भारत सरकार ने विदेश और पड़ौसी देशों के मंसूबो को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की तैयारी शुरू कर दी है।
यह एक सर्वमान्य तथ्य ही नहीं हक़ीक़त है, किसी देश के प्रमुख सैन्य सुधार एक सुसंगत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति हो। भारत सरकार ने विदेश और पड़ौसी देशों के मंसूबो को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की तैयारी शुरू कर दी है।विभिन्न माध्यमों से आ रहे समाचारों के अनसर सर्वोच्च स्तर पर रणनीतिक योजना तैयार करने वाली सरकार की सबसे बड़ी संस्था राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय ने देश के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है।
बदलते रणनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह स्वागतयोग्य कदम है। रणनीतिक नीति दस्तावेज में देश के सुरक्षा लक्ष्यों का विस्तृत ब्योरा होता है तथा यह उन्हें हासिल करने के बारे में भी बताता है।किसी देश के प्रमुख सैन्य सुधार एक सुसंगत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति से ही होने चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के निर्माण की पहल सैन्य और रणनीतिक समुदाय में वर्षों की चर्चा के उपरांत हुई है। सन 1999 में करगिल समीक्षा समिति और 2001 में एक मंत्री समूह ने भी इस विषय में अनुशंसा की थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के बारे में जानकारी है कि वह सावधानीपूर्वक चुने पथ का अनुसरण कर रहा है। वह केंद्रीय मंत्रालयों तथा विभागों से जानकारी जुटाकर रणनीति से संबंधित सामग्री तैयार कर रहा है जिसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी ली जाएगी। इस दस्तावेज को सार्वजनिक किए जाने का विचार भी व्यापक चर्चा को जन्म देगा।
वैसे भारत को तत्काल एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है क्योंकि इस बीच ऐसे तकनीकी विकास हुए हैं जिन्होंने जंग के समकालीन मैदान को बदल दिया है।हाल ही में इजरायल पर हमास लड़ाकों के हमले, यूक्रेन के हाथों रूसी सेना को पहुंचा नुकसान और आर्मिनिया पर अजरबैजान के हमले उस नए खतरे को रेखांकित करते हैं जहां दूर से संचालित वाहन या हथियारबंद ड्रोनों की मदद से जमीनी सेनाओं को निशाना बनाया जा रहा है।
यह घटना भारतीय सेनाओं के लिए भी संभावित खतरा है जो हथियारबंद ड्रोन की जद में आ सकती हैं। ये ड्रोन भारतीय हवाई रक्षा नेटवर्क को आरंभिक क्षति पहुंचा सकते हैं।इससे शत्रु देश के दूर संचालित उपकरण हमारी अग्रिम रक्षा पंक्ति पर हमला करने तथा आरक्षित क्षेत्रों, सामरिक बुनियादी ढांचे, युद्धक्षेत्र के मुख्यालय और संचार केंद्र, लॉजिस्टिक्स इकाइयों मसलन गोला बारूद केंद्र आदि पर हमला करने में सक्षम होंगे।
पड़ौसी चीन और पाकिस्तान जैसे देश पांचवीं पीढ़ी के युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में भारत के पास एक समग्र सुरक्षा रणनीति होनी चाहिए।न केवल उच्च तकनीक वाले क्षेत्रों मसलन आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में भारत पर चीन के दबदबे की आशंका है बल्कि पारंपरिक क्षेत्रों मसलन जमीनी हमलों का समर्थन करने के लिए पिनाका रॉकेट और ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लंबी दूरी की मार। इस बीच पाकिस्तान ने हत्फ मिसाइल तथा क्रूज मिसाइल हासिल या विकसित की हैं जो भारतीय ठिकानों पर परमाणु हमले कर सकती हैं।
सब जानते हैं अतीत में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के गठन की कोशिश राजनीतिक हिचक की वजह से पूरी नहीं हो सकी थी। रणनीतिक समुदाय में कई लोग मानते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ कि सरकार आशंकित थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का गठन उच्च रक्षा प्रबंधन की प्रत्यक्ष जवाबदेही को स्पष्ट कर देगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के गठन को उच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यह जिम्मेदारी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, सैन्य मामलों के विभाग और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन जैसे तकनीकी प्रतिष्ठानों पर नहीं डाली जानी चाहिए। भारत उन चुनिंदा बड़े देशों में से एक है जिनके यहां ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति ॰ नहीं है जिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाता हो।
अमेरिका, रूस और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन के अधिकांश देशों ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति प्रकाशित की हैं। चीन में भी एक औपचारिक नीति है जिसका नाम व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा है। पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति 2022-2026 तैयार की जो उसके राष्ट्रीय सुरक्षा लक्ष्यों और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करती है। ऐसे में यह अहम है कि भारत जल्दी से जल्दी एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करे।वह न केवल सामरिक चुनौतियों की व्यापक समझ विकसित करने में मदद करेगी बल्कि रक्षा तैयारी बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने में मदद करेगी। एक नियमित समीक्षा, बदलती सुरक्षा और तकनीकी बदलावों को लेकर अनुकूलन को सक्षम बनाने में सहायक होगी।