प्रदेश के जंगलों से जैव विविधता का दोहन करके विदेश तक जा रही


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स्टोरी हाइलाइट्स

महिला डीएफओ ने बीएमसी को मजबूत करने की डीएफओ ने दी सलाह..!!

भोपाल: अपेक्स भवन में चल रहे मंथन के पहले दिन फील्ड से कई महत्वपूर्ण सुझाव आए पर इन सुझावों पर कितना अमल हो पाता है, यह भविष्य के गर्भ में है। मंथन में आई मंडला डीएफओ ऋषिभा नेताम ने महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि प्रदेश के जंगलों से बड़े पैमाने पर जैव विविधता का दोहन हो रहा है। यहां तक प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों को विदेश तक भेजा जा रहा है और हम रोक नहीं पा रहे हैं। हमें जैव विविधता के संरक्षण के लिए जैव विविधता प्रबंधन समितियां (बीएमसी) स्थानीय स्तर पर मजबूत करने की आवश्यकता है। 

महिला डीएफओ के उठाए गए मुद्दे पर अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल का कहना था कि यह ग्राम सभाओं पर छोड़ दिया जाए। वैसे भी केंद्र सरकार का जैव विविधता अधिनियम, 2002 के प्रावधानों का क्रियान्वयन मध्य प्रदेश में नहीं हो रहा है। नौकरशाही नहीं चाहती कि जैव विविधता एक्ट के नियमो का पालन हो। जैव विविधता बोर्ड में सदस्य सचिव रह चुके आरजी सोनी की माने तो यदि जैव विविधता एक्ट को लागू किया जाता है तो प्रदेश को कम से कम 1000 करोड़ की आय हो सकती है। सोनी ने अपने कार्यकाल में कोयला कारोबारी से लेकर आयुर्वेदिक दवाई निर्मित तक को नोटिस देकर लाभांश का दो प्रतिशत अंश जमा करने के लिए कहा था। 

तत्कालीन उद्योग मंत्री रहे कैलाश विजयवर्गीय ने हस्तक्षेप कर नोटिस पर कार्रवाई करने पर रोक लगवा दी थी। तब से अब तक जितने भी बोर्ड के सदस्य सचिव रहे आईएफएस अधिकारियों ने हिम्मत नहीं जुटाई। शायद यही वजह है कि महिला डीएफओ के उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दे को एसीएस वन ने नजरअंदाज कर दिया। 

यदि जैव विविधता अधिनियम, 2002 के तहत बीएमसी को सशक्त किया जाता है तो स्थानीय लोगों के साथ मिलकर जैव विविधता के संरक्षण, सतत उपयोग, और दस्तावेज़ीकरण के अलावा जैव संसाधनों के वाणिज्यिक और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल पर नियंत्रण किया जा सकता है।

अतिक्रमण के मुद्दे पर कुछ नहीं बोले एसीएस..

मंथन में वन संरक्षक आदर्श श्रीवास्तव ने प्रदेश में बढ़ते अतिक्रमण को रोकने के लिए ब्लॉक स्तरीय टास्क फोर्स बनाने का सुझाव दिया। इस सुझाव पर एसीएस वर्णवाल ने सख्त एतराज करते हुए कहा कि फिर तो पटवारी स्तर की कमेटियों की मांग शुरू हो जाएगी। एसीएस वर्णवाल कहना था कि डीएफओ कलेक्टर से समन्वय बिठाकर अतिक्रमण हटाने की दिशा में काम करें। मैं भी कलेक्टर था। एक प्रकरण में मैं भी गोली चलवाई थी। 

मंथन के बहाने इंटरेक्शन..

2 दिन के लिए बुलाएगी मंथन में आए अधिकांश आईएफएस अफसर का मानना है कि जिस तरीके से एसीएस  डीएफओ और अन्य अधिकारियों से सीधे संवाद कर रहे थे, उससे लगता है कि मंथन के बहाने इंटरेक्शन ही मुख्य उद्देश्य दिखाई दिया। सेवानिवृत्त एक सीनियर अधिकारी का मानना है, इस मंथन में चरमराती प्रशासनिक ढांचे और घटते वन आवरण क्षेत्र और बढ़ते अतिक्रमण जैसे मुद्दों पर चर्चा होनी थी। 

आज विभाग के पास एपीसीसीएफ और सीसीएफ जैसे पदों के लिए अफसर नहीं है। मुख्यालय में एक-एक अधिकारियों के पास तीन-तीन शाखाओं का प्रभार है, ऐसी परिस्थिति में शाखों को युक्तियुक्त करने की आवश्यकता है। इसी प्रकार उत्पादन वन मंडल को समाप्त करना चाहिए।