प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी को 14 वर्ष की सत्ता विरोधी लहर पर सवार किएर स्टॉमर की लेबर पार्टी के साथ-साथ कंजर्वेटिव पार्टी के ही धुर दक्षिणपंथी खेमे से बनी रिफॉर्म पार्टी का भी सामना करना पड़ रहा है| पार्टियां अपने-अपने घोषणापत्र जारी कर रही हैं और एक-दूसरी की घोषणाओं की समीक्षा और आलोचना कर रही हैं..!!
ब्रिटेन में संसद की 650 सीटों के लिए चार जुलाई मतदान होना है, उम्मीदवार घर-घर जाकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं| ब्रिटेन के हिंदू समुदाय ने भी पहली बार चुनावी वाद-विवाद के इस समर में कूदते हुए 32 पृष्ठों का एक घोषणापत्र जारी किया है| इसमें रखी गयीं सात मांगों में ब्रिटेन में हिंदू विरोधी नफरत या हिंदूफोबिया का संज्ञान लेना और उसकी रोकथाम करना तथा हिंदू मंदिरों की सुरक्षा प्रमुख हैं| यह घोषणापत्र ‘हिंदूज फॉर डेमोक्रेसी’ नामक संस्था ने जारी किया है, जो ब्रिटेन में सक्रिय स्वामीनारायण संस्था, चिन्मय मिशन और विश्व हिंदू परिषद जैसे 15 हिंदू संगठनों का परिसंघ है|
प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी को 14 वर्ष की सत्ता विरोधी लहर पर सवार किएर स्टॉमर की लेबर पार्टी के साथ-साथ कंजर्वेटिव पार्टी के ही धुर दक्षिणपंथी खेमे से बनी रिफॉर्म पार्टी का भी सामना करना पड़ रहा है| पार्टियां अपने-अपने घोषणापत्र जारी कर रही हैं और एक-दूसरी की घोषणाओं की समीक्षा और आलोचना कर रही हैं|
अभी तक ब्रिटेन का मुस्लिम समुदाय ही घोषणापत्र जारी कर अपनी राजनीतिक मांगे रखता आया है| उसकी मांगों में भी इस्लाम विरोधी नफरत या इस्लामोफोबिया का संज्ञान लेते हुए उसकी रोकथाम का संकल्प और भरोसा जीतने तथा राजनीतिक समावेश सुनिश्चित करने के लिए इस्लामी समुदाय के साथ सार्थक मेल-मिलाप प्रमुख हैं| ब्रिटेन की लगभग 500 मुस्लिम संस्थाओं और मस्जिदों का प्रतिनिधित्व करने वाली ब्रिटिश मुस्लिम परिषद की मांग है कि सभी पार्टियां इस्लामोफोबिया की उस परिभाषा को आधार बनाकर रोकथाम की नीतियां बनायें, जो 1917 की सर्वदलीय संसदीय समिति ने सुझायी थी|
समिति की रिपोर्ट के अनुसार मुसलमानों की राजनीतिक ताकत है, जो आबादी के साथ-साथ तेजी से बढ़ रही है. साठ के दशक के प्रारंभ में ब्रिटेन की मुस्लिम आबादी लगभग 50 हजार थी, जो अब लगभग 40 लाख हो चुकी है|बरमिंघम के 30 प्रतिशत लोग मुस्लिम हैं और लंदन में मुस्लिम आबादी 15 प्रतिशत से अधिक है| ब्रैडफर्ड के एक और बरमिंघम के दो संसदीय क्षेत्रों की आधी या उससे ज्यादा आबादी मुस्लिम हो चुकी है| ब्रिटेन के 24 संसदीय क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी 20 प्रतिशत से अधिक है और 80 संसदीय क्षेत्रों में 10 प्रतिशत से अधिक है। यह आबादी मुख्यतः लंदन तथा मध्य और उत्तरी इंग्लैंड के शहरी इलाकों में केंद्रित है, जहां उसके समर्थन के बिना चुनाव जीतना संभव नहीं है।
मुस्लिम समाज को यह चिंता है कि इराक और सीरिया के युद्धों और हाल में हमास के हमले से शुरू हुई गाजा की लड़ाई के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर इस्लामोफोबिया फैल रहा है। हिंदू समाज को उस हिंदूफोबिया को लेकर चिंता है, जो हिंदू उत्सवों, कारोबारों और मंदिरों पर होने वाले हमलों और स्कूलों में हिंदू बच्चों को तंग करने के रूप में दिखाई देता है। भारत में मोदी सरकार बनने के बाद से कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की तरह ब्रिटेन में भी ऐसे हमले बढ़े हैं।
भंग हुई संसद में 19 मुस्लिम सांसद थे. हिंदू किसी पार्टी के लिए मुस्लिम समुदाय की तरह एकजुट भी नहीं होते। फिर भी, संख्या बल और अर्थ बल की दृष्टि से हिंदू समुदाय का प्रभाव इतना हो चुका है कि अब उसकी बात को अनसुना नहीं किया जा सकता. इसीलिए कुछ कंजर्वेटिव सांसदों ने हिंदूफोबिया का संज्ञान लेने और उसकी रोकथाम की मांग को स्वीकार कर लिया है।