अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख 22 जनवरी 2024 भारत की सांस्कृतिक आजादी की तारीख बन जाएगी. 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र राष्ट्र और 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र राष्ट्र बनने के बाद अब सांस्कृतिक राष्ट्र की पहचान के साथ भारत की आजादी को पूर्णता मिल गई है..!!
स्वतंत्र और गणतंत्र राष्ट्र के दिन ही सांस्कृतिक राष्ट्र का उदय होना था लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद भारत ने अपनी सांस्कृतिक आजादी को हासिल करने में सफलता पाई है. कोई भी राष्ट्र कितनी भी भौतिक प्रगति कर ले अगर उसकी सांस्कृतिक चेतना बिखरी हुई है तो राष्ट्र में उल्लास और आनंद की अनुभूति बहुत मुश्किल होती है. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में हो रही है लेकिन भारत का घर-घर और जन-जन आह्लादित और उत्साहित है. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का दिव्य और भव्य समारोह विश्व के कई रिकॉर्ड भी तोड़ने जा रहा है.
भारत का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जिसका इस समारोह में प्रतिनिधित्व नहीं होगा. पूरे समारोह पर दुनिया की नजर है. गिनीज बुक रिकॉर्ड के लोग भी अयोध्या में बनने जा रहे रिकार्ड को अपने साथ जोड़कर रखने के लिए अयोध्या जरूर पहुंचेंगे. अगर आप पहले कभी अयोध्या गए हैं तो प्राण प्रतिष्ठा के बाद आपको अयोध्या को देखने के लिए फिर से जाना पड़ेगा क्योंकि वह अयोध्या बदल गई है, जिसे आपने कभी देखा था.
पुरानी अयोध्या प्रभु श्रीराम की स्मृतियों से सजी और विवादों में घिरी हुई थी. नई अयोध्या उनकी स्मृतियों की सांस्कृतिक चेतना को नए भाव के साथ दिव्य मंदिर और विकसित अयोध्या में जीवंत रूप से समेटे हुए है. नृत्य-संगीत, कला, विज्ञान, मीडिया, सिनेमा, खेल और राजनीति के प्रतिनिधि सब प्रभु श्रीराम के बारे में नए-नए सृजन कर रहे हैं. साधु संत महात्मा ऋषि मुनि तो अपने आराध्य के साथ 24 घंटे आस्था के साथ पहले ही जीवन व्यतीत कर रहे थे. वे अब नए भारत को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने पर बल दे रहे हैं.
राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह इतना विशाल और इतना भव्य होगा कि इस समारोह में हर सनातनधर्मी शामिल होने की इच्छा रखता है लेकिन हालातों और परिस्थितियों को भी उसे समझना है. राम मंदिर का संघर्ष सदियों से चल रहा है. त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के समय भी विरोधी और नकारात्मक परिस्थितियां विद्यमान थी, जब भगवान राम को विरोधियों का सामना करना पड़ा था. तब फिर राम मंदिर के निर्माण में वर्तमान में जो लोग भूमिका निभा रहे हैं, उनके विरोध में अगर आवाज़ सुनाई पड़ रही हैं तो इसे कोई आश्चर्य नहीं माना जाना चाहिए.
जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा की तिथि करीब आती जा रही है वैसे-वैसे राजनीतिक बयानबाजी भी गति पकड़ती जा रही है. जब मंजिल मिल जाती है तब रास्ते की थकान भूलना स्वाभाविक है. इसलिए राम मंदिर के लिए बलिदान और कुर्बानियों को बिना भूले हुए भारत की सांस्कृतिक एकता की बुनियाद को नए सिरे से स्थापित और मजबूत करना है.
राममंदिर भी राजनीति की दो विचारधाराओं के बीच में संघर्ष का विषय बन गया है. एक विचारधारा का नेतृत्व भाजपा कर रही है तो दूसरी विचारधारा का नेतृत्व कांग्रेस और उसके सहयोगी दल करते दिखाई पड़ रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन के समय भी ऐसा ही माहौल था जैसा अभी प्राण-प्रतिष्ठा के समय देखा जा रहा है. राम भक्तों को पहले भी कष्ट उठाने पड़ रहे थे और आज भी रामभक्तों को कष्ट पहुंचाने की भावना प्रबल दिखाई पड़ रही है.
प्रभु श्रीराम के बाल रूप नूतन विग्रह को श्रीराम जन्म भूमि पर बन रहे नवीन मंदिर भूतल के गर्भ गृह में विराजित करके प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. ऐसा लगता है अयोध्या में यह अवसर देश में अभूतपूर्व आनंद का वातावरण बनाएगा. भारत में मंदिरों के वैभव के दिन लौट आए हैं. प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पर देश के सभी मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित कर शंखध्वनि, घंटानाद, आरती और प्रसाद वितरण के आयोजन जन-जन को उनकी आस्था से जोड़ने का महत्वपूर्ण अवसर बनेगा.
