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हर क्षण बढ़ते साइबर अपराध

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Mon , 21 Dec

सार

भारत जहां विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, मगर दूसरी तरफ अपराधी भी अपना तकनीकी विकास कर धड़ल्ले से लोगों की मेहनत की कमाई उड़ा रहे हैं..!!

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विस्तार

यह युग तकनीकी व साइबर विकास का है, प्रौद्योगिक क्रांति का है। अनेक कार्य तकनीक की सहायता से सुगम हो चुके हैं। सभी कार्य आसानी से घर बैठे सम्पन्न हो जाया करते हैं। बाजार की पहुंच भी घर तक सुनिश्चित हो चुकी है, लेकिन इसी क्रम में अपराधियों की पहुंच भी सीधे घर तक हो गई है। पलक झपकते ही अपराधी अपने मंसूबों को अंजाम दे डालते हैं। भारत जहां विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, मगर दूसरी तरफ अपराधी भी अपना तकनीकी विकास कर धड़ल्ले से लोगों की मेहनत की कमाई उड़ा रहे हैं। तकनीक में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध ने लोगों की निजी जानकारी और सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। 

साइबर अपराध के कई प्रकार हैं, चाहे वो जानकारी चोरी करना हो, हैकिंग हो, फिशिंग हो, वायरस फैलाना हो, सॉफ्टवेयर पाइरेसी, फर्जी बैंक कॉल, सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अफवाह फैलाना व साइबर बुलिंग इत्यादि हो। इस प्रकार के अपराधों में निरंतर वृद्धि चिंताजनक है। जिस देश का प्रधानमंत्री स्वयं मन की बात जैसे देशव्यापी कार्यक्रम के माध्यम से चिंता व्यक्त कर इससे बचने हेतु आगाह कर रहा हो, सोचिए वो कितनी बड़ी समस्या बनती जा रही है। 

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में साइबर क्राइम के 65893 मामले देश भर में दर्ज किए गए हैं। साल 2021 में 52974 मामले दर्ज किए गए थे। इस तरह एक साल के दौरान साइबर अपराध में 24.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इनमें भी करीब 65 फीसदी मामले धोखाधड़ी के ही हैं। यानी 65893 मामलों में 42710 धोखाधड़ी के मामले हैं, जबकि 3648 मामले जबरन उगाही के हैं। 2023 व 2024 में भी स्थिति कोई संतोषजनक नहीं, बल्कि ये छलांग मार कर तेज गति से बढ़ रहे हैं। भारत में उभरती साइबर सुरक्षा चुनौतियों के लिए निरंतर नवाचार और तत्परता की आवश्यकता है। 

साइबर सुरक्षा में विशेषज्ञता रखने वाली संस्थाओं और स्टार्टअप्स के साथ साझेदारी करने से नए विचार और विशेष विशेषज्ञता सामने आ सकती है। यह समग्र दृष्टिकोण न केवल व्यवसायों और व्यक्तियों की सुरक्षा करेगा, बल्कि भारत के डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र विकास में भी योगदान देगा। भारत भर में एक परेशान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें साइबर धोखाधड़ी ग्रामीण इलाकों में सीमित डिजिटल जानकारी रखने वाले लोगों से लेकर शहरी इलाकों में तकनीकी रूप से दक्ष लोगों तक को अंधाधुंध तरीके से निशाना बना रही है। 

भारत आज भले ही डिजिटल विकास के छोर पर आकर बैठा है, लेकिन कंपनियों को सुनिश्चित करना है कि वे डिजिटल विकास से आने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं भी या नहीं। ऐसा करने का एकमात्र तरीका यह सुनिश्चित करना है कि कंपनी व बोर्ड के एजेंडे में साइबर सुरक्षा सर्वोपरि हो ताकि डिजिटल संग्रह की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। भले मानने योग्य है कि जागरूकता की कमी है, लेकिन हैकर सब कुछ इस तरीके से करते हैं कि आपकी जागरूकता धरी की धरी रह जाती है। इसमें सुरक्षा उपायों की कमी महसूस होती है। 

सरकार व प्रशासन अपने स्तर पर हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इसका सबसे महत्वपूर्ण व आवश्यक इलाज जागरूकता ही प्रतीत होती है। साइबर अपराध एक सामान्य शब्द है जो कंप्यूटर, नेटवर्क या डिजिटल उपकरणों के किसी अन्य सेट का उपयोग करके की जाने वाली असंख्य आपराधिक गतिविधियों का वर्णन करता है। साइबर अपराध को साइबर अपराधियों द्वारा की जाने वाली अवैध गतिविधियों की विशाल श्रृंखला के अंतर्गत माना जाता है। इनमें हैकिंग, फिशिंग, पहचान की चोरी, रैनसमवेयर और मैलवेयर हमले, कई अन्य शामिल हैं। 

साइबर अपराध की पहुंच कोई भौतिक सीमा नहीं जानती। अपराधी, पीडि़त और तकनीकी अवसंरचना दुनिया भर में फैली हुई है। व्यक्तिगत और उद्यम स्तर पर सुरक्षा कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ, साइबर अपराध कई रूप लेता है और लगातार विकसित होता रहता है। 

बदले में, साइबर अपराधों की प्रभावी जांच, मुकदमा चलाने और उन्हें रोकने की क्षमता कई गतिशील चुनौतियों के साथ एक सतत लड़ाई है। साइबर अपराध व्यक्तियों, व्यवसायों और सरकारी संस्थाओं के लिए एक गंभीर खतरा हैं और इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान, प्रतिष्ठा को नुकसान और रिकॉर्ड से समझौता हो सकता है।

जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ती है और अधिक से अधिक लोग मानक संचालन के लिए डिजिटल उपकरणों और नेटवर्क पर निर्भर होते हैं, साइबर अपराध का खतरा बढ़ता जा रहा है। इनसे बचाव के लिए कदम उठाना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। साइबर अपराधों से जुड़ी कुल लागत और जोखिम लगातार बढ़ रहे हैं। इसलिए रोकथाम प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों को लगातार लागू करने, निगरानी करने और अपग्रेड करने की आवश्यकता भी बढ़ रही है। 

विदेशी विरोधियों, आतंकवादियों और रोजमर्रा के घोटालेबाजों के बीच, साइबर हमले ज्यादा चालाक और ज्यादा परिष्कृत होते जा रहे हैं। व्यक्तियों, व्यवसायों और सरकारी संस्थाओं को साइबर अपराध को सुरक्षा प्रणालियों में घुसपैठ करने और संवेदनशील डेटा में घुसपैठ करने से रोकने के लिए सक्रिय उपाय करने चाहिएं। जबकि कुछ साइबर अपराध रोकथाम रणनीतियां हमलावरों को रोकने में दृढ़ हैं, इन पहलों का समर्थन करने में मदद करने के लिए आधुनिक तकनीकों की एक नई लहर भी आई। इसके बावजूद सचेत होकर कार्य करने की जरूरत है।