कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का दावा है कि भाजपा 200 सीटें भी जीत नहीं पाएगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तो इस हद तक बयान दे रहे हैं कि भाजपा 140 सीटों को भी तरस जाएगी..!
आगमी 4 जून यह तय करेगी देश में चल रही विभिन्न कल्याण योजनाओं का स्वरूप क्या होगा? बड़े बड़े लोकलुभावन वादे देश को कहां ले जाकर छोड़ेंगे? कांग्रेस नेता राहुल गांधी जगह-जगह कह रहे हैं कि 4 जून के बाद प्रधानमंत्री मोदी इस पद पर नहीं रहेंगे। भाजपा और उससे जुड़े लोग 2029 तक मोदी का कोई विकल्प नहीं है मानकर चल रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का दावा है कि भाजपा 200 सीटें भी जीत नहीं पाएगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तो इस हद तक बयान दे रहे हैं कि भाजपा 140 सीटों को भी तरस जाएगी।
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष एवं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आकलन है कि भाजपा 195 सीटों तक सिमट जाएगी। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पहले ही अपना गणित बता चुके हैं कि भाजपा 220-230 सीटें ही जीत सकती है। विपक्ष के ऐसे दावों की हुंकार भरी जा रही है और वह लगातार देश को आश्वस्त करने में जुटा है कि उसने एक आंतरिक सर्वे कराया है, जिसके मुताबिक ‘इंडिया’ गठबंधन 300 से अधिक सीटें जीत रहा है।
किसका अनुमान सही निकलेगा ४ जून को साफ़ हो जाएगा। अभी और तब सवाल यही रहेगा की कल्याण योजनाए कैसे और कौनसी चलेगी। जैसे श्री खडग़े ने एक प्रेस वार्ता के दौरान यह वायदा भी किया कि यदि ‘इंडिया’ की सरकार बनी, तो 80 करोड़ से अधिक उन गरीबों को 10 किलोग्राम अनाज प्रति माह मुफ्त दिया जाएगा, जिन्हें अभी 5 किलो मुफ्त अनाज मिल रहा है।
सबको पता है सरकारी खजाने पर 2 लाख करोड़ रुपए की सबसिडी का बोझ पहले से ही है, लिहाजा 10 किलो अनाज बांटने पर वह दोगुनी हो जाएगी। दिलचस्प है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने यह नया जुमला उछाला है, जबकि पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने ही रायबरेली की जनसभाओं में इस योजना पर सवाल उठाते हुए जनता से पूछा है कि आपको रोजगार चाहिए या 5 किलो मुफ्त अनाज…?
राहुल गांधी समेत कांग्रेस के बड़े नेता भी इस योजना पर सवाल उठाते रहे हैं कि क्या 80 करोड़ से अधिक भारतीय इतने गरीब हैं कि यदि उन्हें मुफ्त अनाज न मिले, तो वे भूखों मर सकते हैं? इस योजना के 10 किलो तक विस्तार पर कांग्रेस में रणनीतिक विरोधाभास क्यों हैं? क्या नेतागण आपस में विमर्श नहीं करते? कांग्रेस का चुनाव घोषणा-पत्र भी इस मुद्दे पर बिल्कुल खामोश है, लिहाजा कई कांग्रेसी खडग़े की घोषणा से हैरान भी हैं !
कांग्रेस अध्यक्ष ने, सपा अध्यक्ष की मौजूदगी में, नए वायदे की घोषणा तब की है, जब चार चरणों में 378 लोकसभा सीटों पर मतदान सम्पन्न हो चुका है और 164 सीटों पर मतदान ही शेष है। 70 प्रतिशत से अधिक जनादेश तय होकर ईवीएम में दर्ज हो चुका है। जिन 164 सीटों पर मतदान अभी शेष है, 2019 के चुनाव में उनमें से 97 सीटें भाजपा ने जीत कर हासिल की थीं।
इस बार के आम चुनाव में अब विपक्ष के भीतर ऐसा कौनसा ‘सुपर विश्वास’ जाग उठा है कि उसने जीत के दावों की बौछार कर दी है। कई बार तो विपक्ष के दावों पर थोड़ा-सा यकीन भी होने लगता है, लेकिन देश के गृहमंत्री अमित शाह का दावा भी कौंधने लगता है कि जिन सीटों पर मतदान हो चुका है, उनमें से 270 सीटें मोदी जीत चुके हैं, यानी बहुमत भाजपा-एनडीए के पक्ष में मिल चुका है। अमित शाह को भी अपने अनुमान का आधार स्पष्ट करना चाहिये।
दोनों पक्षों के दावों को छोड़ भी दिया जाए, तो यह भी नहीं भूलना चाहिए कि विपक्ष ने ऐसे दावे 2019 में भी किए थे। ऐसे आंतरिक सर्वे की बात राहुल गांधी तब भी दोहराया करते थे। मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे, चोर चौकीदार नहीं रहेगा, यह तो कांग्रेस का चुनावी जुमला बन गया था। नतीजा पूरा देश जानता है। यदि अब भी आगामी चरणों में भाजपा की 50 प्रतिशत सीटें भी कम हो जाएं, तब भी वह 319 सीटें जीत सकती है।
यदि भाजपा की जीत में 10 फीसदी सीटें ही कम हों, तो भी वह 357 सीटें जीत सकती है। विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने इस बार 328 उम्मीदवार ही मैदान में उतारे हैं, लिहाजा 300 से अधिक सीटें जीतने का ‘इंडिया’ का दावा सवालिया लगता है।
नतीजों को 4 जून पर छोड़ देना चाहिए। मुफ्त अनाज कोरोना महामारी के दौर में राजनीतिक-सामाजिक विवशता थी। अब हम उस दौर से निकल चुके हैं। 2022 में भारत पर जीडीपी का 81 प्रतिशत कर्ज था। यह बढ़ चुका होगा! कर्ज तब सार्थक लगता है, जब उसका सदुपयोग किया गया हो। मुफ्त अनाज या रेवडिय़ां बांटने को कर्ज लिया जाएगा, तो भारत भी रसातल में पहुंच सकता है।
बेहतर तो यह होगा कि आने वाली सरकार मुफ्त की योजनाएं बंद करे और सभी बेरोजगार युवाओं को सरकारी रोजगार या स्वरोजगार उपलब्ध करवाए। अगर सभी के हाथों में पैसा होगा तो आवश्यक वस्तुएं तो बाजार से खरीदी जा सकती हैं।