्थर साबित होगी।