कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के एक वायरल वीडियो ने I-N-D-I-A गठबंधन पर इतनी कठोर टिप्पणी के लिए मजबूर किया है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो में मल्लिकार्जुन खड़गे यह कह रहे हैं कि ‘मोदी जी को अगर और ताकत मिलती है तो इस देश में फिर सनातन धर्म और आरएसएस की हुकूमत आएगी’ यह वीडियो पुराना बताया जा रहा है लेकिन विपक्षी गठबंधन की दुकान का नाम जिस दिन सामने आया था उसी के साथ ही खड़गे का यह वीडियो वायरल होने लगा.
गठबंधन के उद्देश्यों में लोकतंत्र और संविधान को बचाने के दावे की असलियत इस वीडियो से सामने आ गई है. I-N-D-I-A (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) ना तो लोकतंत्र के लिए बना है ना ही संविधान की रक्षा उसका दृष्टिकोण है. उसका मौलिक लक्ष्य सनातन धर्म समर्थक शासन को हटाकर अपनी सियासी धर्म की सत्ता स्थापित करना है. कांग्रेस पार्टी का कोई भी नेता सनातन धर्म पर इतना घृणास्पद वक्तव्य कैसे दे सकता है? भारतीय राजनीति में 60 सालों से अधिक समय तक सत्ता से आबाद कांग्रेस और विपक्षी दलों को इतने कम समय में ही ऐसे क्या कष्ट हो गए कि सरकार को सनातन धर्म समर्थक बताकर देश को मुगलों और अंग्रेजों की विभाजनकारी स्थिति में पहुंचाने में जुट गए हैं?
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भारतीय संविधान पंथनिरपेक्ष शासन व्यवस्था का संविधान है. जनादेश से सत्तासीन किसी भी व्यक्ति को किसी एक धर्म से जोड़कर दूसरे धर्म को डराना या तुष्ट करना चुनावी अपराध जैसा कृत्य है. विभिन्न धर्मावलंबियों को सियासी धर्म में बांटना राष्ट्र के साथ अपराध कहा जाएगा. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ऐसा ही अपराध किया है.
किसी भी सरकार या नेता को सनातन धर्म से जोड़कर उसे कमजोर करने की साजिश क्या जनादेश के साथ राजनीतिक साजिश नहीं कहीं जाएगी? इस देश में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की राजनीति आज अपने चरम दौर में पहुंच चुकी है. इसी धार्मिक सोच पर आजादी के समय देश के विभाजन का इतिहास आज भी भूला नहीं जा सका है.
आजादी के बाद 60 सालों तक इसी पार्टी ने देश में शासन किया है. तुष्टिकरण के नाम पर विभाजनकारी नीतियों पर चलते हुए शासन की मलाई चाटने की कांग्रेसी राजनीति 2014 में जनादेश ने उखाड़ फेंकी. जब तुष्टिकरण और सेक्युलर पॉलिटिक्स की तथ्यात्मक पोलें खुलने लगीं तब घबराहट और अस्तित्व के खतरे से आशंकित दलों और नेताओं ने इंडिया नाम से गठबंधन कर लिया.
यूपीए का I-N-D-I-A, ईस्ट इंडिया जैसा देश विरोधी विनाशकारी कदम साबित होगा. साधु के भेष में शैतान जैसी गतिविधियों ने इस देश में धर्म और समाज का बहुत बड़ा नुकसान किया है. I-N-D-I-A नाम से साधु का भेष बनाकर देश की सत्ता को हथियाने के शैतानी हथकंडे पहले भी कई बार नकारे गए हैं. सोशल मीडिया में विपक्षी गठबंधन का I-N-D-I-A नाम रखने पर बहुत ही सुंदर टिप्पणी देखने को मिली, जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान अपना नाम यूएसए करने पर विचार कर रहा है ताकि वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाए.
सेम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है लेकिन विपक्षी गठबंधन ने सेम TEST मैरिज की शुरुआत कर दी है. इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन जिस कांग्रेस के खिलाफ चला था उसी की गोद में केजरीवाल झूला झूलने पहुंच गए.
सनातन धर्म को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है. सनातन धर्म आज दुनिया में विज्ञान के विकास का आधार बना हुआ है. मुगलों और अंग्रेजों ने सनातन धर्म के नॉलेज को नष्ट नहीं किया होता तो आज भारत में ऐसी आवाज उठाने का किसी में साहस ही नहीं होता. सनातन धर्म ‘फ्रीडम आफ स्पीच’ का प्रतीक है. सहिष्णुता ही सनातन की बुनियाद है.
