वर्तमान में शब्द कबूतरबाजी की जगह ‘डंकी रूट’ एक चर्चित हो चुका है। डंकी रूट यानी किसी देश में गैर कानूनी तरीके से प्रवेश करना, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी व ब्रिटेन जैसे देश भारतीय युवाओं की पहली पसंद हैं, जिन्हें विदेश जाने के लिए उनको वीजा नहीं मिलता तो ऐसे युवाओं को डंकी रूट के तहत बिना किसी दस्तावेज व वैध वीजा के अवैध तरीके से विदेश पहुंचाने के हसीन ख्वाब कुछ ऐजेंट दिखाते हैं, युवाओं को गैर कानूनी तरीके से विदेश भेजने के लिए कबूतरबाजी, डंकी रूट व फिश रूट जैसी अवैध तरकीबें अपनाते हैं..!!
ज़ोर से तो नहीं परंतु देश में धीमे-धीमे यह बात चल रही है कि यूएसए से भारतीय नागरिकों के निर्वासन पर सियासी मंथन होना चाहिए युवा वर्ग डंकी रूट के तहत विदेश जाने को मजबूर क्यों है?
वर्तमान में शब्द कबूतरबाजी की जगह ‘डंकी रूट’ एक चर्चित हो चुका है। डंकी रूट यानी किसी देश में गैर कानूनी तरीके से प्रवेश करना। अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी व ब्रिटेन जैसे देश भारतीय युवाओं की पहली पसंद हैं। जिन्हें विदेश जाने के लिए उनको वीजा नहीं मिलता तो ऐसे युवाओं को डंकी रूट के तहत बिना किसी दस्तावेज व वैध वीजा के अवैध तरीके से विदेश पहुंचाने के हसीन ख्वाब कुछ ऐजेंट दिखाते हैं। युवाओं को गैर कानूनी तरीके से विदेश भेजने के लिए कबूतरबाजी, डंकी रूट व फिश रूट जैसी अवैध तरकीबें अपनाते हैं।
डंकी रूट का संचालन करने वाले एजेंटों का कारोबार ज़ोरों पर है। डंकी रूट के एजेंटों का नेटवर्क भी युवा वर्ग के इर्द-गिर्द घूमता है। नशा माफिया की तरह डंकी रूट के संचालकों का भी अपना एक निर्धारित क्षेत्र है। नशे के सरगना व डंकी रूट के एजेंट तथा टै्रवल एजेंसियां अपनी अरबों रुपए की अवैध सम्पत्तियाँ बना चुकी हैं।
अमेरिकी प्रशासन अवैध रूप से रह रहे भारतीय प्रवासी युवाओं को शातिर अपराधियों की तरह हथकडिय़ों व बेडिय़ों में जकडक़र जिस तरीके से अपमानित करके निर्वासित कर रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हैरत की बात है कि बेगुनाह प्रवासी भारतीय युवाओं से अपराधियों जैसा व्यवहार करने वाली अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों की इस कारवाही पर मानवाधिकारों की वकालत करने वाले भी खामोश हैं।
देश में कोई भी मुद्दा हो राजनीति तेज हो जाती है।बिना पुख्ता कागजात के अमेरिका से निर्वासित हुए भारतीय नागरिकों पर भी दोनों सदनों में खूब हंगामा हुआ। विपक्ष के हंगामे के बाद विदेश मंत्री ने अमेरिका से वापिस किए गए लोगों के आंकड़े सदन के समक्ष रखे तो ज्ञात हुआ कि वर्ष 2009 में 734, साल 2010 में 794 , सन् 2011 में 597 तथा सन् 2012 में 530 भारतीयों को अमेरिका ने अवैध प्रवासी बताकर अपने मुल्क से बाहर किया था। यूएसए सहित कई देशों में भारतीय नागरिक नस्लीय भेदभाव का शिकार अमेरिका से भारतीय युवाओं के निर्वासन होते हैं। विदेशों में पढऩे वाले छात्रों की हत्याएं की जाती हैं। डंकी रूट के तहत विदेशों में गए सैंकड़ों भारतीय युवा कई देशों में सलाखों के पीछे हैं। डंकी रूट डैथ रूट भी साबित हो रहा है।