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मुलायम सिंह की बहू बिगाडेंगी सपा के चुनावी समीकरण

सार

अब स्थिति यह बन चुकी है कि अतीत में एकाधिक बार सत्ता में रह चुकी जो समाजवादी पार्टी विगत दिनों योगी सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों तथा सत्ता धारी दल के चंद विधायकों के सपा में शामिल होने से फूली नहीं समा रही थी उसे अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने के फैसले ने हक्का बक्का कर दिया है ।

janmat

विस्तार

उत्तर प्रदेश विधानसभा की चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ होने में अब ज्यादा समय शेष नहीं रह गया है इसके बावजूद अभी भी एक दल को छोड़कर दूसरे दल का दामन थामने का सिलसिला निरंतर जारी है और इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए समाजवादी पार्टी के संस्थापक और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने सत्ताधारी दल में शामिल होने की घोषणा कर दी है । अब स्थिति यह बन चुकी है कि अतीत में एकाधिक बार सत्ता में रह चुकी जो समाजवादी पार्टी विगत दिनों योगी सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों तथा सत्ता धारी दल के  चंद विधायकों के सपा में शामिल होने से फूली नहीं समा रही थी उसे अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने के फैसले ने हक्का बक्का कर दिया है । गौरतलब है कि अपर्णा यादव को पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने लखनऊ केंट से उम्मीदवार बनाया था परन्तु तब वे भाजपा उम्मीदवार डा रीता बहुगुणा जोशी से 37 हजार मतों के विशाल अंतर से चुनाव हार गई थीं जो खुद चुनाव के कुछ समय पूर्व कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई थीं। गत विधानसभा चुनावों  में मिली करारी हार के बाद अपर्णा यादव  ने अनेक अवसरों पर भाजपा के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में मंच पर सत्ता धारी दल के नेताओं के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर यह संकेत देना शुरू कर दिया था कि वे राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका तलाशने के प्रयास में आगे चलकर सत्ता धारी दल में शामिल हो सकती हैं और वह उचित अवसर विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया शुरू होने के ठीक पहले आया है। मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू की भाजपा में शामिल होने के अवसर पर जिस तरह देश की राजधानी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री दृश्य केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश वर्मा , उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह  ने उपस्थिति दर्ज कराई उसे देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि  मुलायम सिंह यादव के परिवार में सेंध लगाने में मिली सफलता भाजपा के लिए  विशेष महत्व रखती है। इसमें भी विशेष गौर करने लायक बात यह है अपर्णा यादव ने उनके इस फैसले को यादव परिवार के बुजुर्गो का आशीर्वाद प्राप्त होने का दावा किया है। उधर अखिलेश यादव ने यह कहा है कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने अपर्णा यादव को बहुत समझाया परंतु वे भाजपा में शामिल होने का फैसला बदलने के लिए तैयार नहीं हुईं लेकिन  इसके साथ अखिलेश यादव ने अपर्णा यादव को  बधाई और शुभकामनाएं देते हुए आगे यह भी कहा कि अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने से उस पार्टी में समाजवादी विचारधारा का विस्तार होगा अतः यह प्रसन्नता का विषय भी है। वास्तविकता  चाहे जो कुछ हो परंतु  स्वाभाविक रूप से  अपर्णा यादव के दावे का यह मतलब निकाला जा रहा  है कि सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव उनके भाजपा में शामिल होने के फैसले में पूरी तरह उनके साथ है परंतु मुलायम सिंह यादव  अपनी छोटी बहू के इस दावे पर मौन साधे हुए हैं । ऐसे में यह सवाल उठना  स्वाभाविक है कि  मुलायम सिंह यादव इन चुनावों में भाजपा की टिकट पर  अपर्णा यादव के उम्मीदवार बनने की स्थिति में अपने बड़े बेटे और सपा के वर्तमान अध्यक्ष अखिलेश यादव को जीत का आशीर्वाद देंगे अथवा अपनी छोटी बहू अपर्णा यादव के पक्ष में प्रचार करने में दिलचस्पी लेंगे वैसे अभी यह सुनिश्चित नहीं है कि भाजपा अपर्णा यादव को उनकी इच्छानुसार लखनऊ केंट से पार्टी उम्मीदवार बनाने का मन बना चुकी है ।यह भी संभव है कि पार्टी उन्हें लखनऊ केंट सीट से  उम्मीदवार बनाने के बजाय कोई अन्य महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान कर दे। गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की इस घोषणा के बाद ही अपर्णा यादव ने भाजपा का दामन थामा है कि इन विधानसभा चुनावों में सपा यादव परिवार के किसी सदस्य को उम्मीदवार नहीं बनाएगी । अखिलेश यादव नहीं चाहते कि इन विधानसभा चुनावों में दूसरे दलों को समाजवादी पार्टी पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाने का मौका मिले। आखिर अखिलेश यादव खुद भी यह कैसे भूल सकते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब यादव परिवार के 40 से अधिक सदस्य सरकार अथवा पार्टी में किसी महत्वपूर्ण पद पर आसीन थे। इसीलिए अखिलेश यादव इन चुनावों में। फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रहे हैं‌ फिर भी उन्होंने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ तो हाथ मिला ही लिया है। 

           गौरतलब है कि अपने समय में राजनीति के मंजे खिलाड़ी की छवि अर्जित करने में सफल हो चुके मुलायम सिंह यादव ने गत लोकसभा के समापन सत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगातार दूसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी थीं। मुलायम सिंह यादव की इन शुभकामनाओं ने उनके बेटे अखिलेश यादव सहित  समूची समाजवादी पार्टी को असहज कर दिया था। समाजवादी पार्टी ही नहीं भाजपा में भी मुलायम सिंह यादव द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को दी गई इन शुभकामनाओं के निहितार्थ खोजे जाने लगे थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि कई वर्षों से  सक्रिय राजनीति से मुलायम सिंह यादव की दूरी के बावजूद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर उनका अच्छा खासा प्रभाव है । अब राजनीतिक पंडित यह अनुमान लगा रहे हैं कि  अपर्णा यादव के भाजपा में आने से निश्चित रूप से चुनावों में समाजवादी पार्टी के वोटों  का बंटवारा होगा। यादव परिवार  में सेंध लगाने में भाजपा को मिली सफलता भविष्य में  होने वाले चुनावों में भी समाजवादी पार्टी के वोट बैंक में  सेंध लगाने में सहायक बनेगी । विगत दिनों मुलायम सिंह यादव के समधी भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा वर्तमान विधान सभा के डिप्टी स्पीकर ने भी  भाजपा में शामिल होने की घोषणा की है जो पिछले चुनावों में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे। अखिलेश यादव भले ही यह कहें कि समाजवादी पार्टी इन  चुनावों में सत्तारूढ़ दल को कड़ी टक्कर देने की ताकत अर्जित कर चुकी है परंतु हकीकत यह है खुद अखिलेश यादव अभी तक अपने ‌‌लिए सुरक्षित सीट की तलाश पूरी नहीं कर पाए हैं।