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मर्यादा की भक्ति भूमि बनाएगी पुरुषोत्तम

सार

भारत की भक्ति भूमि अयोध्या में फिर से भगवान श्री राम के जन्म जैसा आनंद है. उल्लास की अविरल धारा बह रही है. रामलला के जन्म स्थान पर दिव्य श्रीराम मंदिर बनकर तैयार है. दुनिया से अयोध्या धाम पहुंचने के लिए पुष्पक विमान उतारने के लिए विमानतल तैयार है. अयोध्या का रेलवे स्टेशन ‘अयोध्या धाम’ कहलाने लगा है..!!

janmat

विस्तार

हर अयोध्यावासी स्वमेव अपने आराध्य राम से जुड़ गया है. धर्मपथ और रामपथ रामचरित मानस का प्रतिबिंब बन गए हैं. सरयू के घाट रामलला के स्पर्श की अनुभूति दे रहे हैं. राम जन्मभूमि के लिए संघर्ष करने वाली दिवंगत आत्माएं स्वर्ग लोक में दिव्य और भव्य राममंदिर का दर्शन कर के साक्षात दर्शन के लिए मनुष्य रूप में भारत भूमि पर जन्म की कामना कर रही हैं. 

अयोध्या के इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया है. 14 वर्ष के वनवास के बाद ऋषियों मुनियों और तपस्वियों को राक्षसों से मुक्त कराकर भगवान राम का पुष्पक विमान जैसे अयोध्या में उतरा था वैसे ही नए विमानतल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विमान उतरेगा. 

विमानतल का दृश्य ऐसा ही नजारा प्रस्तुत कर रहा है कि जैसे रामायण काल में भगवान दशरथ के महल में उनकी चारों रानियां और चारों पुत्र चहल कदमी कर रहे हों. विमानतल को इस ढंग से सजाया गया है कि भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को जिया जा सके. अयोध्या धाम का हर घर हर निवासी गौरव से अनुभूत है. आस्था और विश्वास की धरोहर के रूप में तीर्थयात्रियों को सर्वसुविधा उपलब्ध कराने के लिए अयोध्या के निवासियों को बहुत कुछ त्यागना पड़ा है. उसके बाद भी उनके चेहरे पर भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की आभा चमकती हुई देखी जा सकती है.

इस भूमंडल पर भक्ति में भारत देश श्रेष्ठ है. भारत आध्यात्मिकवादी देश है. ब्रह्मविद्या की भूमि है. भक्ति की भूमि है. भारत में भगवान के जितने अवतार हुए उतने किसी अन्य देश में नहीं हुए. त्रेता युग में भगवान राम ने अयोध्या धाम में अवतार लेकर भारत का कल्याण किया. भगवान राम ने मर्यादा का जो जीवन जिया वही भारत की संस्कृति है, परंपरा है. जीवन के हर रिश्ते की मर्यादा का पाठ भगवान राम के जीवन से सीखा जा सकता है. पिता की आज्ञा का पालन, मातृप्रेम, भातृस्नेह, साधु-संत सन्यासियों की रक्षा, अनायायियों का विनाश और मित्रता की परिभाषा भगवान राम के जीवन से सीखी जा सकती है.

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आज भारत के कण-कण में खुशी और उल्लास लेकर आया है. इसका कारण यह है कि सदियों से भारत भगवान राम की भक्ति में लीन रहा है लेकिन राम की जन्मभूमि विवादों में बनी रही है. भारत के इतिहास के साथ भगवान राम के इतिहास को भी बदलने की कोशिश की गई. राम जन्मभूमि के मंदिर को मस्जिद में बदला गया. सदियों से राम जन्मभूमि को मुक्त करने के लिए जन आंदोलन और कानूनी संघर्ष चलता रहा. आजाद भारत में भी यह लड़ाई लगातार चलती रही. कई पीढियों ने खुद को बलिदान कर दिया. राम मंदिर निर्माण की अभिलाषा  में कई लोगों ने अपना जीवन समाप्त कर दिया. 

बाबरी मस्जिद का विध्वंस कारसेवकों पर गोली चालन और ऐसी तमाम सारी घटनाएं आज जेहन में आ रही हैं लेकिन इन सबको इतिहास समझ कर अब भव्य और दिव्य भारत की प्राण प्रतिष्ठा का जो समय आया है उसका उल्लास और आनंद उठाने से किसी को भी पीछे नहीं रहना चाहिए.

