विश्व में 20 करोड़ से ज्यादा योगा ट्रेनर….
भारत के योगा ट्रेनर्स की सबसे ज्यादा है डिमांड। कॉरपोरेट कल्चर हो या एंसीएंट कल्चर। फिटनेस हमेशा महत्वपूर्ण रही है। लाइफस्टाइल बदल गई है, रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। दवाओं का सहारा कब तक? ऐसे में योग के जरिए निरोग रहने का चलन बढ़ गया है।
भारत में जगह-जगह योगा क्लासेस हैं। इंटरनेशनल लेवल पर भी योगा क्लासेस का चलन बढ़ गया है। दुनिया भर में योगा क्लासेस खुल गई हैं। ऐसा कोई देश नहीं है जहां के लोग योग के बारे में नहीं जानते।
जिम या फिटनेस की बजाय योग का प्रचलन ज्यादा तेजी से बढ़ा है..
ज्यादातर लोग योग करना चाहते हैं क्योंकि योग आसान भी होता है और योग के फायदे अन्य तरीकों के मुकाबले ज्यादा कारगर होते हैं। शहरी क्षेत्रों में योग करने वालों की तादाद में 20% से ज्यादा का इजाफा हुआ है। भारत में योग के प्रति लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है। योग से शरीर मन और मस्तिष्क तीनों पर प्रभाव पड़ता है फाइनली योग से आत्म साक्षात्कार होता है। हालांकि योग के जरिए आत्म साक्षात्कार तक की यात्रा करना ज़्यादातर लोगों की प्राथमिकता में नहीं है।
योग के नाम पर आज आसान और यौगिक व्यायाम ही प्रचलित हैं। लेकिन योग इनसे भी ऊपर है। योग का अर्थ है आत्मा का परमात्मा से मिलन। जीवआत्मा का आत्मा से मिलन, मन का जीवआत्मा से मिलन।
योग का जो स्वरूप लोगों में लोकप्रिय है वह फिजिकल फिटनेस से जुड़ा हुआ है। हालांकि फिजिकल फिटनेस के साथ-साथ योग के जरिए आध्यात्मिक उन्नति भी की जा सकती है।
भारत में 5 लाख से ज्यादा योग गुरुओं की जरूरत बताई गई है।
चीन में करीब तीन हजार से ज्यादा योग प्रशिक्षक सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि इन सब योग प्रशिक्षकों को भारतीय योग के सिद्ध योग विज्ञान से जुड़ने की जरूरत है।
Sidhyoga ऐसा विज्ञान है जिसमें व्यक्ति की आंतरिक kundalini शक्ति जागृत की जाती है और व्यक्ति को स्वतः ही योगिक क्रियाएं होने लगती है। उसे कुछ करने की ज़रूरत नहीं।
भारत में योग ने इंडस्ट्री का रूप ले लिया है। यौगिक एक्सरसाइज का बाजार 85000 करोड़ रुपए का है। विश्व में योग का बाजार अरबों डॉलर का डॉलर से ज्यादा का है।
भारत में भी योग को एक प्रोफेशन के रूप में लिया जा रहा है।
प्राचीन भारतीय योग दर्शन वर्तमान योग से काफी अलग है। भारतीय सनातन परंपरा है का कोई भी भाग लोकप्रिय हो उसमें बुराई नहीं है। आने वाले समय मे दुनिया योग का अर्थ जान लेगी।
योग ने इंडस्ट्री का रूप जरूर ले लिया है लेकिन योग के मूल स्वरूप को समझे बिना कोई भी योग का प्रशिक्षक नहीं बन सकता। योग वास्तव में क्या है यह समझना बहुत जरूरी है।
योग का यथार्थ स्वरूप बेहद अहम है। सरकारों ने योग के भौतिक स्वरूप को ज्यादा प्राथमिकता दी, योग को पाठ्यक्रम के रूप में बढ़ावा दिया, इससे योग का दायरा बढ़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी योग को प्रमोट करते हैं।
योग का ट्रेंड बढ़ाने में सेलिब्रिटी और फ्यूज़न का अहम योगदान है। आज कई यौगिक फॉर्मेट प्रचलन में हैं। योग के दौरान पहने जाने वाले कपड़े और मैट्स का बाजार भी काफी बढ़ चुका है।
योगासन के फायदे सब जानते हैं। दुनिया के विकसित देश तेजी से इंडियन योगिक साइंस की ओर अट्रैक्ट हो रहे हैं।
अमेरिका हर साल योग की कक्षाएं, इनके कॉस्ट्यूम्स, उपकरणों और सामग्री पर 111000 करोड़ खर्च करता है।
एक सर्वे के मुताबिक उन लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है जो योग करना चाहते हैं। अमेरिका में तीन करोड़ से ज्यादा लोग योग करते हैं।
योग प्रशिक्षकों में महिलाएं सबसे ज्यादा है।
हालांकि योग का प्रशिक्षण देने से पहले इन्हें भी योग की बारीकियों खासतौर पर सिद्धि योग के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
युवा योग के प्रति तेजी से रुझान रख रहे हैं। योग का प्रशिक्षण इनके करियर में शुमार हो चुका हो चुका है डॉक्टर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट यह सब योग के जरिए अपने शरीर मन और आत्मा को स्वस्थ रखने की बात करते हैं। हालांकि आत्मा क्या है इसे लेकर ही क्लेरिटी नहीं है।
निश्चित ही योग को बढ़ावा देना भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है। लेकिन योग वास्तव में क्या है? यह जानना बहुत जरूरी है।
योग का प्रशिक्षण ले रहे लोग क्या योग के वास्तविक स्वरूप को जानते हैं? क्या पतंजलि योग दर्शन को जानते हैं? और योग का मूल क्या है? इसके जरिए दैवीय सत्ताएं मानव जाति को कहां ले जाना चाहती हैं इन सब के बारे में भी विचार मंथन करना होगा।
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