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खाना बर्बाद करने में भारतीय दूसरे नम्बर पर 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Mon , 16 Sep

सार

हर वर्ष लगभग 50 किलोग्राम खाना भारतीय घरों में बर्बाद हो जाता है। वैश्विक आधार पर संयुक्त राष्ट्र ने खाने की बर्बादी पर एक रिपोर्ट तैयार की है..!!

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विस्तार

मेरे सामने “खाने की बर्बादी” को दर्शाती एक रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट कहती है, भारत में प्रतिवर्ष करीब 6.68 करोड़ टन खाना बर्बाद कर दिया जाता है। अगर इसे प्रति व्यक्ति औसत के हिसाब से समझें तो हर वर्ष लगभग 50 किलोग्राम खाना भारतीय घरों में बर्बाद हो जाता है। वैश्विक आधार पर संयुक्त राष्ट्र ने खाने की बर्बादी पर एक रिपोर्ट तैयार की है। 

इस इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में विश्वभर में करीब 931 मिलियन टन खाना बर्बाद हुआ था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते समय में और वर्तमान में कितना खाना बर्बाद किया जा चुका होगा। इसमें भी सबसे अहम यह है कि इस बर्बाद हुए खाने में से 61 प्रतिशत घरों से आया था। यानी घरों में जो खाना बनता है, वह जरूरत से कहीं ज्यादा बनता है, जिसे बाद में नष्ट होने के लिए फेंक दिया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार 26 प्रतिशत खाना फूड सर्विस और 13 प्रतिशत खाना रिटेल से आया था। 

संयुक्त राष्ट्र की फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, बचा हुआ भोजन जहां ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का तीसरा बड़ा स्रोत बन रहा है, वहीं यह वैश्विक उत्सर्जन के करीब 8 से 10 प्रतिशत हिस्से के लिए भी जिम्मेदार होता है। माना जाता है कि खाने की बर्बादी में चीन सबसे पहले और भारत दूसरे स्थान पर आ रहा है। चीन में जहां 91.6 मिलियन टन खाने की प्रति वर्ष बर्बादी होती है, वहीं भारत में प्रति वर्ष 68.8 मिलियन टन खाने की बर्बादी हो रही है। अमेरिका में जहां 19.4 मिलियन टन खाने की बर्बादी होती है, तो फ्रांस और जर्मनी जैसे विकसित देशों में क्रमश: पांच और छह मिलियन टन खाने की बर्बादी की जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में 59 किग्रा प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष खाने की बर्बादी की जा रही है,वहीं ऑस्ट्रेलिया के घरों में प्रति व्यक्ति खाने की बर्बादी सबसे अधिक है। यहां पर प्रति व्यक्ति 102 किलोग्राम खाने की बर्बादी करता है।

रूस के लोग संयमित खान-पान के आदि नजर आते हैं, क्योंकि यहां प्रति व्यक्ति महज 33 किलोग्राम ही खाने की बर्बादी हो रही है। खाद्यान्न विशेषज्ञों की राय है कि खाने की बर्बादी को रोकने के लिए सबसे ज्यादा काम किए जाने की जरूरत भारत जैसे विकासशील देशों को है, क्योंकि यहां आबादी के एक बड़े हिस्से को भरपेट खाना तो दूर दिन में एक बार भी खाना मयस्सर नहीं हो पाता। बताया जाता है कि अगर वैश्विक स्तर पर इसके प्रयास हों कि खाने की बर्बादी को रोक दिया जाए तो हर वर्ष करीब 68,39,675 करोड़ रुपए की आर्थिक बर्बादी को रोका जा सकता है। क्या यह सच में इतना मुश्किल कार्य है?

आखिर घरों में भोजन की बर्बादी को कैसे रोका जा सकता है। दरअसल, खरीदारी से पहले योजना बनाकर जिसमें सप्ताह भर के भोजन की योजना तैयार करके खाने की बर्बादी रोक सकते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर सप्ताह भर के भोजन की योजना बनाने के बाद उसी के अनुसार खरीदारी करें तो आप अनावश्यक खाद्य सामग्री की खरीद से बच सकते हैं। 

इसके अलावा जरूरत से ज्यादा भोजन न खरीदें। छोटे पैक या थोक में खरीदारी करें जिससे सामान जल्दी खराब न हो। वहीं खाद्य पदार्थों को उचित तापमान और तरीके से स्टोर करने एवं जो खाद्य पदार्थ जल्दी खराब हो सकते हैं, उन्हें फ्रीजर में स्टोर करके भी इस बर्बादी को रोका जा सकता है। फ्रीजर, पेंट्री और फ्रिज में पुराने खाद्य पदार्थों को पहले इस्तेमाल करके भी वेस्टेज को रोक सकते हैं। सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि उतना ही खाना बनाएं जितना परिवार या मेहमानों को चाहिए। बचे हुए भोजन को तुरंत सही तरीके से स्टोर करें। सर्विंग के दौरान छोटे हिस्से परोसें और अगर किसी को और चाहिए, तो वे अधिक ले सकते हैं। बचे हुए भोजन को फेंकने के बजाय उससे नई रेसिपी बना सकते हैं।

इन उपायों से भी ज्यादा जरूरी जागरूकता है। अगर परिवार, दोस्तों और आस-पड़ोस में इस विचार को फैलाएं कि खाने की बर्बादी को रोकना क्यों जरूरी है तो यह व्यापक असर दिखा सकता है। ज्यादातर गलतियां इसलिए भी होती हैं, क्योंकि लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती। स्कूलों एवं शिक्षण संस्थानों के अलावा निजी एवं सरकारी संस्थानों में भी इस संबंध में जागरूकता मुहिम शुरू की जा सकती है। भोजन की बर्बादी को रोकना एक महत्वपूर्ण कदम है जो न केवल खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा और आर्थिक लाभ भी प्रदान करता है।