मध्यप्रदेश के दो गाँव इनके आगे शहर भी फीके हैं…


स्टोरी हाइलाइट्स

नवादपुरा के नवाचार ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी,10000 पौधे रोपे गए, पौधों का खास ख्याल रखा गया, गांव के लोगों ने पॉलीथिन का उपयोग नहीं करने की पहल की, गोपालन को लाभकारी और पर्यावरण हितैषी बनाया गया.

धार जिले की जनपद पंचायत निसरपुर के गांव नवादपुरा की तो मानो किस्मत ही पलट गई। नर्मदा नदी के किनारे बसे इस गांव को सर्वसुविधा युक्त आदर्श ग्राम पंचायत में तब्दील कर दिया गया। 

2014-15 को इस रूपांतरण यज्ञ की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे एक आहुति के साथ हवन कुंड में अनेक लोगों ने आहुतियां देकर इस यज्ञ को संपन्न करने में योगदान दिया।। गांव की बंजर भूमि को पौधरोपण कर हरा भरा कर दिया गया.

नवादपुरा के नवाचार ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी,10000 पौधे रोपे गए, पौधों का खास ख्याल रखा गया, गांव के लोगों ने पॉलीथिन का उपयोग नहीं करने की पहल की, गोपालन को लाभकारी और पर्यावरण हितैषी बनाया गया, इसमें स्थानीय नागरिक कमल पटेल ने अग्रणी भूमिका निभाई, ग्राम पंचायत में पंचायत लर्निंग सेंटर खोला गया, यहीं से आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना साकार होती है।

यहां पर बच्चे कंप्यूटर की शिक्षा लेते हैं तो महिलाएं कौशल प्रशिक्षण, किसान जैविक खेती सीखते हैं। शहरी नवाचारों को मात देने वाला यह गांव नवादपुरा है।

सरकारी स्कूल में कोई सुविधा नहीं थी लेकिन ग्रामीणों ने अपने खर्च पर 12 शिक्षक नियुक्त किए और जन सहयोग से स्कूल की तस्वीर बदल गई।

पर्यावरण संरक्षण कौशल विकास और रोजगार से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता हुआ यह गांव आज पूरे मध्यप्रदेश में रोशनी की एक किरण है। यहां पर लोगों ने मूर्ति स्थापना से लेकर विसर्जन तक पर्यावरण हितैषी पहल की।

गाय के गोबर से बने हुए दीपक भी रोशन स्वच्छ भारत की ओर कदम है। गांव को एक ही रंग में रंगा गया, इससे गांव पिंक विलेज बन गया। यहां की शासकीय गौशाला आत्मनिर्भर गौशाला है।  

भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए उसके संरक्षण और संवर्धन में अहम भूमिका निभाई गयी। यहां पर नवग्रह वाटिका बनाई गयी, इन सार्थक पहल का नतीजा रहा कि एक गांव को आईएसओ अवार्ड दिया गया। सरकारी स्कूल में सीसीटीवी और एयर कंडीशन कमरे अपने आप में एक अनोखी पहल रही। यहां की आंगनवाड़ी भी अपने आप में खास है। यहां के बच्चे अब निजी की जगह सरकारी स्कूल में पढ़ने में यकीन रखते हैं। 

मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को अंग्रेजी और व्यवहारिक शिक्षा दी जा रही है। यहां पंचायती राज को भागीदारी से साकार किया गया है। ग्रामीणों को ₹2 में 20 लीटर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। आपको ऐसा गांव कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, महापुरुषों के चित्रों का गांव की दीवारों पर उकेरा गया है।

अब आपको ले चलते हैं एक और ग्राम पंचायत: 

मोह्गाव ब्लाक की चुभावल पंचायत आज से 4-5 साल पहले पिछड़े पंचायतों में शामिल थी | लेकिन पिछले 3 सालों से यहाँ पर महिला संगठन और युवा वर्ग ने मिलकर अपने पंचायत की तस्बीर बदलने की ठान ली | इसकी शुरुआत सितंबर 2018 को हुई जब पंचायत के एक गाँव धमनपानी में लोगों ने श्रमदान कर के गाँव की 2 किमी की कच्ची सडक बनवाई | 

गाँव के लोगों ने पंचायत के साथ मिलकर कार्ययोजना बनाई और उसपर अंमल कर रहे है | पंचायत में 5 एकड़ सामुदायिक भूमी पर फलों की खेती करने का सोचा गया और उसके अनुसार 2 महिला समूहों ने अगुवाई कर के यहाँ पौधारोपण किया है | पानी और मिट्टी कटाव को रोकने हेतु महिला संगठनों ने मनरेगा योजना को अपना माध्यम बनाया और पंचायत के साथ मिलकर इसके सही क्रियान्वयन किया | 

पानी की उपलब्धी हेतु एक बड़े तालाब में श्रमदान कर के इसकी गहराई की और आज की स्थिती में 2 साल भी बारिश नही हुई तो पेयजल और घरेलु उपयोग हेतु पानी की उपलब्ध रहेगा | पंचायत में वनग्राम दलदला के लोगों ने गाँव को जंगल के साथ जोड़ने और जंगल से अपनी आजीविका बढाने तथा जंगल के बचाव हेतु योजना बनाई है | 

पंचायत के ग्राम धमनपानी में कुल 80 में से 70 किसानों ने स्वयं स्फूर्ति से अपने यहाँ गोबर गड्ढे बनाये है और कच्चा गोबर बाड़ी में ना फेंकते हुए जैविक तरीके से खेती करने का निर्णय लिया है जिसमे ग्राम संगठन ने नेतृत्व की भूमिका निभाई है | पंचायत के ग्राम चुभावल में 2 समूह मिलकर सब्जी की खेती कर रहे है | 

गाँवों में नलजल योजना हेतु आगे बढ़ना, जंगल के बचाव हेतु आग्रही रहना, ग्राम सभाओं में उपस्थित रह के पंचायत के निर्णयों में अपनी भागीदारी निश्चित करना इत्यादि कदम महिला संगठनों द्वारा उठाये गये है |

इन सभी गतिविधियों के चलते जो पंचायत पहले पलायन के लिए जानी जाती थी वहा आज पलायन 60 प्रतिशत रुक गया है | जहा पहले पिछड़ापन का ताना मिलता था वहा अब लोग सिखने समझने के लिए एक्सपोज़र कर रहे है | इसी के नतीजे गावों में महिला हिंसा कम हुयी है | युवा वर्ग अपनी जिम्मेदारी समझ के आगे बढ़ रहा है | जैविक खेती, नये फसलों का प्रयोग करना, नर्सरी तैयार करना आदि गतिविधि युवा वर्ग कर रहा है |