• India
  • Sat , Feb , 22 , 2025
  • Last Update 10:35:AM
  • 29℃ Bhopal, India

CM मोहन का एक माह, उत्तरायण में अब विजन के साथ इलेक्शन की कसौटी

आशीष दुबे आशीष दुबे
Updated Sat , 22 Feb

सार

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के कामकाज का महीना आज पूरा 

janmat

विस्तार

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने नये कामकाज का एक महीना आज पूरा कर लिया है। उन्होंने 13 दिसंबर को सीएम पद संभाला था, तभी से प्रशासनिक गलियारों में यादव की छाप ढूंढी जाने लगी थी। एक महीने में वे मप्र की नौकरशाही को कुछ महत्वपूर्ण संदेश देने में सफल हो गए हैं। 

पहला यह कि अफसर घुमा-फिराकर बात न करें, यानी जलेबी न बनाएं। दूसरी, विभागीय बैठके समय सीमा में पूरी करें, प्रस्तुतिकरण संक्षिप्त व सारगर्भित हो, जनता से संवाद में सहजता हो। इसका पूरा असर सामने आने में कुछ समय और लगेगा, लेकिन तीस दिन में कम से कम चार महकमों पर तो उनको छाप साफ नजर आने लगी है। यह महकमे अपने पिछले दौर की अपेक्षा अब ज्यादा अलर्ट और गतिशील हैं।

यह है- नगरीय प्रशासन- आवास, राजस्व, उच्च शिक्षा और गृह। हिंदुत्व-अध्यात्म, मोदी विजन व इलेक्शन को लेकर उनका कांसेप्ट भी साफ है। अपने पूर्ववर्ती शिवराज के ड्रीम प्रोजेक्ट लाडली बहना पर उन्होंने 'फिलखल' तो नजरिया साफ कर दिया है। एक गौरतलब बात भी उन्होंने कही- अब दिन बड़े होते जाएंगे, यह उत्तरायण की शुरुआत है। 

जाहिर है, इसके सियासी मायने भी ढूंढे जा सकते हैं। मंत्रालय के माहौल पर जानकार सूत्र बताते हैं कि समोक्षाओं में यादव के निर्देशों में ज्यादा बारीकी नजर आती है। वे अक्सर अफसरों के जवाब पर प्रतिप्रश्न भी करते हैं यानी क्रास चैक। 

मसलन गृह विभाग की एक बैठक में जब एक सीनियर पुलिस अफसर उन्हें थानों की वर्किग व निरीक्षण के बारे में तफसील से समझा रहे थे तो उन्होंने पूछा- क्या यह ध्यान रखा जाता है कि जब्ती में आया सोना बाद में पीतल तो नहीं बन रहा और जब्त वाहन का मालिक जब इसे छुड़ाता है तो नये टायरों को जगह पुराने मिस्से टावर तो नहीं लगे मिलते? थानों में दर्ज मामलों का विवरण समझते हुए उन्होंने पूछा- इनमें थानेदार या हेडसाब द्वारा दर्ज कितने मामले फर्जी है, यह आप पकड़ पाते हैं?

सूत्रों के मुताबिक एक बैठक में अफसर को उन्होंने यह पूछकर निरूत्तर कर दिया कि गांवों में नल से जल पहुंचा रहे हो तो टॉयलेट के सीवेज कनेक्शन जोड़ने की योजना बनी है? उल्लेखनीय है कि संभागों का प्रभार सीनियर आईएएस व आईपीएस अफसरों को सौंपकर नयी खायत शुरू की है, हालांकि सूत्रों की मानें तो इस प्रयोग को लेकर वे खुद शुरू में पशोपेश में थे।

मीटिंग, प्रेजेंटेशन व स्लाइड्स

मुख्यमंत्री यादव के कार्यकालन में मंत्रालय संस्कृति यह भी बदलाव नजर आया। कि वे बैठकों को अधिकतम 40-45 मिनट चलाते है, कई बार अफसर को टोकते भी हैं कि यह लंबा हो गया है और रिपीट भी। एक सूत्र का कहना है कि इससे पहले कांग्रेस के शासन में सीएम कमलनाथ के साफ निर्देश थे कि प्रेजेंटेशन 21 स्लाइड्स से ज्यादा का न हो। फिर शिवराज सरकार में प्रेजेंटेशन बड़े होने लगे थे। 

यादव ने थानों व राजस्व के नक्शे भी बदलने को कहा है। हालांकि यह वह काम है जो अफसर अब तक अपने स्तर पर शुरू कर सकते लेकिन किसी ने पहल नहीं की। नौकरशाहें उनका मिजाज समझने की अब तक कोशिशों में है। क्योंकि आधा दर्जन से ज्यादा सीनियर अफसर बिना विभाग के महीने भर से बैठे हैं और कुछ लुपलाइन भेजे गये हैं।