भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में रजिस्ट्रार फॉर्म्स एंड सोसाइटीज के पद पर बी.डी. कुबेर की नियुक्ति की है, जिससे राज्य में प्रशासनिक निर्णयों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बी.डी. कुबेर, जिन पर पहले भी कई बार भ्रष्टाचार के मामले चल चुके हैं, को 3 फरवरी 2025 को उप सचिव शाश्वत सिंह मीणा द्वारा जारी आदेश के तहत रजिस्ट्रार पद का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
यह कार्यालय औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के अंतर्गत आता है, जो सीधे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अधीन है। विभाग के प्रमुख सचिव राघवेंद्र कुमार सिंह (IAS) हैं। सूत्र बताते हैं कि इन दोनों को अंधेरे में रखकर यह आदेश निकलवाया गया है। बी.डी. कुबेर, जो इससे पहले इंदौर में असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत थे, उन पर भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज हैं। सूत्रों के अनुसार, वह रीवा कार्यकाल के दौरान टर्मिनेट भी हो चुके हैं और लोकायुक्त द्वारा ट्रैप किए जाने के मामले में भी फंसे थे।
चौंकाने वाली बात यह है कि 3 फरवरी को पदभार ग्रहण करने के दिन ही बी.डी. कुबेर को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) का नोटिस मिला। तब से वह कार्यालय से गायब बताए जा रहे हैं। 13 फरवरी को ग्वालियर में अगली सुनवाई में उनके खिलाफ चालान पेश किया जाना है और उनकी गिरफ्तारी की संभावना जताई जा रही है।
इस नियुक्ति को लेकर राज्यभर में कड़ी आलोचना हो रही है। सवाल यह उठ रहे हैं कि जब बी.डी. कुबेर पर इतने गंभीर आरोप हैं, तो उन्हें क्यों नियुक्त किया गया? विभाग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि “विभाग के पास फिलहाल कोई और विकल्प नहीं था। यदि बी.डी. कुबेर के खिलाफ चालान पेश होता है, तो उन्हें सस्पेंड कर दिया जाएगा और फिर किसी नए अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी।”
विशेषज्ञों का मानना है कि इस पद के लिए ग्वालियर में तैनात असिस्टेंट रजिस्ट्रार बाबू सिंह सोलंकी पूरी तरह से योग्य थे, लेकिन उनकी अनदेखी कर बी.डी. कुबेर को नियुक्त करना प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।
राज्य सरकार की तरफ से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। मगर, यह मामला अब जनता और विपक्ष के बीच चर्चा का विषय बन गया है, जिससे मोहन यादव सरकार की साख पर असर पड़ सकता है।
आगे देखना यह होगा कि सरकार इस विवादास्पद नियुक्ति को लेकर क्या रुख अपनाती है और क्या बी.डी. कुबेर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होती है।