भोपाल। महाकाल मंदिर में एक और घोटाला हुआ है। यह सामने है लेकिन किसी को दिखाई नहीं दे रहा है। यह किसी कंपनी ने नहीं, मंदिर के उन अधिकारियों ने किया है जिन्हें मंदिर की व्यवस्था सौंपी गई थी। यदि इस मामले से पर्दा उठाया जाए तो बड़ा घोटाला सामने आएगा। यह घोटाला है थ्रीडी दिव्य दर्शन का।
भोपाल की एक कंपनी ने महाकाल मंदिर में तीन स्थानों पर दर्शन कराने की दुकान खोल रखी है। इस कंपनी के पास 70 से ज्यादा कर्मचारी हैं। कंपनी को जितना स्थान दिया गया है वह मंदिर समिति के लिए चिंता का विषय है।
मामूली सी राशि में कंपनी को बड़ा ठेका दे दिया गया है। मजेदार बात तो यह है कि जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और मंत्री भी महाकाल जाते हैं लेकिन किसी को घोटाला नजर नहीं आया। यहां तक कि किसी ने पूछा भी नहीं कि दिव्य दर्शन के नाम पर क्या हो रहा है? मंदिर समिति के सदस्य भी खामोश हैं। अब खबर तफसील से।
महाकाल मंदिर में प्रशासक भवन के बगल में मानसरोवर गेट के पास विशाल भवन बना हुआ है। इस आलीशान और सुंदर भवन में एक काउंटर लगा हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मोटा सा चश्मा पहनाया जाता है। भोपाल की कंपनी के कर्मचारी श्रद्धालुओं को घेर लेते हैं। दिव्य दर्शन की जानकारी देते हैं। बताते हैं हम आपको यहीं पर भस्मार्ती के दर्शन कराएंगे।
जब श्रद्धालु पूछता है तो उसे रेट बताए जाते हैं। अंदर के हॉल में एक बोर्ड लगा है, उस बोर्ड पर राशि लिखी हुई है। डेढ़ सौ रुपए से शुरूआत होती है। इसके बाद वे पूरा पैकेज बताते हैं। जब श्रद्धालु राजी हो जाता है तब उसे काउंटर पर ले जाया जाता है। सिर पर चश्मे वाला चौंगा पहना दिया जाता है। इसमें भस्मार्ती के दर्शन होते हैं। इसके अलावा औंकारेश्वर एवं परिक्रमा यात्रा, भीमा शंकर दर्शन, महाकालेश्वर एवं भस्मार्ती प्रीमियम दर्शन, त्र्यंबकेश्वर दर्शन, संपूर्ण उज्जैन नगर दर्शन, महाकाल सवारी एवं नागचंद्रेश्वर दर्शन, माँ शारदा देवी दर्शन और हरसिद्धि देवी दर्शन।
कुछ नहीं, सिर्फ थ्रीडी का कमाल
आपको बताया जाएगा कि भस्मार्ती के दिव्य दर्शन। ऐसा महसूस होगा कि आप भस्मार्ती में मौजूद हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है। कंपनी के वीडियोग्राफर ने पहले वीडियो बनाया और उसे थ्री-डी में कन्वर्ट कर दिया। इसमें दिव्य दर्शन जैसा कुछ भी नहीं है। थ्री-डी एक तकनीक है। इस पर कई फिल्में बन चुकी हैं। आप ऐसे दर्शन तो यू-ट्यूब पर भी देख सकते हैं। अंतर सिर्फ थ्री-डी का ही है। इसके लिए इतनी बड़ी राशि।
मोटा पैसा कमा रही है कंपनी
कपनी दिव्य दर्शन के नाम पर मोटा पैसा कमा रही है। प्रंशासन को यह नजर नहीं आ रहा है। कंपनी को भवन का पूरा परिसर दे दिया गया है। ऐसा लगता है कि यह भवन शायद कंपनी के लिए ही तैयार किया गया था। कंपनी तीन स्थानों पर चश्में लगा कर पैसा कमा रही है। इसके बदले वह मंदिर समिति को मात्र तीन लाख रुपए दे रही है।
महाकाल की दुकान एक करोड़ में
महाकाल लोक बनने के बाद यहां कई दुकानें निकाली गई हैं। २५ हजार से लेकर एक करोड़ तक की दुकानें हैं। इन दुकानों के साइज देख लें और भोपाल की कंपनी को जो स्थान दिया गया वह देख लें। पता चल जाएगा कि घोटाला हुआ है या नहीं। पांच सभागारों वाला भवन तीन लाख रुपए महीने में कंपनी को दे दिया गया। यदि यही स्थान बोली लगाकर दिया जाता तो मंदिर समिति को प्रतिमाह कम से कम 25 से 30 लाख रुपए की आय होती। सवाल यह है कि मंदिर के पूर्व प्रशासक ने इस कंपनी को यह स्थान कैसे दे दिया? कलेक्टर इस मामले की जांच कराएं। खुलेआम हो रहे इस घोटाले पर समाजसेवी आगे आएं।
कंपनी से एमओयू साइन हुआ है: जूनवाल
महाकाल मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने अक्षर विश्व को बताया कि मंदिर समिति ने भोपाल की कंपनी से एमओयू साइन किया है। वह मानसरोवर भवन के अलावा दो अन्य स्थानों पर कैमरे से दर्शन कराएगी। इसके बदले मंदिर को प्रतिमाह तीन लाख रुपए देना होंगे। यदि भीड़ बढ़ जाती है तो राशि बढ़ जाएगी।
कर्मचारी ने यह बताया
कंपनी के कर्मचारी ने बताया कि एक दिन में कम से एक हजार लोग दर्शन कर लेते हैं। भीड़ बढ़ने पर यह संख्या पांच हजार तक पहुंच जाती है। यह एक हजार संख्या सिर्फ एक स्थान की है। कंपनी के सुपरवाइजर गौरव ने अक्षर विश्व की टीम को कंपनी की जानकारी देने से इंकार कर दिया। बोला, हमारे अधिकारी भोपाल में बैठते हैं। पांच हजार संख्या बढ़ने पर मंदिर समिति को राशि दी? वह कुछ नहीं बोला।