रामजन्मभूमि आंदोलन राजनीति का भी शिकार हुआ. सेकुलरिज्म के नाम पर राम जन्मभूमि को मुक्त नहीं किया गया. जैसे मंजिल मिल जाने पर रास्ते की पीड़ा तकलीफ को भुला देती है वैसे ही राम मंदिर का दिव्य स्वरुप देखकर हर भारतवासी और सनातनधर्मी यही महसूस कर रहा है कि जैसे भगवान राम ने अयोध्या धाम में पुनर्जन्म ले लिया है. 

आस्था और धर्म के मामलों में राजनीति को अच्छा नहीं कहा जाएगा लेकिन राममंदिर के मामले में अगर राजनीतिक दल शामिल न होते तो शायद भव्यराम मंदिर बन भी नहीं पाता. लोकतंत्र में जब हर मतदाता आस्था और विश्वास पर ही जीता है तो फिर उसकी धार्मिक आस्था और विश्वास को लोकतंत्र से अलग करके कैसे देखा जा सकता है? राममंदिर की कालजयी उपलब्धि बीजेपी की भी कालजयी उपलब्धि बन गई है. 

चुनावी घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण की लगातार घोषणा की गई. राम जन्मभूमि के संघर्ष में कई राज्य सरकारों को गंवाया गया. विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा अन्य सनातन धर्म से जुड़े संगठनों ने बहुत लंबा संघर्ष किया. सबसे बड़ी सुखद बात यह रही कि देश की सर्वोच्च अदालत में राम जन्मभूमि को मंदिर के लिए उपलब्ध कराया.

धार्मिक आस्थाएं अलग-अलग हो सकती हैं लेकिन यह भारत की ही उपलब्धि है कि सभी भारतीयों ने सनातन धर्म की आस्था के केंद्र अयोध्याधाम में मंदिर निर्माण में किसी न किसी रूप में योगदान दिया. ऐसे अनेक किस्से समय-समय पर सामने आते हैं जिसमें यह देखा जाता है कि दूसरे धर्म के लोग भगवान राम के विग्रह के लिए वस्त्र निर्माण कर रहे हैं. अयोध्या धाम में सांप्रदायिक सौहार्द भी बेमिसाल रहा है.

देश की बुनियाद से जुड़ा राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का दिव्य और भव्य आयोजन हो और उसमें भी राजनीति का पुट ना आए ऐसा कैसे संभव है? यद्यपि मंदिर का निर्माण श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा कराया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर का लोकार्पण और रामलला की मूर्ति की गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान पूरा करेंगे. इस अवसर पर भव्य समारोह में भारत और दुनिया भर से प्रतिष्ठित लोग शामिल  होंगे.

इस पर भी विवाद चल ही रहे हैं कि किसको निमंत्रण मिला किसको नहीं मिला. भगवान राम के मंदिर के लिए प्राण प्रतिष्ठा के दिवस पर सबको तो निमंत्रण नहीं मिल सकता लेकिन भारतीय संस्कृति तो ऐसा मानती है कि भगवान मन में बसते हैं. हम मंदिर जाकर भगवान के दर्शन भले कभी-कभार ही करते हों लेकिन भगवान 24 घंटे हमें निहारता है. ऐसा एक भी क्षण नहीं कि जब भगवान इस जीव को ना देखता हो. भारतीय संस्कृति काम, क्रोध, मद,लोभ, स्वाद, बोल, रस रंग-गंध और जीवन के हर आयाम में ईश्वर का दर्शन करती है.

अयोध्या धाम सनातन धर्म का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र बनने जा रहा है जहां जीवन में एक बार दर्शनकर पुण्यलाभ की अभिलाषा पूरी करना हर सनातनीधर्मी के जीवन का लक्ष्य होगा. दूसरे धर्म के आस्था के केंद्र भारत के बाहर हैं लेकिन भारत की आस्था का केंद्र भारत में ही अयोध्या काशी और मथुरा हैं. इन आस्था केन्द्रों को विवादों में ना मालूम क्यों बनाए रखा गया है? 

अयोध्या तो विवाद से मुक्त हो गया है. भव्य राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. राममंदिर की प्रतिष्ठा श्रेष्ठ और भव्य भारत की प्राण प्रतिष्ठा के रूप में भविष्य के भारत की नीव रखेगा. भारतीय संस्कृति मानती है कि हर अच्छे काम का कोई ना कोई माध्यम होता है. राममंदिर का इतिहास भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ से लिखा जा रहा है. शांति सद्भाव और विकास के साथ भारतीयता का नया अध्याय अयोध्या धाम से शुरू होगा ऐसा हर भारतवासी का अखंड विश्वास है