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गांधीवाद: अहिंसा, न्याय और स्वतंत्रता

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Fri , 22 Feb

सार

शहीदी दिवस भारतीय स्वाधीनता के लिए महात्मा गांधी के अभूतपूर्व प्रयासों, आंदोलनों के माध्यम से भारतीय जनमानस को एकजुट होने और उनके बलिदान की स्मृति में श्रद्धांजलि देने के दिन के रूप में महत्व रखता है..!!

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विस्तार

और भारत सहित कई देशों ने बीते कल शहीदी दिवस मनाया । यह दिवस भारतीय स्वाधीनता के लिए महात्मा गांधी के अभूतपूर्व प्रयासों, आंदोलनों के माध्यम से भारतीय जनमानस को एकजुट होने और उनके बलिदान की स्मृति में श्रद्धांजलि देने के दिन के रूप में महत्व रखता है। आज का दिन अहिंसा, सत्य और न्याय के प्रति उन मूल्यों के महत्व को रेखांकित करता है, जिनका बापू जी ने मृत्यु पर्यन्त पालन किया था। 

वैसे 30 जनवरी का दिन उन शहीदों के सम्मान के रूप में भी मनाया जाता है जिन्होंने नए भारत के निर्माण के लिए अपना बलिदान दिया था। नवीन भारत के अस्तित्व को साकार रूप देने में गांधी जी की भूमिका और वैश्विक मंच पर उनका प्रभाव उन्हें भारतीय इतिहास में एक महान व्यक्तित्व बनाता है, जो अहिंसा, न्याय और स्वतंत्रता की खोज में नैतिक साहस और अहिंसक प्रतिरोध की शक्ति का प्रतीक भी है। 

1910 के दशक के प्रारंभ से 1947 तक का गांधीवादी कालखंड भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में एक महत्वपूर्ण समय था। मोहनदास करमचंद गांधी के नेतृत्व और सिद्धांतों की विशेषता के कारण उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है। यह उपाधि बंगाली कवि, लेखक और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी। गांधी जी ने जीवन भर जिन सिद्धांतों का पालन किया और सिखाया, उनमें अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह, शरीराश्रम, अस्वदा, अभय, सर्व-धर्म-समानत्व, स्वदेशी और अस्पृश्यता निवारण प्रमुख हैं। 

गांधी जी की नेतृत्व शैली का मतलब सत्ता पर काबिज होना नहीं था, बल्कि दूसरों को सशक्त बनाना और आगे बढ़ाना था। उनका दृढ़ विश्वास था कि अहिंसा सबसे बड़ा हथियार है और हमें अहिंसा की भावना को अवश्य समझना चाहिए और जहां तक संभव हो, हिंसा से दूर रहकर मानवता का पालन करना चाहिए। 

विद्यार्थियों के लिए उनकी सबसे बड़ी सीख थी कि ‘जिएं इस तरह से जैसे कि आपको कल ही मर जाना है और सीखें इस तरह से जैसे आपको सदा जीवित रहना है।’ गांधीवाद में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और जरूरत के मुताबिक उपभोग पर जोर दिया गया है। गांधी दर्शन में स्वदेशी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने को प्राथमिकता दी गई है। गांधीवादी विचारधारा में सत्याग्रह के सिद्धांत को अपनाया गया है। 

गांधी जी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार आज भी हमारे दिलो-दिमाग में बसे हुए हैं। हमारी युवा पीढ़ी को भी चाहिए कि वे महात्मा गांधी के विचारों और उनके नेतृत्व गुणों के बारे में स्वयं अध्ययन करें जरूरत इस बात की भी है कि युवा पीढ़ी उनके बताए मार्ग एवं सिद्धांतों का अनुसरण करे।