ग्रामीण क्षेत्रों के वन मार्ग की सडक़ों पर अण्डरपास बनाने से छूट देने हेतु एसीएस ने केंद्र को भेजा पत्र


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स्टोरी हाइलाइट्स

भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों व वन्यजीव कॉरीडोर में राष्ट्रीय मार्गो के निर्माण या उन्नयन हेतु मिटीगेशन मेजर्स (वन्यप्राणियों के आवागमन हेतु सडक़ के नीचे अण्डर पास बनाने) संबंधी विवरण तैयार किए गए हैं जो नेशनल हाइवे के प्रकरणों में लागू किए गए हैं..!!

भोपाल: राज्य के वन विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णमाल ने ग्रामीण क्षेत्रों के वन मार्गों पर डामरीकृत सडक़ें बनाने में अण्डरपास बनाये जाने से छूट देने के लिये केंद्रीय वन मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा है।

पत्र में कहा गया है कि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों व वन्यजीव कॉरीडोर में राष्ट्रीय मार्गो के निर्माण या उन्नयन हेतु मिटीगेशन मेजर्स (वन्यप्राणियों के आवागमन हेतु सडक़ के नीचे अण्डर पास बनाने) संबंधी विवरण तैयार किए गए हैं जो नेशनल हाइवे के प्रकरणों में लागू किए गए हैं। 

ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के वन्यजीव कॉरिडोर में आवागमन के वाहनों की संख्या नेशनल हाइवे की तुलना में काफी सीमित होती है, परंतु ऐसी कम लागत की सडक़ों के निर्माण या उन्नयन हेतु भी मिटीगेशन मेजर्स के उक्त प्रावधानों को लागू करने के कारण एक ओर जहां लागत बढ़ती है, वहीं दूसरी ओर यह व्यवहारिक भी नहीं है। 

वन्यजीव कॉरीडोर की ग्रामीण क्षेत्र की सडक़ों के संबंध में वन्यजीव कारीडोर में अन्य सुरक्षात्मक उपाय जैसे वाहनों की गति सीमित रखना तथा एक निश्चित अंतराल पर स्पीड ब्रेकर बनाना, लागत और वन्यजीव संरक्षण के लिया ज्यादा व्यवहारिक होगा। 

पत्र में अनुरोध किया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों के मार्ग निर्माण या उन्नयन हेतु भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून द्वारा नेशनल हाइवे के लिए लागू मिटीगेशन मेजर्स के स्थान पर प्रस्ताव अनुसार सुरक्षात्मक उपाय लागू करने हेतु निर्देश जारी किये जायें।

ये हैं मानक :

वन क्षेत्रों में सडक़ बनाने पर वन्यप्राणियों के आवागमन हेतु डामरीकृत सडक़ के नीचे अण्डर पास बनाने होते हैं तथा प्रत्येक किलोमीटर में एक अण्डर पास बनाने का प्रावधान है वह भी उचित-आकार-प्रकार के जिससे सभी प्रकार के वन्यप्राणी अण्डर पास से गुजर सकें।