एमएफपी पार्क से छः महीने में ही अर्चना हटाई गई, जूनियर डीएफओ गीतांजलि बनी नई सीईओ


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स्टोरी हाइलाइट्स

जिसने भी खरीदी घोटाले की फाइल खोली वह वहां से रुखसत हुआ..!!

भोपाल: लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक विभाष ठाकुर ने एक बार फिर एमएफपी पार्क की सीईओ अर्चना पटेल को हटाकर 2020 बैच की आईएफएस गीतांजलि जे को नया सीईओ बनाया। संघ के एमडी ठाकुर ने 12 महीने में तीन को बदल चुके हैं पर ना दवाईयों का समय पर प्रोडक्शन हो पा रहा है ना उसकी गुणवत्ता में सुधार हो रही। 

चर्चा है कि जिस भी सीईओ ने गुग्गल सहित रॉ मटेरियल की खरीदी में हुई गड़बड़झाला की फाइल खोली, उसे वहां से रुखसत होना पड़ा है। पहले पीजी फुलजले और अब अर्चना पटेल को एमएफपी पार्क के सीईओ पद से हटाकर मुख्यालय अटैच कर दिया गया। 

2004 बैच के आईएफएस पीजी फुलजले को नवंबर 23 में एमएफपी पार्क का सीईओ के पद पर पोस्टिंग हुई और जब उन्होंने आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने के लिए गुग्गल और अन्य रॉ मटेरियल की खरीदी में हुई गड़बड़ झाला की फाइल खोली तो उन्हें हटाकर 2018 बैच की महिला आईएफएस अर्चना पटेल को सीईओ बनाया। 

जबकि संघ में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मनोज अग्रवाल (वर्तमान में उनकी सेवाएं विभाग को वापस कर दी गई है) जैसे सीनियर आईएफएस कार्यरत थे। यानि सीनियर अफसर की कमी बताकर एमएफपी पार्क के स्थापना से अब तक की सबसे जूनियर और अनुभवहीन आईएफएस अर्चना पटेल को सीईओ बनाया गया। दिलचस्प पहले हुई है कि अर्चना पटेल के हटाए जाने की स्थिति वही निर्मित हुई, जिसके कारण फुलजले को सीईओ पद से हटाया गया। 

बताया जाता है कि सीईओ बनने के बाद पटेल 3-4 महीने तक रबर स्टाम्प के रूप में काम किया, वह जब खुद फैसला लेने लगी और गड़बड़झाले की फाइल खोलने लगी, तभी उन्हें भी हटा दिया गया। अबकी बार 2020 बैच की महिला आईएफएस गीतांजलि जे को सीईओ बनाया। 

अनुभवहीन अधिकारियों की पोस्टिंग बंद करने की कहीं साज़िश तो नहीं ?

एमएफपी पार्क बरखेड़ा पठानी में उत्पादित औषधीय की क्वांटिटी और क्वालिटी में गिरावट आई है। चर्चा है कि लघु वनोपज प्रसंस्करण केंद्र बरखेड़ा पठानी (एमएसपी पार्क) अनुभवहीन महिला अधिकारियों की पोस्टिंग के पीछे कहीं विंध्या हर्बल को बंद करने की साजिश तो नहीं चल रही है। यही वजह है कि एमएफपी पार्क बरखेड़ा पठानी में उत्पादित होने वाली औषधियों की क्वांटिटी और क्वालिटी में निरंतर गिरावट आ रही है। औषधि के गुणवत्ता को लेकर कई बार सवाल उठे। विगत वर्षों में केंद्र निरंतर प्रगतिशील रहा लेकिन पिछले 2 वर्षों में प्रशासनिक उदासीनता और गलत नीतियों से केंद्र को बहुत नुक़सान हुआ। कभी भारत के 17 राज्यों में आयुर्वेदिक दवाओं को सप्लाई करने वाले केंद्र को आयुष विभाग ने तो विंध्या हर्बल्स को ऑर्डर देना ही बंद कर दिया है। पिछले दिनों एक छोटा सा ऑर्डर इस वित्तीय वर्ष में केवल 1.8 करोड़ का आर्डर मिला है।