90 लाख के आर्थिक अनियमितता के आरोपी रहे आईएफएस देवांशु शेखर की जांच पर उठे सवाल


स्टोरी हाइलाइट्स

बहाली के बाद प्रशासन-एक शाखा में हुई पदस्थापना

भोपाल. 90 लाख के आर्थिक अनियमितता के आरोपी आईएफएस अधिकारी देवांशु शेखर की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठने लगे. जांच अधिकारी एवं मुख्य वन संरक्षक रीवा एके सिंह ने मैनेजमेंट फार्मूले के तहत 90 लाख रुपए से अधिक की आर्थिक अनियमितता के आरोप में 2011 बैच के आईएफएस अधिकारी  देवांशु शेखर को क्लीन चिट दे दिया है. दिलचस्प पहलू यह है कि मामले को रफा-दफा करने के लिए शेखर शेखर की पदस्थापना भी प्रशासन-एक में कर दी गई.

प्रशासन एक में पदस्थ आईएफएस अधिकारी देवांशु शेखर को दिसंबर 2020 में 96 लाख 22458 रुपए की आर्थिक अनियमितता के आरोप में निलंबित किया गया था. तब देवांशु शेखर डीएफओ उत्तर शहडोल में पदस्थ थे. वित्तीय वर्ष 2018-19 में लघु वनोपज संघ के बतौर प्रबंध संचालक उत्तर शहडोल की हैसियत से अधोसंरचना विकास कार्यों में गड़बड़ी करते हुए 96 लाख 22458 रुपए की राजस्व  हानि पहुंचाई.

यहां तक कि पूर्व बनी सड़कों को भी कागज पर नया निर्माण कराकर उसके भी भुगतान कर दिए. इस मामले में उन्हें दिसंबर 20 में निलंबित कर आरोप पत्र दिया गया था. इस मामले की जांच मुख्य वन संरक्षक रीवा आनंद कुमार सिंह ने किया.

जांच रिपोर्ट पर इसलिए उठ रहे हैं सवाल
मुख्य वन संरक्षक रीवा आनंद कुमार सिंह की जांच रिपोर्ट पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि प्रस्तुतकर्ता अधिकारी अधर गुप्ता का अंतिम प्रतिवेदन नहीं लिया है. इस आशय की पुष्टि अधर गुप्ता ने भी की है. वर्तमान में अधर गुप्ता पेट नेशनल पार्क में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर पदस्थ हैं. उन्होंने बताया कि जांच अधिकारी आनंद कुमार सिंह ने मुझसे कभी भी संपर्क नहीं किया. जांच के दौरान ही मेरा तबादला शहडोल उत्तर से नेशनल पार्क में कर दिया है. उनके स्थान पर  शहडोल उत्तर डीएफओ के पद पर गौरव चौधरी की पदस्थापना की गई. जांच अधिकारी ने गौरव चौधरी से भी  न तो अंतिम प्रतिवेदन लिया और न ही गवाहों के बयान प्रस्तुतकर्ता अधिकारी के समक्ष लिए गए. यहां तक कि वर्तमान शहडोल उत्तर डीएफओ गौरव चौधरी को  क्रास एग्जामिनेशन का मौका भी नहीं दिया गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि देवांशु शेखर को बचाया जा सके.