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भारत के स्वाभिमान पर हमला, फूटा मोदी का गुस्सा

सार

सैम पित्रोदा कहते हैं, कि भारत में पूर्व के लोग चीनी, दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे दिखते हैं. पश्चिमी भारत के लोग अरब जैसे तो उत्तर भारत के लोगों को सैम गोरे अंग्रेजों जैसा बताते हैं. सैम पित्रोदा जो अमेरिका में रहते हैं. क्या अमेरिका के लोगों को उनकी नस्ल और रंग के हिसाब से विभाजित करके देखने और बोलने की हिमाकत कर सकते हैं?  

janmat

विस्तार

   ओवरसीज कांग्रेस भारत में चार देशों की नस्ल देख रही है. इंसान की चमड़ी के रंग के हिसाब से नस्ल की बात भारत को ही चार हिस्सों में बांटने की विघटनकारी सोच है. सैम पित्रोदा और ओवरसीज कांग्रेस भारत के लिए सिरदर्द बन गए हैं. कांग्रेस को पित्रोदा ने जितना नुकसान पहुंचाया है, उतना नुकसान कोई विरोधी भी नहीं कर सकता है. 

    सैम पित्रोदा कहते हैं, कि भारत में पूर्व के लोग चीनी, दक्षिण भारतीय अफ्रीकी जैसे दिखते हैं. पश्चिमी भारत के लोग अरब जैसे तो उत्तर भारत के लोगों को सैम गोरे अंग्रेजों जैसा बताते हैं. सैम पित्रोदा जो अमेरिका में रहते हैं. क्या अमेरिका के लोगों को उनकी नस्ल और रंग के हिसाब से विभाजित करके देखने और बोलने की हिमाकत कर सकते हैं?  

    बुद्धिजीवी होने का दावा करने का मतलब यह नहीं हो सकता, कि वह कुछ भी कह सकते हैं. चलते लोकसभा चुनाव में सैम पित्रोदा कांग्रेस के लिए हिमालय जैसी बाधाएं क्यों खड़ी कर रहे हैं? यह समझ से पर है.

    पहले उन्होंने विरासत टैक्स के नाम पर ऐसा सजेशन दे दिया, कि कांग्रेस जवाब देने की स्थिति में नहीं रही. अब उन्होंने भारत के लोगों को चार देशों के नस्ल और रंग के साथ जोड़ दिया है. सैम पित्रोदा का यह विक्षिप्तता भरे बयान को केवल राजनीति के नजरिए से नहीं देखा जा सकता. यह भारत की अस्मिता के खिलाफ़ है. यह भारत के लोगों की ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ की भावना के खिलाफ है. यह भारत की सनातन संस्कृति के भी खिलाफ है. भारत तो अपनी धरती को शस्य श्यामला मानता है. 

    भारत के देवी-देवताओं को भी श्यामल रंग से जोड़ा गया है. भारत के सांवरे-सलौने कृष्ण की पूरी दुनिया में पूजा की जाती है. कांग्रेस ने भले ही सैम पित्रोदा के शर्मनाक बयान से किनारा कर लिया हो. कागज पर उनसे ओवरसीज कांग्रेस से त्यागपत्र ले लिया हो, लेकिन सैम पित्रोदा कांग्रेस के विचारों से कभी अलग नहीं हो सकते और ना ही कांग्रेस सैम पित्रोदा के विचारों से कांग्रेस अलग हो सकती है. 

    सैम पित्रोदा का यह वक्तव्य नशे और बेहोशी की हालत में नहीं दिया गया है. यह सोच-समझकर दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है. भारत जब से एक हो रहा है. जब से भारत में एकता की भावना बढ़ रही है, राष्ट्र के प्रति भारतीयों की अवेयरनेस बढ़ती जा रही है. राजनीतिक जागरूकता का नया दौर शुरू हुआ है, तब से कांग्रेस को कोई राजनीतिक ठौर मिलता नहीं दिख रहा है.

    कांग्रेस दशकों से ऐसे मुद्दे की तलाश में है, जिससे कि वह अपनी राजनीतिक जमीन वापस पा सके. देश की एकता और देश के लोगों में एकजुटता की भावना कांग्रेस के हितों के खिलाफ लगती है. चाहे विभाजन धर्म के आधार पर चाहे विभाजन नस्ल के आधार पर हो, चाहे विभाजन चमड़ी के रंग के आधार पर हो, कांग्रेस ऐसा मानती है, कि हर विभाजन देश की एकता को कमजोर करेगा. जैसे-जैसे यह एकजुटता कम होगी वैसे-वैसे भारत में बढ़ रही राजनीतिक एकजुटता भी कम होगी और उसका स्वाभाविक लाभ कांग्रेस अपने पक्ष में मानती है.

