भारत की जनसंख्या 1441719812 है जो वर्ष 2023 से 0.92 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ी है..!!
भारत जनसंख्या के हिसाब से चीन को पीछे छोड़कर विश्व में पहले नंबर पर आ गया है। यूँ तो वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या 8118835999 है, जो वर्ष 2023 से 0.91 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ी है। इसी अवधि में भारत की जनसंख्या 1441719812 है जो वर्ष 2023 से 0.92 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ी है। चीन की वर्तमान जनसंख्या 1425181397 है। जनसंख्या में वृद्धि संसाधनों और सेवाओं पर दबाव डालती है। माल्थस के सिद्धांत के अनुसार जनसंख्या की वृद्धि ज्यामितीय प्रगति से बढ़ती है तथा खाद्य उत्पादन केवल अंकगणितीय रूप से बढ़ता है। मतलब आर्थिक संसाधनों में वृद्धि की गति काफी कम होती है और जनसंख्या वृद्धि बहुत ज्यादा होती है। जनसंख्या वृद्धि का भार वर्तमान संसाधनों पर पड़ता है जिससे अकाल जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है, अगर उत्पादकता को जनसंख्या की वृद्धि के हिसाब से न बढ़ाया जाए। बढ़ती आबादी से गरीबी और असमानता बढ़ती है।
शिक्षा का बुनियादी ढांचा बढ़ती आबादी की जरूरतों से जूझ रहा होता है तथा स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ बढ़ जाता है, जिससे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच एक चुनौती बन जाती है। बढ़ती आबादी से शहरीकरण को बढ़ावा मिलता है जिससे मूलभूत आवश्यकताओं और आधारभूत सरंचनाओं पर दबाव बढ़ता है तथा रोजगार के अवसर और परिवहन सुविधाएं प्रभावित होती हैं। प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ती आबादी के बोझ से पर्यावरणीय चिंताएं बढ़ जाती हैं क्योंकि संसाधनों का अंधाधुंध दोहन होता है। ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता है और जलवायु परिवर्तन में तेजी आती है जिससे जल की उपलब्धता भी कम हो जाती है। 2050 तक विश्व की अनुमानित जनसंख्या 9.7 बिलियन तथा जीवन प्रत्याशा 72.6 से बढ़ कर 77.1 वर्ष हो जाएगी। इससे संसाधनों की कमी के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। इसलिए विश्व जनसंख्या दिवस जनसंख्या संबंधी मुद्दों और सतत विकास पर उनके प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1989 में स्थापित यह परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, गरीबी उन्मूलन, मातृ स्वास्थ्य, मानवाधिकारों के महत्व को उजागर करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। विश्व जनसंख्या दिवस पर हर साल नया थीम घोषित किया जाता है। इसी के अनुसार पूरे विश्व में जागरूकता अभियान चलाया जाता है तथा इस दिशा में कार्य किया जाता है। वर्ष 2024 का थीम हमें याद दिलाता है कि समस्याओं को समझने, समाधान तैयार करने और प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए डेटा संग्रह में निवेश करना महत्वपूर्ण है। वित्त भी वैसा है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने स्टेट ऑफ वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट जारी की है । इसके अनुसार वर्ष 2010 से 2019 के बीच भारत की जनसंख्या में 1.2 प्रतिशत की औसत वृद्धि हुई है। यह वृद्धि चीन की औसत वार्षिक वृद्धि दर से दोगुनी से भी अधिक है, जो चिंतनीय है।
भारत में शहरीकरण, साक्षरता दर के बढ़ने, देरी से विवाह, एक बच्चा या बच्चा न करने का संकल्प, औरतों का नौकरी करना, आर्थिक मजबूरी के कारण एक बच्चा, बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट आदि से प्रजनन दर कम हो गई है। प्रजनन दर 1950 में 6.18 बच्चे थी जो 2021 में 1.91 रह गई है जो 2.1 के आवश्यक स्तर से भी कम है। कम प्रजनन दर के दीर्घ समय में भारत की जनसंख्या गतिशीलता पर प्रभाव पड़ेगा, जो सोचनीय विषय है। भारत अभी युवा देश है। यहां 27 वर्ष तक की आयु वाली आधी आबादी है तथा 27 वर्ष से ऊपर वाली भी आधी आबादी है। भारत को युवा कार्यबल की आबादी, बुजुर्गों की आबादी से ज्यादा ही बनाए रखनी है। इसलिए भारत को मौजूदा जनसंख्या नीति की पड़ताल करनी चाहिए और बढ़ती जनसंख्या के बारे में सरकार को गंभीरता से लेकर इसे नियंत्रित करने के लिए कारगर कदम उठाने चाहिए।
भारत में जनसंख्या वृद्धि ने प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव डाला है जिससे पानी की उपलब्धता मांग के बढ़ने के कारण कम हो रही है। भारत में 766 जिलों में से 266 जिलों में पानी की कमी हो गई है। दिल्ली, बेंगलुरु तथा अन्य राज्यों में पानी के लिए लोग तड़प रहे हैं। जनसंख्या बढ़ रही है, परंतु जल संसाधन वही हैं। जनसंख्या वृद्धि से शहरीकरण बढ़ जाता है जिससे ठोस अपशिष्ट 0.3 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पैदा हो रहा है जो वर्तमान 50 करोड़ शहरी आबादी का 150000 टन प्रति दिन है। यह विकसित देशों से तीन गुणा अधिक है। शहरों के बाहर कचरा भराव क्षेत्र ने पहाड़ों का रूप ले लिया है। ये कचरे के पहाड़ टोक्सिन का रिसाव भूतल पानी में भेजते हैं।
भारत ने 2047 तक विकसित भारत बनने का लक्ष्य रखा है। 23 वर्ष में वर्तमान जीडीपी $3.73 ट्रिलियन से $30 ट्रिलियन तक लानी है। इसके लिए परिवार नियोजन ही जनसंख्या वृद्धि को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति है। जिम्मेदार परिवार नियोजन प्रयासों को बढ़ावा देकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए भारत सरकार ने 2024-25 के अंतरिम बजट में एक कमेटी बनाने की घोषणा की है। विकसित भारत के लक्ष्य के संबंध में व्यापक चुनौतियों के व्यापक रूप से निपटने के लिए यह कमेटी सरकार को सिफारिशें देगी। परंतु दु:ख की बात है कि भारत में पिछले 13 वर्षों से जनगणना नहीं करवाई है।