मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार एक बार फिर कर्ज लेने जा रही है। खबरों के मुताबिक सरकार 31 मार्च तक 25 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेगी और इसकी पहली किस्त में 5000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया जाएगा। सरकार खुद कहती है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और सब कुछ नियमों के मुताबिक हो रहा है। हालांकि, विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस संबंध में सरकार पर निशाना साधा है।
मध्य प्रदेश की सरकार 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष से पहले 25,000 करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने जा रही है। इसमें से 5,000 करोड़ रुपये का ऋण लेने की प्रक्रिया इसी महीने शुरू हो जाएगी, जबकि शेष ऋण अगले दो महीनों में चरणबद्ध तरीके से लिया जाएगा। हालाँकि, इसके पीछे सरकार के अपने तर्क हैं। उनका कहना है कि राज्य का वित्तीय प्रबंधन अच्छा है और यह सामान्य अर्थशास्त्र है।
दरअसल, मध्य प्रदेश का खजाना संभालने वाले वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा इन दिनों बजट से पहले लोगों की राय सुन रहे हैं। प्रत्येक वर्ग के सामने अपनी-अपनी मांगें हैं। इसीलिए वे खुद कहते हैं कि आगामी बजट बेहतर होगा और सभी वर्गों का ख्याल रखा जाएगा।
उनका कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है। हम लिए गए ऋण पर नियमानुसार ब्याज का भुगतान कर रहे हैं। वित्त मंत्री का कहना है कि सरकार नियमों के अनुसार ही कर्ज ले रही है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
आपको बता दें, कि MP सरकार पर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है..
मार्च 2020 में सरकार पर करीब 2.01 लाख करोड़ का कर्ज,
31 मार्च 2024 तक कुल कर्ज 3.75 लाख करोड़ होने का अनुमान,
इस वितीय वर्ष में कर्ज बढ़कर 4.21 लाख करोड़ हो सकता है,
देश के कुल कर्ज का 5 फीसदी से ज्यादा हिस्सा मध्यप्रदेश का,
कर्ज लेने के मामले में मध्यप्रदेश का देश में नौवां स्थान है,
आंकड़े बताते हैं कि राज्य का कर्ज बोझ पिछले 5 वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ा है और दोगुने से भी अधिक हो गया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि महेश्वर में कैबिनेट की बैठक में समोसे इतने महंगे थे कि सरकार को कर्ज लेना पड़ा। उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री बताएं कि कितनी पीढ़ियां इस कर्ज को चुकाएंगी। यह सारा पैसा किस पर खर्च किया जा रहा है? कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कल भोपाल में एक पुल का उद्घाटन किया गया और उसकी लागत को लेकर अलग-अलग दावे किये जा रहे हैं। सरकार को श्वेत पत्र जारी करना चाहिए ताकि राज्य की जनता को सही आर्थिक स्थिति का पता चल सके।
हालांकि, सरकारी खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा लाड़ली बहन योजना के लिए है, जिस पर हर महीने करीब 1,600 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। शेष कार्य राज्य के विकास से संबंधित हैं। हालांकि, उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 230 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के जेट विमान खरीदने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, इस अवधि के दौरान मंत्रियों के बंगलों की पेंटिंग पर 18 करोड़ रुपये और मंत्रियों के लिए एसयूवी पर 5 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
यहां यह भी देखने वाली वात है, कि राज्य में प्रत्येक व्यक्ति पर 4375 रुपए का कर्ज बढ़ा है। लेकिन सरकार का कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है। जो कुछ भी हो रहा है वह नियमों के अनुसार है।