    सैम पित्रोदा के बयान के बाद भारत में आई प्रतिक्रियाएं राजनीतिक जागरूकता और राष्ट्रीय एकता को प्रदर्शित कर रही हैं. देश ने पहली बार पीएम मोदी के गुस्से को देखा है. सार्वजनिक सभा में PM ने इस तरह के नस्लभेदी और रंगभेदी बयान को भारतीयों का अपमान बताते हुए कहा, कि पहली बार वह बहुत गुस्से में हैं. यह गुस्सा मजबूत नए भारत का है. यह गुस्सा उस भारत का है, जो दूसरे देश में घुसकर दुश्मन को सबक सिखाने की ताकत रखता है. यह गुस्सा जन्मभूमि की साधना के लिए है. वतन के विरोधियों के खिलाफ है.यह गुस्सा भारत की उन ताकतों के खिलाफ है जो विदेशी ताकतों के सहारे भारत को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं. नया भारत जब गुस्से में आता है, तो फिर उसका मुकाबला करने की शक्ति अच्छी-अच्छी ताकतों के पास भी नहीं है.

    कथित बुद्धिजीवियों के इस तरह के विघटनकारी वक्तव्य को मीडिया में महत्व देना भी उनकी मंशा में सहयोग करना ही होगा. विदेशी सोच वाले बुद्धिजीवी और राजनेता इंसान के रंग के हिसाब से ही निर्णय करते हैं. लुटियन दिल्ली और सामान्य दिल्ली के लोगों में अंतर और उनकी सोच में अंतर साफ-साफ देखा जाता है. भारत की राष्ट्रपति आदिवासी महिला हैं.अगर उनको रंग के आधार पर विश्लेषित किया जाएगा तो क्या यह भारत का अपमान नहीं होगा.

    चार विदेशी नस्लों से भारत के लोगों की तुलना करके यह कहने की कोशिश की जा रही है, कि भारत में सब एक नहीं हैं. भारत को पहले भी ऐसी ही सियासत में उत्तर दक्षिण क्षेत्र प्रांत, पंथ और भाषा के नाम पर बांटकर राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश की गई. तुष्टिकरण और जातियों में बांटने की राजनीति भारत की सबसे बड़ी त्रासदी है. यही विभाजन की राजनीति कही जा सकती है.

    सैम पित्रोदा अगर भारत को एक और श्रेष्ठ भारत के भाव से सोचते तो ऐसा विघटनकारी विचार कभी नहीं देते. भारत की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है. सप्तपुरियों की कल्पना भारत की संस्कृति में ही है. सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन और सनातन है. सैम पित्रोदा भारत की भाषा में सोचते, तो वह ऐसा भी कह सकते थे, कि अफ्रीकी लोग दक्षिण भारतीयों की तरह दिखते हैं, चीनी पूर्वी भारतीय और अरब लोग पश्चिम भारतीय लोगों जैसा दिखते हैं. 

    भारतीय सभ्यता का डीएनए भी पूरी दुनिया में ट्रेवल कर सकता है. क्योंकि ओवरसीज कांग्रेस के विचार भारत को चार देशों के डीएनए से तुलना कर विभाजन को बढ़ाना है. इसलिए ऐसी अशोभनीय और अपमानजनक टिप्पणी राष्ट्र को लेकर की जा रही है. कांग्रेस पार्टी ने तो पित्रोदा के बयान पर कोई गुस्सा नहीं दिखाया है. केवल इस्तीफा देकर औपचारिकता निभाई है. ताकि राजनीतिक नुकसान को रोका जा सके. सोशल मीडिया पर सैम पित्रोदा की विघटनकारी सोच को पुरजोर गालियां दी जा रही हैं.

    भारतीय नस्ल और उनके रंग को दूसरे देश से जोड़ना भारत की जन्मभूमि और जन्मदाताओं का अपमान है. सैम पित्रोदा अगर इस्लामिक राष्ट्रों के लिए इस तरीके की सभ्यता और संस्कृति पर हमला करने वाली टिप्पणी करते तो अब तक फतवा के शिकार हो जाते. कितने लेखक विचारक हैं, जिनके सिर कलम करने तक के फतबे जारी किए गए हैं. भारत की सहिष्णुता उसकी कमजोरी नहीं है, बल्कि इसी ताकत से भारत ने अपना मुकाम हासिल किया है. 

    राजनीतिक मुकाम के लिए भारत को नुकसान पहुंचाने की विदेशी साजिशें अब सफल नहीं हो पाएंगी. कोई भी गुलामी अब भारत को स्वीकार नहीं है. कांग्रेस भले ही ओवरसीज बीमारी का शिकार हो, लेकिन ओवरसीज विचार, ओवरसीज चिंतन-मनन भारत की सोच से मेल नहीं खाते.

    भारत में राजनीति के लिए भारत की भाषा में सोचना होगा. भारत की संस्कृति में जीना होगा. भारत की जन्मभूमि में अपनी जड़ों को तलाशना होगा. विघटन का ओवरसीज केरोसीन माचिस लगाने पर भी अब शायद भारत में जल नहीं सकेगा. कांगेस के लिए यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, कि ‘सैम ऑफ कांग्रेस शेम फॉर भारत देश’ बन गए हैं.