क्या आपको पता है प्लास्टिक कूड़ा मिलने के कारण जो पानी हम पी रहे हैं उससे हम थायराइड बीमारी का शिकार हो रहे हैं. टीनएजर्स और फीमेल्स में थायराइड की बड़ी वजह प्लास्टिक कूड़ा है।
नदी के पानी, मिट्टी और यहां की मछलियों में तीनों जहरीले रसायन..
इन्हीं तीन रसायनों से किशोर व महिलाओं में बढ़ रहीं थायराइड की समस्या, हार्मोनल सिस्टम भी प्रभावित।
प्लास्टिक प्रदूषण - नदियों के पानी में मिल रहे पॉली ब्रोमाइड बाय-फिनाइल ईथर, बिसफिनोल-ए व थैलेट रसायन।
नदी-नालों में प्लास्टिक की मौजूदगी से बढ़ रहे थायराइड के मामले..
प्लास्टिक कूड़ा पानी में मिलने के कारण घातक रसायन पैदा होते हैं। जिन नदियों का पानी हम पीते हैं उनमें बड़े स्तर पर प्लास्टिक के कारण पैदा होने वाले रसायन पाए जाते हैं, जिसके कारण टीनएजर्स और फीमेल्स में थायराइड की समस्या होती है।
साथ ही उनका हार्मोन सिस्टम इफेक्ट होता है। यहां की मछलियां भी इन्हीं रसायनों से युक्त होती हैं और जो लोग इन मछलियों को खाते हैं उनमें मछलियों के जरिए यह तीन रसायन प्रवेश कर जाते हैं।
भोपाल की बात करें तो यहां पर प्लास्टिक कूड़े की मार कलियासोत और बेतवा नदी पर पड़ रही है।
सीहोर जिले की पार्वती और सीवन नदी के पानी में भी घातक रसायन मिलते हैं।
एक्सपर्ट्स बताते हैं इन नदियों के पानी में घातक रसायनों की मौजूदगी चिंताजनक है।
कोलार और Hoshangabad रूट से गुजरने वाली कलियासोत नदी में प्लास्टिक का कूड़ा आसानी से दिखाई दे जाएगा। यह कूड़ा धीरे-धीरे माइक्रोप्लास्टिक में कन्वर्ट हो जाता है।