गांधी जी के अनुसार-सत्याग्रह का अर्थ


स्टोरी हाइलाइट्स

गांधी जी के अनुसार-सत्याग्रह का अर्थ
सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ है सत्य के लिये आग्रह करना । सत्याग्रह के अर्थ की व्याख्या करते हुए  ने लिखा है, "इसका अर्थ सत्य पर बल देता है, यह सत्य की शक्ति है । चूँकि सत्य आत्मा है अतः यह आत्मा की शक्ति है। 

सभी प्रकार के अन्याय, अत्याचार और शोषण के विरुद्ध आत्मा की शक्ति का प्रयोग ही सत्याग्रह है।" गांधीजी ने सत्याग्रह को जीवन की एक पद्धति के रूप में स्वीकार किया है। यह एक ऐसा नैतिक अस्त्र है
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जिसका उद्देश्य विरोधियों के हृदय को बदलना है। इसका उपयोग केवल राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं किया जाता बल्कि किसी भी तरह के अन्याय, अत्याचार, शोषण, कुरीति तथा समस्या के विरोध में किया जा सकता है। 

एक तरह से यह सामाजिक न्याय की स्थापना करने का तरीका है। गांधीजी ने 'यंग इंडिया' में लिखा है कि 'सत्याग्रह मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है।" उन्होंने कहा कि परिवार से लेकर राज्य तक, जहाँ भी मनुष्य को अन्याय और असत्य का सामना करना पड़े वहाँ व्यक्ति सत्याग्रह का प्रयोग कर सकता है।

गांधी जी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उन्हें स्वयं अपने पारिवारिक जीवन में सत्याग्रह करने के मधुर अनुभव हुए थे तथा उसी का प्रयोग आज करने में मुझे विशेष आनंद की अनुभूति होती है।"गांधीजी का सत्याग्रह, रचनात्मक सोच पर आधारित है। उन्होंने कहा कि एक सत्याग्रही वही हो सकता है जिसने सत्याग्रह करने में पहले स्वेच्छा और ईमानदारी के साथ राज्य के कानूनों का पालन किया है। 

सत्याग्रह के लिये मनुष्य में अनुशासन का पाया जाना अत्यावश्यक है और यह तभी उत्पन्न होगा जब व्यक्ति राज्य के नागरिक एवं नैतिक कानूनों का पालन कर चुका हो । उसे सरकार के किसी भी कानून का विरोध करना भी पड़े तो इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि हमारे किसी कार्य से सामाजिक व्यवस्था पर बुरा प्रभाव न पड़े।