भारतीय जीवन ‘जय श्री राम’ से शुरू हो कर ‘हे राम’ और ‘राम नाम सत्य है’ पर पूर्ण होता है. राम भारत के जनजीवन के आधार हैं. परस्पर मिलन में राम-राम और जय सियाराम के अभिवादन के पीछे भारतीय संस्कृति का यही भाव है कि हर इंसान के अंतर्मन में राम हैं. अभिवादन में एक दूसरे का नाम और प्रतीकों का उपयोग करने की बजाय अंतर्मन के राम के अभिवादन की भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम का ही प्रतीक है.
चुनाव की राजनीति ‘नकार और स्वीकार’ पर ही केंद्रित है. इसी को मजबूत करने के लिए राजनीतिक दल सभ्यता और संस्कृति को भी इस नजरिये से देखने और समझने लगते हैं. राम मंदिर के निर्माण पर विश्व के दूसरे देशों में रहने वाले भारतवंशी समारोह से जुड़ने के लिए बेताब दिखाई पड़ रहे हैं. अमेरिका के टाइम स्क्वायर पर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का लाइव प्रसारण भारतवंशियों को अयोध्या की अनुभूति देगा. विश्व के बाकी देशों से भी ऐसी ही उत्साहजनक खबरें आ रही हैं.
भारत में जरूर राम मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा पर भी राजनीति होती दिखाई पड़ रही है. मूर्ति के स्वरूप, पुरानी मूर्ति पर सवाल और आमंत्रण पत्र वितरण के साथ ही इस पर भी राजनीति हो रही है कि प्राण-प्रतिष्ठा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों क्यों कराई जा रही है? भारतीय संस्कृति हकदार को उसका हक देने की पक्षधर है. मंदिर निर्माण में बाधाओं को दूर कर आज अगर मंदिर बन पाया है और भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का दिव्य अवसर आया है तो उसके लिए देश के प्रधानमंत्री को श्रेय दिया ही जाना चाहिए. प्राण प्रतिष्ठा के कई यजमान होंगे उनमें से प्रधानमंत्री भी एक यजमान रहेंगे.
राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को लोकसभा और राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष को भी प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आमंत्रण दिया गया है. राष्ट्रीय दल के नाते कांग्रेस के अध्यक्ष और दोनों सदनों में उनके नेता आमंत्रित किए गए हैं लेकिन अभी तक उनकी ओर से इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में वे शामिल होंगे अन्यथा नहीं होंगे? भारतीय संस्कृति के प्रतीक राम मंदिर को राष्ट्रमंदिर के रूप में स्थापित करने के लिए यदि सभी राजनीतिक दल पुराने विरोध और गतिरोध को दरकिनार कर शामिल होते हैं तो भारत के लिए बड़ा गौरवपूर्ण दिन होगा. राम मंदिर को वोटों की राजनीति से दूर रखना चाहिये.
प्राण प्रतिष्ठा समारोह दूरदर्शन द्वारा सीधे प्रसारित किया जाएगा. देश के सारे चैनल भी इसका सीधा प्रसारण करेंगे. प्राण प्रतिष्ठा के दिन सायंकाल सूर्यास्त के बाद घरों के सामने देवताओं की प्रसन्नता के लिए दीपक जलाने और दीपमालिका सजाने के साथ करोड़ों घरों में दीपोत्सव की तैयारियां भी चल रही हैं.
राममंदिर सदियों तक सनातन धर्म की एकता का प्रतीक बना रहेगा. रामायण और राम कथा में सनातन धर्म की सभी जातियों की आस्था प्रतिबिंबित होती है. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी एवं देवी अहिल्या के मंदिर भी बनाए जा रहे हैं. राम मंदिर के चारों कोनों पर भगवान सूर्य, शंकर, गणपति, देवी भगवती, हनुमान एवं अन्नपूर्णा का मंदिर भी निर्मित किया जा रहा है. राम मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप भी भारतवासियों को अपनी संस्कृति और आस्था पर गर्व करने का अवसर प्रदान करेगा.
श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भक्ति एवं भजन की लहर पूरे देश में चल रही है. प्रधानमंत्री स्वयं भजन गायकों के भजनों को ट्वीट कर रहे हैं. श्री राम मंदिर के निर्माण की बाधाओं को दूर करने में भूमिका नहीं होने पर भी दिव्य और भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का आनंद और उल्लास मनाने से पीछे रहने वाले अपने भीतर के राम को कष्ट ही पहुंचाएंगे. भारत के सांस्कृतिक स्वाभिमान और राष्ट्रीय गौरव के महाभियान में योगदान राष्ट्रऋण की भरपाई करेगा.