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डिब्बाबंद भोजन: बुढ़ापे को जल्दी आमंत्रण

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Mon , 21 Dec

सार

सूचना माध्यमों के जरिये तुरत-फुरत के खाने के विज्ञापनों का इतने आक्रामक ढंग से प्रचार किया जाता है कि बच्चे क्या, बड़े भी डिब्बाबंद खाने के मुरीद होने लगते हैं..!!

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विस्तार

पश्चिम की तरफ़ भागते भारत के लिए यह  वक्त की विडंबना है कि आय बढ़ने के साथ लोगों ने घर में बने खाने की बजाय डिब्बाबंद प्रसंस्कृत खाने को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है। सूचना माध्यमों के जरिये तुरत-फुरत के खाने के विज्ञापनों का इतने आक्रामक ढंग से प्रचार किया जाता है कि बच्चे क्या, बड़े भी डिब्बाबंद खाने के मुरीद होने लगते हैं। यह जानते हुए कि यह उनकी सेहत पर भारी है। जब घर के बड़े-बुजुर्ग इससे बचाव की सलाह देते हैं तो वे इसे पुरातनपंथी सोच करार दे देते हैं। 

इसके विपरीत डिब्बाबंद खाने की मुहिम चलाने वाले पश्चिमी देशों को भी अब अहसास हो चला है कि डिब्बाबंद खाने से समय से पहले बुढ़ापा दस्तक देने लगता है। खानपान की पश्चिमी संस्कृति के वाहक इटली में हुए एक शोध ने विकसित देशों को भी नींद से जगाया है। इटली के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी के एक हालिया शोध ने फिक्र बढ़ाने वाला निष्कर्ष दिया है कि डिब्बाबंद भोजन के जरूरत से ज्यादा सेवन से व्यक्ति का शरीर समय से पहले बूढ़ा हो जाता है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि इसके सेवन से हमारे शरीर की कोशिकाएं और ऊतक समय से पहले वृद्ध होने लगते हैं। 

यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करता है तो बुढ़ापा जल्दी आएगा। इस शोध में करीब साढ़े बाइस हजार लोगों को शामिल किया गया। निष्कर्ष में पाया गया कि अधिक मात्रा में जंक फूड व प्रसंस्कृत भोजन का उपभोग करने वाले लोगों की जैविक उम्र अधिक दर्ज की गई। वैज्ञानिकों का दावा है कि हमारे खाने में शामिल प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ के मुक्त कण अन्य स्वस्थ अणुओं के विरुद्ध प्रतिक्रिया देते हैं। चिंता की बात यह है कि ये न केवल डीएनए व आरएनए बल्कि प्रोटीन को भी नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे समय से पहले ही शरीर की कोशिकाएं मरने लगती हैं, अंतत: शरीर समय से पहले बूढ़ा होने लगता है।

आशंका जतायी जा रही है कि रासायनिक पदार्थों द्वारा संरक्षित डिब्बाबंद खाना हमारे शरीर में सूजन भी पैदा कर सकता है। इतना ही नहीं कालांतर व्यक्ति मोटापा, हृदय रोग, दूसरी श्रेणी के मधुमेह व गठिया जैसे रोगों का भी शिकार हो सकता है। दरअसल, खाद्य पदार्थों का बाजार चलाने वाली कंपनियों की कोशिश होती है कि खाने को देर तक संरक्षित किया जाए। खाद्यान्न को प्रसंस्कृत करने के लिये सुरक्षित रखने वाले रासायनिक पदार्थों व सोडियम का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। 

इसके अलावा अधिक मात्रा में चीनी तथा शरीर के लिये नुकसानदायक रसायन, वसा व कार्बोहाइड्रेट भी खाने को देर तक चलने लायक बनाने के लिये इस्तेमाल किए जाते हैं। जो आखिरकार हमारी सेहत से खिलवाड़ ही करते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियां अधिक मात्रा में स्टार्च का भी प्रयोग करती हैं। ये कालांतर शरीर में शूगर बढ़ने से मधुमेह का खतरा पैदा कर सकती हैं। अधिक तेल भी सेहत के लिये घातक होता है। 

सेहत वैज्ञानिक लंबे अरसे से कहते रहे हैं कि डिब्बाबंद खाना व जंकफूड शरीर में मोटापा बढ़ाता है। दरअसल, इसमें विद्यमान ट्रांस फैट कालांतर शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देता है। इससे बाद में कई तरह के रोग पैदा हो जाते हैं। विशेषकर दिल के रोगों के लिये यह घातक साबित हो सकता है। एक अध्ययन बताता है कि हाल के वर्षों में भारतीयों के खाने में डिब्बाबंद भोजन का हिस्सा बढ़ा है। एक भारतीय रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि नई पीढ़ी घरों में खाना बनाने के बजाय डिब्बाबंद खाने को तरजीह दे रही है। जो कालांतर गैर संक्रामक रोगों को ही बढ़ावा देता है। 

विडंबना यह कि मां-बाप के मना करने के बावजूद नई पीढ़ी के किशोर व बच्चे डिब्बाबंद खाने और फास्ट फूड को अपना मुख्य भोजन बना रहे हैं। यही वजह है कि बड़ी उम्र में होने वाले लाइफस्टाइल के रोग अब बच्चों व किशोरों में भी होने लगे हैं। निश्चित ही इटली में हुआ शोध हमारी आंख खोलने वाला होना चाहिए। लोगों को डिब्बाबंद भोजन से परहेज करने के लिये जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।