भोपाल: 1992 बैच के आईएफएस अधिकारी यूके सुबुद्धी पीसीसीएफ विकास के पद से रिटायर होने के डेढ़ महीने बाद नए विवाद में फंस गए। अब सवाल उठ रहा है कि जब लोकायुक्त ने सुबुद्धि के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम धारा -7, 13(2) पीसी एक्ट 1988 ( संशोधित अधिनियम 2018) एवं भादवि की धारा 420, 468, 471, एवं 120 बी अपराध दर्ज किया था तब उन्हें 2023 में राज्य शासन ने पीसीसीएफ के पद पर प्रमोट कैसे कर दिया..?
लोकायुक्त में दर्ज अपराधिक प्रकरण का मामला प्रकाश में तब आया जब उन्हें रिटायरमेंट के बाद घाटे में चल रहे वन विकास निगम में सलाहकार बनने की फाइल वन मंत्रालय में मूव होने लगी। यही वजह है कि इन दिनों सुबुद्धि मंत्रालय की परिक्रमा करते देखे जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार अपर मुख्य सचिव वन एवं वन विकास निगम के अध्यक्ष अशोक वर्णवाल अपने चहेते 1992 बैच के आईएफएस सुबुद्धि को सेवानिवृत्ति के बाद निगम में सलाहकार बनाना चाह रहे हैं।
बतौर सलाहकार के पद पर नियुक्ति देने के पहले निगम ने सुबुद्धि के मामले में विभाग से जानकारी चाही तो पीसीसीएफ (सतर्कता एवं शिकायत) कार्यालय ने निगम के एएमडी को जानकारी भेजी कि लोकायुक्त ने सुबुद्धि के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम धारा -7, 13(2) पीसी एक्ट 1988 ( संशोधित अधिनियम 2018) एवं भादवि की धारा 420, 468, 471, एवं 120 बी के अंतर्गत 2019 में अपराध दर्ज किया है। अभी इसका निराकरण नहीं हुआ है।
दिलचस्प पहलू यह है कि वन विकास निगम पूर्व में सलाहकार रविंद्र सक्सेना यह कहकर हटा दिया था कि निगम को सलाहकार की आवश्यकता नहीं है, फिर अब सुबुद्धि की आवश्यकता क्यों पड़ रही है?
पूर्व सीएस राणा को किया गुमराह..
वन विकास निगम को पीसीसीएफ (सतर्कता एवं शिकायत) कार्यालय द्वारा भेजी गई जानकारी के बाद विभाग में चर्चा है कि लोकायुक्त में अपराध दर्ज होने के बाद सुबुद्धि पीसीसीएफ के पद पर प्रमोट कैसे हो गए..? विभाग में चर्चा है कि सुबुद्धि के प्रमोशन में भी 420 हुई। अपर मुख्य सचिव वन और तत्कालीन वन बल प्रमुख ने लोकायुक्त में दर्ज आपराधिक मामले को छुपाकर तत्कालीन मुख्य सचिव वीणा राणा को गुमराह किया।
जबकि सामान्य नियम है कि लोकायुक्त में दर्ज आपराधिक मामले को देखते हुए किसी भी अधिकारी को प्रमोट नहीं किया जा सकता। मौजूदा एसीएस अशोक वर्णवाल ने शिकायतों के आधार पर ही कई आईएफएस अफसर के प्रमोशन रोक रखे हैं। फिर आखिर क्या वजह रही कि सुबुद्धि के मामले में एसीएस वन ने मुख्य सचिव के समक्ष लोकायुक्त का मामला क्यों नहीं रखा?