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एक घटना जिसने समीकरण बदल दिए 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Mon , 28 Nov

सार

राजनीतिक दल चाहे राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय, किसी को आलोचना बर्दाश्त नहीं है। उनका निशाना विपक्ष और मीडिया रहता है..!!

janmat

विस्तार

सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों के नेताओं को आलोचना जरा भी बर्दाश्त नहीं है। मीडिया और सोशल मीडिया पर यदि सत्तारूढ़ दलों के नेताओं के खिलाफ कुछ लिखा या बोला जाता है, तो उन पर सरकारें दमनात्मक कार्रवाई करने पर उतारू हो जाती हैं। राजनीतिक दल चाहे राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय, किसी को आलोचना बर्दाश्त नहीं है। उनका निशाना विपक्ष और मीडिया रहता है। सत्तारूढ़ दलों को आलोचना तभी तक सुहाती है, जब वह विपक्षी दलों की हो। ऐसे में सच्चाई पर पर्दा डालने के लिए राजनीतिक दलों के नेता सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल करने में कसर बाकी नहीं रखते। 

एक फिल्म साबरमती रिपोर्ट को लेकर भाजपा और केंद्र सरकार के मंत्री गदगद नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बीबीसी ने जब गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई तो न सिर्फ उसे प्रतिबंधित कर दिया गया, बल्कि आयकर विभाग ने बीबीसी पर छापे की कार्रवाई की। विक्रांत मैसी की ‘दि साबरमती रिपोर्ट’ को हरियाणा, छत्तीसगढ़ के साथ ही अब मध्य प्रदेश में भी टैक्स फ्री कर दिया गया है। इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की तारीफ के बाद राजनीतिक महकमों में भी इसकी चर्चा बढ़ गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा फिल्म को देखने के बाद इसकी सराहना की गई। 

विक्रांत मैसी की फिल्म दि साबरमती रिपोर्ट की केंद्रीय भूमिका वाली यह फिल्म 27 फरवरी, 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड पर आधारित है। गोधरा स्टेशन के पास खड़ी साबरमती एक्सप्रेस की बोगी नंबर एस-6 में आग लगा दी गई थी। अयोध्या से लौट रहे 59 हिंदू कारसेवक जिंदा जल गए थे। मरने वालों में 27 महिलाएं और 10 बच्चे भी शामिल थे। उसके बाद पूरे गुजरात में जो दंगा भडक़ा, वह आजाद भारत के सबसे भयावह दंगों में से एक था। मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। अब दि साबरमती रिपोर्ट के जरिए बड़े पर्दे पर गोधरा कांड का खौफनाक मंजर दिखा है। पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने दि साबरमती रिपोर्ट की प्रशंसा की है। गोधरा में ट्रेन जलाए जाने की भयानक घटना का परिणाम पूरे राज्य में हिंसक दंगों की शक्ल में सामने आया। पूरा गुजरात जल उठा था। केंद्र सरकार ने 2005 में राज्यसभा को बताया था कि दंगों में 254 हिंदुओं और 790 मुसलमानों की जान गई थी। कुल 223 लोग लापता बताए गए थे। हजारों लोग बेघर भी हो गए थे। 

तत्कालीन मोदी सरकार ने एक जांच आयोग का गठन किया था। उस आयोग में जस्टिस जीटी नानावटी और जस्टिस केजी शाह शामिल थे। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मारे गए 59 लोगों में से अधिकतर कारसेवक थे। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जस्टिस यूसी बनर्जी की अध्यक्षता में एक अलग जांच आयोग का गठन किया। इस आयोग ने मार्च 2006 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में इस घटना को एक दुर्घटना बताया। सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट को असंवैधानिक और अमान्य करार देते हुए खारिज कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल का गठन किया। गोधरा कांड और उसके बाद भडक़े दंगों ने भारत की राजनीति को हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया।