भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ भ्रष्टाचार का बड़ा मुद्दा लग गया हाथ
हाल ही में सम्मपन्न चुनावों के परिणामों से कांग्रेस ने कोई सबक सीखा, शायद नहीं । कांग्रेस नेताओं को कभी भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकियां लगाने से गुरेज नहीं रहा । ओडि़शा से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू के ठिकानों पर आयकर विभाग की दबिश में मिली अकूत दौलत से कांग्रेस फिर से कटघरे में है। साहू के झारखंड और ओडि़शा ठिकानों से 350 करोड़ रुपए, सोना और अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं। इससे कांग्रेस की मुसीबत बढ़ गई है। ओडिशा के बलांगीर में धीरज साहू का पुश्तैनी आवास है और यहीं उसकी शराब फैक्टरी है, जिसका नाम है बौद्ध डिस्टलरी प्राइवेट लिमिटेड। इसी कंपनी के दफ्तर में नोटों के अम्बार छिपाकर रखे गए थे।
आगामी चंद महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है। सांसद साहू के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित कई भाजपा नेता कांग्रेस के खिलाफ तीखा बयान दे चुके हैं। साहू से मिले काले धन की बरामदगी पर मोदी ने साफ कहा कि लूट के एक-एक पैसे की वसूली की जाएगी। इसी से भाजपा के तेवरों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
आयकर विभाग की सांसद साहू के खिलाफ की गई कार्रवाई से कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया। कांग्रेस ने यह उनका निजी मामला बताते हुए साहू को कारण बताओ नोटिस जारी करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। साहू की कांग्रेस में कितनी गहरी जड़ें हैं, इसका पता इस बात से चलता है कि साहू का भाई दो बार रांची से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुका है। भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली से लेकर हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक के शीर्ष कांग्रेस नेताओं के ऊपर सीबीआई, इनकम टैक्स और ईडी जैसी एजेंसियों की तलवार लटकी हुई है। कांग्रेस पार्टी में जितने भी नेता भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे हुए हैं, अगर उन सबके खिलाफ एक्शन लिया जाए तो पार्टी के शीर्ष नेताओं से कांग्रेस पूरी तरह खाली हो जाएगी।
इस पार्टी में शायद ही कोई वरिष्ठ नेता भ्रष्टाचार से अछूता हो। संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा था कि वह सरकार से पूछना चाहते हैं कि अगर भ्रष्टाचार हुआ था तो वह पी. चिदंबरम को गिरफ्तार क्यों नहीं करते? इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हंसते हुए कहा था कि जमानत पर हैं, तो एन्जॉय करिए। कांग्रेस में पी. चिदंबरम ही सीबीआई और ईडी के घेरे में नहीं फंसे हैं, बल्कि पार्टी में ऐसे कई नेता हैं जो भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त हैं। यहां तक कि पार्टी की प्रमुख सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी भ्रष्टाचार के आरोप में जमानत पर हैं। नेशनल हेराल्ड मामले में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, उनके बेटे और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, स्व॰मोतीलाल वोरा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और यंग इंडिया आरोपी हैं।फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर हैं।
आरोप है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने षड्यंत्र के तहत यंग इंडिया के नाम से एक कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड को 1938 में अपने कब्जे में ले लिया था। इसके चलते करीब 90 करोड़ रुपए की संपत्ति का अधिकार यंग इंडिया को मिल गया। अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर धनशोधन मामला 2013 में सामने आया था। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से कमीशन लेने के आरोप लगे थे। जांच ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की जा रही है। जांच एजेंसियां इस मामले में पहले ही कई आरोपपत्र दाखिल कर चुकी हैं। इस धनशोधन मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी भी घिरे हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट ने रतुल पुरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। मामला अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी से लगभग 3600 करोड़ रुपए के 12 वीआईपी हेलीकॉप्टर के सौदे से जुड़ा हुआ है। लेकिन भारत ने भ्रष्टाचार और रिश्वत के आरोपों के चलते यह डील रद्द कर दी थी।
इसी तरह राजस्थान का कथित एंबुलेंस घोटाला मामला है जो कि 2010 से लेकर 2013 तक एनआरएचएम के तहत 108 एंबुलेंस की खरीद में धांधली के चलते हुआ था। इस मामले में जिकित्जा हेल्थकेयर लिमिटेड को टेंडर दिया गया था, जिसमें गड़बड़ी थी। वर्ष 2015 में सीबीआई ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की थी। आरोप था कि जब जिकित्जा हेल्थकेयर के साथ प्रदेश में एम्बुलेंस सेवा के लिए अनुबंध हुआ, उस दौरान सचिन पायलट व कार्ति चिदंबरम कम्पनी में निदेशक थे। इसके तहत ईडी ने कार्ति चिदंबरम को नोटिस भी भेजा था।
करोड़ों की एंबुलेंस खरीद में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एए खान, श्वेता मंगल, शफी माथेर और निदेशक एनआरएचएम के विरुद्ध आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (फर्जीवाड़ा), 468, 471 और 120-बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जिकित्जा हेल्थकेयर लिमिटिड की 11.57 करोड़ रुपए की सम्पत्ति जब्त की थी। कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता डीके शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है। आरोप है कि डीके शिवकुमार काला धन दिल्ली के कई फ्लैट में रखते थे। आयकर विभाग ने कर्नाटक और दिल्ली स्थित 39 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। छापेमारी के दौरान दिल्ली के फ्लैटों से 8 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम बरामद हुई थी। इस दौरान डीके शिवकुमार ने अपने ऊपर कार्रवाई को बीजेपी की साजिश बताया था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी उन्हें डराना चाहती है। ईडी ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह के खिलाफ धनशोधन के एक मामले में पूरक आरोपपत्र दायर किया था।
जांच एजेंसी ने 23 सितंबर 2015 को वीरभद्र की बेटी की शादी के दिन छापेमारी कर खलबली मचा दी थी। ईडी इस मामले में उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और बेटे विक्रमादित्य से पहले ही पूछताछ कर चुकी है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ बैटिंग ऐप के मामले में करीब 500 करोड़ रुपए लेने के आरोप हैं। देर-सवेर बघेल के खिलाफ भी कानूनी शिकंजा कसा जा सकता है। गौरतलब है कि कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक में राहुल गांधी ने दो टूक शब्दों में कहा था कि भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सांसद साहू के ठिकानों पर मिली अकूत दौलत राहुल गांधी के बयान की खिल्ली उड़ाती नजर आती है। यह भी समझ से परे है कि अडानी के खिलाफ भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस सांसद साहू के खिलाफ सख्त कदम उठाने से क्यों हिचकिचा रही है। कांग्रेस की मजबूरी यह भी है कि ऐसे आरोपी नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया जा सकता। ऐसे में राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर ही सवाल उठने लगेंगे, क्योंकि आरोप उन पर भी लगे हुए हैं। कांग्रेस ही नहीं, इंडिया गठबंधन के विपक्षी दलों के लिए भी भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा नहीं है। गठबंधन दलों के कई वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ भी ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग की कार्रवाई चल रही है। यह निश्चित है कि जब तक कांग्रेस सहित गठबंधन में शामिल विपक्षी दल केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई को सिर्फ राजनीतिक द्वेष की संज्ञा देते रहेंगे, तब तक आम लोगों में उनके प्रति भरोसा कायम नहीं हो सकेगा।