प्रदेश के बिगड़े वनों का निजी निवेश से सुधार की नीति जारी होगी,निजी निवेशकों को 60 वर्ष तक मिलेगा कार्बन क्रेडिट का अधिकार


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स्टोरी हाइलाइट्स

बिगड़े वनों में स्थानीय प्रजातियों को प्राथमिकता दी जायेगी और विदेशी प्रजातियों का रोपण प्रतिबंधित रहेगा..!!

भोपाल: राज्य का वन विभाग बिगड़े वनों का निजी निवेशकों के माध्यम से सुधार के लिये जल्द नई नीति जारी करने जा रही है। इसमें निजी निवेशक के 60 वर्ष तक कार्बन के्रडिट का अधिकार दिया जायेगा, साथ ही वनोपजों पर भी उसका अधिकार रहेगा। 

नई नीति को यह नाम दिया गया है : कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, कारपोरेट एनवायरोमेंट रिस्पोंसिबिलिटी एवं अशासकीय निधियों के उपयोग से वनों की पुनर्स्थापना की नीति।

प्रस्तावित नीति में कहा गया है कि प्रदेश में बिगड़े वनों का क्षेत्र काफी बड़ा है। वर्तमान में राज्य में वन क्षेत्र लगभग 95 लाख हैक्टेयर है जिसमें बिगड़े वनों का क्षेत्रफल लगभग 37 लाख हैक्टेयर है। निजी निवेशक न्यूनतम दस हैक्टेयर वन क्षेत्रफल का चयन कर सकेंगे। निजी निवेशक का 60 वर्ष के लिये कार्बन क्रेडिट पर अधिकार होगा। बिगड़े वनों में स्थानीय प्रजातियों को प्राथमिकता दी जायेगी और विदेशी प्रजातियों का रोपण प्रतिबंधित रहेगा। 

इसके लिये निजी निवेशक, वन समिति एवं वन विकास अभिकरण के बीच त्रिपक्षीय अनुबंध होगा और अनुबंध के बाद एक वर्ष के अंदर कार्य प्रारंभ करना होगा। वन समितियों का इसमें सहयोग होने से उन्हें भी 10 प्रतिशत कार्बन क्रेडिट मिलेगा। 

अनुबंध वाले क्षेत्र में उत्पादित वनोपज का यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य है या नहीं है तो उस पर खरीदने का प्रथम अधिकार निजी निवेशक को होगा। तीन वर्ष में अनुबंध वाले क्षेत्र में पौधों की जीवितता का प्रतिशत 75 प्रतिशत होना जरुरी होगा। वन भूमि पर निजी निवेशकों का कोई अधिकार नहीं होगा, बस वे पौधरोपण हेतु राशि दे सकेंगे।

नीति में राज्य वन विकास निगम को भी उसे मिली वन भूमि पर न्यूनतम 25 हैक्टेयर तथा भूमि का कलस्टर होने पर एक हजार हैक्टैयर क्षेत्रफल में भी निजी निवेशकों से पौध रोपण करवाने का अधिकार होगा। प्रति हैक्टेयर पौध रोपण की वर्तमान लागत 5 से 8 लाख रुपये बताई गई है।

वन निगम की स्सिेदारी 30 प्रतिशत जबकि वन समिति की 20 प्रतिशत रहेगी और निजी निवेशक की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत रहेगी तथा इसी अनुपात में वनोपज पर भी अधिकार होगा। वन क्षेत्रों में ऐसा कोई कार्य नहीं किया जायेगा जिससे स्थानीय समुदाय के अधिकारों एवं वन अधिरकार पर किसी भी प्रकार का विपरीत प्रभाव पड़े। पौधरोपण वाली वन भूमि पर वनोपज के परिवहन हेतु उपलब्ध वन मार्गों/पहुंच मार्गों की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध होगी।