हालांकि, प्रस्तावित जीएसटी अभी लागू नहीं किया जाएगा क्योंकि जीएसटी अधिनियम में इस प्रावधान को प्रभावी करने के बाद ही इस प्रस्ताव को लागू किया जा सकता है..!
देश की जीएसटी काउंसिल ने ऑनलाइन रियल मनी गेम्स पर ली जाने वाली पूरी प्रारंभिक राशि पर जीएसटी लगाने का फैसला किया है। पहले, जीएसटी केवल इन ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों द्वारा प्राप्त राशि पर लगाया जाता था, जो कुल राशि का केवल एक छोटा सा हिस्सा था। हालांकि, प्रस्तावित जीएसटी अभी लागू नहीं किया जाएगा क्योंकि जीएसटी अधिनियम में इस प्रावधान को प्रभावी करने के बाद ही इस प्रस्ताव को लागू किया जा सकता है। लेकिन, जहां इस बात पर लगभग आम सहमति है कि इन गेम्स की लत असंख्य युवाओं के भविष्य को प्रभावित कर रही है, वहीं इन गेम्स के प्लेटफॉर्म संचालित करने वाली कंपनियों और वेंचर फंडों द्वारा जीएसटी काउंसिल के इस फैसले के खिलाफ जबरदस्त लॉबिंग चल रही है।
इन प्लेटफॉर्मों और उन्हें फंड देने वाले वेंचर कैपिटल फंड्स का तर्क यह है कि इस फैसले से इन गेम्स को संचालित करने वाले स्टार्टअप प्लेटफॉर्मों को नुकसान होगा और यहां तक कि उन्हें कारोबार से बाहर होने के लिए भी मजबूर होना पड़ सकता है। इससे इन प्लेटफॉर्मों से जुड़े लोगों का ‘रोजगार’ खत्म हो जाएगा। उनका यह भी कहना है कि इस क्षेत्र में भविष्य के निवेश भी न केवल ऑनलाइन गेम के संदर्भ में प्रभावित होंगे, बल्कि इससे स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। उनका यह भी तर्क है कि इससे आने वाले विदेशी निवेश में भी बाधा आएगी। लेकिन यह एक खुला सत्य है कि ऑनलाइन गेम्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का निर्णय राजस्व के उद्देश्य से नहीं लिया गया था। इसका मुख्य कारण यह है कि देश के लाखों युवा ऑनलाइन खेलों की लत के कारण दिग्भ्रमित हो रहे हैं और कई बार तो इस लत के कारण लगातार हारते हुए कर्ज के तले इस हद तक फंस जाते हैं कि आपराधिक और अन्य अनैतिक गतिविधियों में लग जाते हैं या यहां तक कि आत्महत्या भी कर लेते हैं। इस सामाजिक बुराई से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने कराधान का मार्ग अपनाया है।
बुरी लत को हतोत्साहित करने के लिए उस पर ऊंची दर से कर लगाना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी सिगरेट, तम्बाकू आदि पर अधिकतम दर से कर लगाए गए हैं, लेकिन ऐसे निर्णयों पर कभी कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई, क्योंकि समाज ने यह समझ लिया है कि किसी के सेवन को हतोत्साहित करना भी सरकार की जिम्मेदारी है।
वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि का कहना है कि अब तक इन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर लगाई गई रकम पर केवल 2 से 3 प्रतिशत ही जीएसटी लगता था। इसके चलते पिछले साल जीएसटी के रूप में सिर्फ 1700 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। लेकिन अब पूरी प्रारंभिक रकम पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने के बाद अब जीएसटी से कुल राजस्व कम से कम दस गुणा तक पहुंचने की उम्मीद है। वैश्वीकरण और नई प्रौद्योगिकी के उद्भव के बाद बहुत सारे नए व्यवसाय आकार ले रहे हैं, जो विदेशों से और देश के भीतर से निवेश आकर्षित कर रहे हैं। ये व्यवसाय सोशल मीडिया ऐप्स और प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स, गेमिंग ऐप्स, कृषि, गतिशीलता, रोजगार संबंधी प्लेटफॉर्म, डिजाइन और अन्य विनिर्माण संबंधी सेवाओं और अन्य से संबंधित प्रौद्योगिकी के उपयोग से संबंधित हैं। इनमें से अधिकांश व्यवसाय हमारे जीवन को आसान बना रहे हैं और व्यवस्था में दक्षता ला रहे हैं। हालांकि, हम देखते हैं कि कुछ व्यवसाय नए युग की तकनीक का उपयोग करते हुए भी सामाजिक दृष्टि से हानिकारक होते जा रहे हैं।
उदाहरण के लिए, टिकटॉक जैसे कुछ सोशल मीडिया ऐप्स के कारण युवा अश्लीलता, डेटा उल्लंघन और कई अन्य सामाजिक बुराइयों में संलग्न होकर अपना समय बर्बाद करने का काम करते हैं। चीनी निवेश के साथ टिकटॉक बहुत कम समय में 100 बिलियन डॉलर से अधिक की अमरीकी कंपनी बनकर उभर गयी थी जिसका अधिकांश कारोबार भारत में स्थित था।
इस समय कुछ क्षेत्रों में निवेश आ रहा है, जिससे कुछ युवाओं को रोजगार मिल सकता है, लेकिन सरकार को उन क्षेत्रों की पहचान करनी होगी, जो युवाओं को रोजगार प्रदान करते हैं, जो वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करके अर्थव्यवस्था में मूल्य जोड़ते हैं, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था विनिर्माण, निर्माण या सॉफ्टवेयर, विनिर्माण डिजाइन, बैंकिंग, बीमा जैसी सेवाओं, यहां तक कि ड्रोन, एआई और स्वचालन, सभी में मजबूत होती है।