भारत में कृष्ण जन्माष्टमी महापर्व भव्यता के साथ मनाया जा रहा है. भगवान कृष्ण के जन्म और कृष्ण लीला के स्मरण के साक्षी भाव से अभिभूत भारतीय मन, व्रत, उपवास और मंदिरों में रमा हुआ है. भारत में एक ओर भव्य कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है तो दूसरी ओर सनातन पर इंडिया में तनातनी रुकने का नाम ही नहीं ले रही है..!
एक धर्म को समूल नष्ट करने की राजनीतिक दुर्बुद्धि को सद्बुद्धि के लिए प्रयास करने की बजाए नई-नई गलतियां दोहराई जा रही हैं. सनातन धर्मी जहां अपने धर्म के अपमान का पुरजोर विरोध कर रहे हैं वहीं कथित सेक्युलर इंडिया के लोग सनातन धर्म पर आक्षेप से बाज नहीं आ रहे हैं. तमिलनाडु से शुरू विवाद में कर्नाटक के मंत्री भी शामिल हो गए हैं. बिहार में तो आरजेडी के नेता ने सनातन धर्म की तिलक लगाने की परंपरा पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. एक तरफ सनातन को गाली दी जा रही है तो दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि संविधान खतरे में है. संविधान को बदला जा रहा है. संविधान बचाने के नाम पर कांग्रेस सहित विपक्षी दल गठबंधन बनाने को जायज ठहरा रहे हैं.
संविधान देश के लोकतांत्रिक शासन की नियमावली ही है. जिस सभ्यता-संस्कृति और आस्था के नागरिकों को शासित करने के लिए संविधान बना है क्या वह उस देश की संस्कृति और सभ्यता से अलग हो सकता है? संविधान तो संस्कृति की पुनरावृत्ति है. संविधान अपने आप में धर्म सम्मत होता है. यदि कोई संविधान को महत्व देता है तो धर्म को महत्व प्राप्त हो जाता है. संविधान और संस्कृति एक है. कोई भी एक को नष्ट करता है तो दूसरा खुद ही नाश हो जाता है.
राजनीति के मद में चूर आत्मघाती लोग सनातन संस्कृति पर हमला कर रहे हैं. संविधान के नष्ट होने जैसी कोरी कल्पना की राजनीति कर रहे हैं. सनातन संस्कृति में राम हैं तो रावण भी हैं. कृष्ण हैं तो कंस भी हैं. सनातन को समूल नष्ट करने की सोच रखने वाले रावण और कंस की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. सनातन के विरुद्ध तमिलनाडु से शुरू हुआ शंखनाद लंका दहन और कंस के वध के साथ ही समाप्त होगा. विज्ञान ने साबित किया है कि डीएनए कभी नहीं बदलता. डीएनए भी सनातन है. इसमें राम का डीएनए है कृष्ण का डीएनए है तो रावण और कंस के डीएनए की भी वंश परंपरा चल ही रही होगी.
बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने सनातन पर इंडिया गठबंधन के राजनीतिक हमले के जवाब में भारत के संविधान की मूल प्रति पत्रकारों को दिखाई. उन्होंने कांग्रेस के नेताओं से सवाल करते हुए कहा कि भारतीय संविधान सनातन की बुनियाद पर खड़ा हुआ है. संविधान की मूल प्रति के पृष्ठों पर सनातन संस्कृति के प्रतीक अंकित हैं.
संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकार के पृष्ठ पर भगवान राम द्वारा लंका विजय के बाद अयोध्या पहुंचने का चित्र प्रकाशित है. संविधान के नीति निर्देशक तत्व के पृष्ठ पर भगवान कृष्ण द्वारा महाभारत में अर्जुन को उपदेश देने के चित्र हैं. संविधान की मूल प्रति के पृष्ठों पर हनुमान और नटराज के भी चित्र प्रकाशित हैं. सनातन संस्कृति जाति-संप्रदाय से ऊपर की धारा है. इसीलिए संविधान में अकबर के चित्र को भी स्थान दिया गया है. भारत के जो लोग संविधान को खतरे में बताते हैं उनको यह जरूर बताना चाहिए कि संविधान का कौन सा चरित्र बदला जा रहा है? केवल खतरा कहकर लोकतंत्र ख़त्म करने की सोच को सनातन सफल नहीं होने देगा.
भारतीय बुद्धिमत्ता और राजनेताओं की विरासत कितनी समृद्ध थी इसका सबसे बड़ा उदाहरण भारत का संविधान है. उसी विरासत के कुछ भटके हुए वंशज आज सनातन धर्म को समूल नष्ट करने की बात कर रहे हैं. कुछ लोग उनका समर्थन कर रहे हैं. कुछ लोग उनके साथ गठबंधन कर रहे हैं. ऐसे लोगों का अपने पूर्वजों के इतिहास सोच और राष्ट्रीयता से संपर्क टूट सा गया है.
भारतीय संविधान की मूल प्रति जिसमें सनातन संस्कृति की चेतना, भगवान राम, भगवान कृष्ण, हनुमान और नटराज के चित्र हैं उस पर संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल और मौलाना आजाद सहित संविधान सभा के सभी विद्वानों के हस्ताक्षर हैं. इन्हीं महान नेताओं को अपनी विरासत बताने वाले राजनीतिक दल के लोग सनातन धर्म को समूल नष्ट करने के राजनीतिक विचार के साथ खड़े हुए दिखाई पड़ रहे हैं तो यह देश का दुर्भाग्य नहीं है बल्कि इन नेताओं और उनके राजनीतिक दलों का ही दुर्भाग्य कहा जाएगा.
ना चाहते हुए भी सनातन धर्म राजनीति में घसीटा गया है. तो इस पर आर पार की राजनीति होना स्वाभाविक है. कांग्रेस राम मंदिर का ताला खुलवाने को अपने हिंदूवादी होने के प्रमाण के रूप में हमेशा बताती है. जनेऊ प्रदर्शन सनातन संस्कृति के प्रतीकों की पूजा अर्चना, आरती के दावे और दिखावे सनातन धर्म को समूल नष्ट करने के राजनीतिक प्रयास के मौन समर्थन और गठबंधन में धुल गए हैं.
धर्म से पथभ्रष्ट होकर भौतिक जीवन में कुछ हासिल भी हो गया तो जीवन अशांत ही रहेगा. धर्म जीवन का अनुशासन है. जब जीवन के अनुशासन को ही नष्ट कर दिया जाएगा तो फिर भौतिक जीवन की कोई भी उपलब्धि किस काम की रह जाएगी? सनातन को गाली देकर कांग्रेस को सत्ता की कुछ बूँदें मिल भी जाएंगी तो वह बुलबुला ही साबित होंगी. विश्व में नया ऑर्डर बन रहा है. इकोनामिक और कल्चरल इंटीग्रेशन हर देश में नया रूप ले रहा है. भारत भी इस क्षेत्र में नेतृत्व की नई धारा के रूप में उभरा है. देश का जो भी राजनीतिक दल इस इंटीग्रेशन को तोड़ने के जाल में फंसेगा उसकी बुनियाद कमजोर ही होती जाएगी.