• India
  • Tue , Mar , 04 , 2025
  • Last Update 04:12:AM
  • 29℃ Bhopal, India

और महाकुंभ सम्पन्न 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Fri , 04 Mar

सार

महाकुंभ के निमित्त राज्य के शहरी विकास विभाग ने 76वां अस्थायी जिला बनाने पर 7,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए..!!

janmat

विस्तार

और प्रयागराज में महाकुंभ सम्पन्न हो गया।यूँ तो उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं और महाकुंभ के निमित्त राज्य के शहरी विकास विभाग ने 76वां अस्थायी जिला बनाने पर 7,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। इस शहर में 30 अस्थायी (पंटून) पुल बनाए गए, 92 सड़कों को नया रूप दिया गया, 2,700 से ज्यादा एआई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए और पानी के भीतर ड्रोन नदी पर नजर रख रहे हैं। तंबुओं वाले विशाल महाकुंभ नगर में रहने के लिए लक्जरी आवास, वाई-फाई जोन और गूगल मैप के जरिये आगंतुकों का आना-जाना आसान बनाया गया।

सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा के ऐसे इंतजाम रहे कि जो किसी भी स्थायी शहर को टक्कर देते रहे।आपातकालीन अस्पताल और ‘नेत्र कुंभ’ शिविर में लाखों लोगों की जांच हुई। गंगा-यमुना के पानी को साफ रखने के लिए नए सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र भी तैयार किए गए। 

40 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों के आने का अनुमान लगाया गया था, जो ध्वस्त हो गया। जब कोई अस्थायी महानगर बसता है तो स्थितियों के हिसाब से ढलने और टिकाऊपन से जुड़े अहम सवाल उठते हैं। यह भी पूछा जाता है कि भविष्य के शहर उस नगरी से क्या सीख सकते हैं, जो टिकेगी ही नहीं।

इस कुंभ मेले ने साबित किया है कि शहर ज्यादा तेजी से बनाए जा सकते हैं, ज्यादा स्मार्ट और लचीले भी हो सकते हैं मगर इसने चेतावनी भी दी है कि शहरी योजना को केवल माल-असबाब से जुड़ा न समझा जाए। शहर चाहे कितने भी कम समय के लिए बसाया जा रहा है, उसमें एक क्षण के लिए भी रहने वालों के प्रति उसका कुछ कर्तव्य होता है।

भविष्य के योजनाकारों को इससे  अगर कुछ सीखना है तो वह सबक यह है कि किसी शहर की सफलता को उसके कारगर होने से ही नहीं बल्कि उसमें रहने या आने-जाने वाले लोगों की हिफाजत से तथा उन्हें सुविधाएं प्रदान करने की क्षमता से आंका जाना चाहिए।

इस तरह के शहर ने पर्यावरण के प्रति कुछ असमंजस को जन्म दिया है, जिनसे चिंता होती है। सामूहिक स्नान की यह परंपरा ही उस पवित्रता को खतरे में डाल देते हैं, जिसकी तलाश में ये श्रद्धालु आये थे। यह विरोधाभास ही चौंकाने वाला है।अपने सभी विरोधाभासों के बावजूद कुंभ मेले में मिलने वाली खुशियां और दुख शहरी नियोजन और मजबूती का बड़ा सबक दे जाते हैं।