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नाराज़ नागरिक और पिटते नेता जी 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Wed , 12 Dec

सार

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर एक बार फिर किसी ने हमला किया। एक नाराज नागरिक ने पूर्व मुख्यमंत्री पर पानी फेंका, जिसे ‘आप’ नेताओं ने ‘स्प्रिट’ करार दिया। कुछ ने तेजाब जैसा ज्वलनशील माना..!!

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विस्तार

नेताओं से नारजी जो सिलसिला देश में शुरू हुआ है,  इसका आगामी घटनाक्रम गम्भीर संकेत दे रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर एक बार फिर किसी ने हमला किया। एक नाराज नागरिक ने पूर्व मुख्यमंत्री पर पानी फेंका, जिसे ‘आप’ नेताओं ने ‘स्प्रिट’ करार दिया। कुछ ने तेजाब जैसा ज्वलनशील माना।

दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बेहद उत्तेजित, पर भ्रामक आरोप चस्पा किया कि भाजपा समर्थक व्यक्ति ने केजरीवाल को जिंदा जलाने की कोशिश की, क्योंकि हमलावर के हाथ में माचिस भी थी। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने हमले का पूरा आरोप भाजपा और केंद्र सरकार पर मढ़ दिया। यह हास्यास्पद और सवालिया है कि केंद्र सरकार एक चर्चित विपक्षी नेता की मौत पर राजनीति क्यों करेगी? 

विचार कीजिए, क्या ऐसा साबित होने से देश भर में भाजपा के खिलाफ आम आदमी का रोष और गुस्सा नहीं भडक़ेगा? क्या ‘आप’ के नेता अतिशयोक्तिवाद की ही राजनीति के आदी हैं? वैसे केजरीवाल या किसी अन्य स्थापित नेता पर हमला कोई सामान्य घटना नहीं मानी जा सकती और न ही उसे हल्के में लिया जा सकता है।

एक पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा में सेंध लगाई गई है। एक सुरक्षा-व्यवस्था की दरारें स्पष्ट हुई हैं। केजरीवाल पर काली स्याही फेंक कर भी हमला किया गया था। किसी ने उन पर जूता भी उछाला था। शायद एक विक्षुब्ध नागरिक ने उन्हें थप्पड़ मारने की भी कोशिश की थी! ये तमाम हमले ‘मुख्यमंत्री केजरीवाल’ पर किए गए थे। वे आरोपी कौन थे? किसी साजिश का हिस्सा थे? अथवा केजरीवाल की राजनीति से असंतुष्ट थे? इन सवालों के ठोस जवाब अभी नहीं हैं। दरअसल पहले केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी को गरियाया करते थे, अब उनके निशाने पर गृहमंत्री अमित शाह हैं। दिल्ली में सुरक्षा-व्यवस्था की पूरी जवाबदेही गृहमंत्री की ही है, बेशक दिल्ली ‘अपराध की राजधानी’ बन चुकी है। 

अपराध के आंकड़े खुलासा करते हैं कि औसतन 3 महिलाएं हररोज बलात्कार का शिकार होती हैं। यह तो दर्ज आंकड़ों का सच है।जो वारदात दर्ज नहीं होतीं, उनके सच की कल्पना ही की जा सकती है। राजधानी में खुलेआम और अक्सर गोलियां चलती हैं, हत्याएं की जाती हैं, कुछ हत्याएं बेहद बर्बर और राक्षसी तरीके से की गईं, फिरौती-वसूली का धंधा सरेआम चल रहा है और खासकर व्यापारियों को धमकियां दी जाती हैं।

आजकल कुछ आपराधिक गिरोहों के नाम भी सुर्खियों में हैं। बहरहाल केजरीवाल पर हमले की शुरुआती जांच में पुलिस ने खुलासा किया है कि एक बोतल में करीब 500 एमएल पानी भर कर उससे हमला किया गया था। बोतल में न तो स्प्रिट थी और न ही कोई अन्य ज्वलनशील द्रव्य था। हमलावर पूर्व बस मॉर्शल था। ये सभी अपनी पक्की नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ‘आप’ और पुलिस जांच में बिल्कुल विरोधाभास हैं। 

अगले दो माह के दौरान दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा केजरीवाल और ‘आप’ की टीमें पदयात्रा कर रही हैं, घर-घर जा रही हैं। केजरीवाल की राजनीति 10 साल की सत्ता के बाद दांव पर है। जो मुद्दे 2020 के चुनावों में थे और जिन कामों, बदलावों पर केजरीवाल जनादेश मांगते रहे हैं, आज 2024-25 में भी वही मुद्दे सामने हैं।

लगभग मुफ्त बिजली, पानी, स्वास्थ्य, मुहल्ला क्लीनिक, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा आदि। केजरीवाल की ये रेवडिय़ां 2015 से हिट साबित हुई हैं। कमोबेश विधानसभा चुनाव में ‘आप’ को एकतरफा जनादेश मिलता रहा है। अब केजरीवाल और उनकी ‘आप’ पर कई सवाल हैं। दरअसल अब केजरीवाल जनता की अदालत में मौजूद हैं और उन्हें आरोपों का बिंदुवार स्पष्टीकरण देना है।