उदयगिरि की गुफाएं सांची से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर विदिशा मार्ग पर हैं। उदयगिरि छोटा सा गांव है। इस गांव की पहाड़ी पर गुफाएं बनी है। यह पहाड़ी विस्तार में 2.4 किमी. लंबी तथा अधिकतम ऊंचाई उत्तर पूर्व में 107 मीटर है। यह गुफाएं सन् 1951 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मण्डल के अधीन सुरक्षित हैं। इन गुफाओं की संख्या 20 है।
यह गुफाएँ चौथी शताब्दी ई. से दसवीं शताब्दी ई. में निर्मित की गई थी।
गुफा नं. एक, तीन दिशाओं में शैलकृत और एक दिशा में प्रस्तर खंडों से बनी है। स्थानीय लोग इसे सूरज गुफा कहते हैं।
गुफा नं. दो, 2.4 मीटर लंबी और 1.86 मीटर चौड़ी है।
गुफा नं. तीन, 2.4 मीटर लंबी और 1.9 मीटर चौड़ी है। यह सामान्य गुफा है।
गुफा नं. चार में वीणा वादक की प्रतिमा है। यह गुफा 4. 1.58 मीटर आकार की है। गुफा में शिवलिंग स्थापित है।
गुफा नं. पांच में भगवान विष्णु के वराह अवतार का चित्रण है।
गुफा नं. छह में गुप्त काल के महत्वपूर्ण गुप्त अभिलेख उत्कीर्ण है। यह गुफा 4.6 मीटर लंबी और 3.20 मीटर चौड़ी है।
गुफा नं. सात तवा नुमा है। इसलिये इसे तवा गुफा कहते हैं।
गुफा नं. आठ अलंकरण विहीन है।
गुफा नं. नौ एक लघु वर्गाकार कक्ष है। यहाँ विष्णु भगवान की प्रतिमा है।
गुफा नं. दस, ग्यारह और बारह छोटी कक्ष नुमा है। गुफा में विष्णु भगवान की प्रतिमा सुशोभित है।
गुफा नं. तेरह में भी प्रतिमा सुशोभित है। गुफा नं. तेरह में भी प्रतिमा है।
गुफा नं. चौदह तथा पन्द्रह में प्रतिमाएं नहीं हैं।
गुफा नं. सत्रह के एक चबूतरे पर शिवलिंग उत्कीर्ण है।
गुफा नं. अठारह आयताकार है।
गुफा नं. उन्नीस को अमृत गुफा भी कहा जाता है।
ग्यारसपुर: सांची से लगभग 56 किमी. की दूरी पर ग्यारसपुर है। यहां के स्मारकों को देखकर लगता है कि पूर्व में इस स्थान पर जैन, बौद्ध, ब्राह्मण धर्मों का अधिक प्रभाव रहा होगा। ग्यारसपुर पुरातात्विक स्थल है। यहां पर अठ खंभा, वज्रमुठ, मालादेवी मंदिर, बौद्ध स्तूप, हिंडोला तोरण प्रमुख स्मारक हैं। अठ खंभा यानी आठ खम्भों का एक विशाल मंदिर का अवशेष है।
वज्रमुठ उच्च कोटि के मंदिरों में से एक है, जिसमें एक ही पंक्ति में तीन मंदिर हैं। इन मंदिरों में जैन मूर्तियां हैं। पहाड़ पर माला देवी का मंदिर स्थित है। यह अत्यन्त विशाल एवं भव्य भवन पहाड़ी पर ही बौद्ध स्तूपों का अवशेष है।