सेक्युलर के नाम पर अगर ‘इंक्लूसिव डेवलपमेंट’ किया गया होता तो आज गठबंधन के नाम में इसको शामिल करने की जरूरत नहीं पड़ती. सेक्युलर शासन के नाम पर न केवल हिंदूवादियों को दोयम दर्जे पर रखा गया बल्कि मुस्लिमों को भी गरीबी के चक्र में ही जीने के लिए मजबूर किया गया. कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन मुस्लिम तुष्टिकरण की सियासत से अपना घर भरने का सफर कब तक चलाते रहेंगे? भारत में हिंदुत्व को भी बदनाम किया जा रहा है. चुनावी हिंदू बनकर मुस्लिम समुदाय में वजूद कायम रखने के लिए हिंदुत्व की सहिष्णुता और सनातन धर्म को उनकी नजरों में गिराने में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है.
भारत को श्रेष्ठ और मजबूत बनाए रखने के लिए नेताओं पर भरोसा करना शायद बड़ी गलती होगी. विपक्षी दल बीजेपी को तो सनातन धर्म की समर्थक और मुस्लिम समुदाय का विरोधी स्थापित कर राजनीतिक हित साधना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस को मुस्लिमों के लिए किये गए उनके शासनकाल में काम का जवाब तो देना पड़ेगा.
सेक्युलर राजनीति में मुस्लिमों की बेहतरी के लिए क्या किया गया है? यह समझने के लिए ताजा अध्ययन काफी हैं. इनके मुताबिक मुस्लिम आज देश का सबसे अशिक्षित और निर्धन समुदाय है. मुस्लिमों को यह समझने की जरूरत है कि आजादी के 70 सालों में 60 सालों तक सेक्युलरिज्म के लंबरदारों की सरकारों में ‘मुस्लिम फर्स्ट’ के दावों के बावजूद इस वर्ग के लोगों के ये हालात क्यों हैं.
पहला अध्ययन ऑल इंडिया डेटा इन्वेस्टमेंट सर्वे द्वारा किया गया है. दूसरा अध्ययन पीरियाडिक लेबर फोर्स का है. ये अध्ययन इस सच्चाई को उजागर करते हैं कि मुस्लिम हितैषी सेक्युलर होने का दिखावा करने वालों ने मुस्लिमों की बेहतरी की बजाए उनका आर्थिक शोषण ही किया है. मुस्लिमों के लिए चिंता की बात है कि राजनीतिक दलों के नकली सेक्युरिज्म ने मुस्लिमों को अधिक नुकसान पहुंचाया है. राजनीतिक चालों से ही मुस्लिमों को समाज में साजिश के तहत अलग-थलग रखा जा रहा है.
आज मुस्लिम समाज में सेक्युलरिज्म के झंडाबरदरों की पोल खुल रही है. मुस्लिम समाज राजनीतिक मामले में खुले मन से आगे बढ़ रहा है तो फिर विपक्षी गठबंधन का नाम बदलकर 'इंक्लूसिव डेवलपमेंट' का नया चारा डाला गया है. हर चीज का एक दौर होता है. मुद्दों का भी दौर होता है. तुष्टिकरण का दौर अब नहीं बचा है. अब समानता और विकास के लिए नई सोच के साथ आगे बढ़ने का समय चल रहा है. चाहे आर्थिक समानता की बात हो चाहे सभी के लिए एक समान कानून की बात हो, भारत अब समानता की दौड़ से पीछे नहीं हट सकता.
मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर आजादी के समय पाकिस्तान बना था. वही सोच अब भारत में नया पॉलिटिकल पाकिस्तान बनाकर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना चाहती है. मल्लिकार्जुन खड़गे के वायरल वीडियो ने कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन के वास्तविक मंसूबों को उजागर कर दिया है. विभाजन की पॉलिटिकल सोच राजनीतिक दलों को सत्ता दिलाने में सफल नहीं हो सकेगी. राजनीतिक लोग जितनी जल्दी यह समझ लें उतना ही जल्दी उनका भला होगा. असली इंडिया तो नए इंडिया के रास्ते पर चल पड़ा है.