मंगलवार को जब सेना और पुलिस की वर्दी में आए चार या पांच दहशतगर्दों ने पहलगाम 'जो मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से जाना जाता है के फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन में धर्म पूछकर और पुरुषों के पैंट उतरवाकर चुन-चुनकर गोलियां मारीं, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के आधिकारिक दौरे पर थे..!!
अब कोई शक नहीं है, कश्मीर में हुआ ताज़ा नरसंहार सुनियोजित था। भारत इसका अन्दाज़ नहीं कर सका। मंगलवार को जब सेना और पुलिस की वर्दी में आए चार या पांच दहशतगर्दों ने पहलगाम 'जो मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से जाना जाता है के फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन में धर्म पूछकर और पुरुषों के पैंट उतरवाकर चुन-चुनकर गोलियां मारीं, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के आधिकारिक दौरे पर थे।
हाल के वर्षों में सऊदी अरब भारत का अनन्य मित्र बनकर उभरा है और कहा जाता है कि आज की तारीख में इस्लामी दुनिया का यह सबसे बड़ा प्रभावशाली मुल्क है। मतलब, पाकिस्तान ने कश्मीर में खून बहाकर एकसाथ सऊदी अरब से लेकर अन्य मुस्लिम देशों को फिर से यह संदेश देने की कोशिश की है कि कश्मीर के मुसलमानों पर भारत जुल्म ढा रहा है।
पहलगाम हमले के लिए ऐसी टाइमिंग चुनी गई है, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत यात्रा पर हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां अक्सर पाकिस्तान को परेशान करती रही हैं। उनके कार्यकाल में भारत-अमेरिकी दोस्ती में नई मजबूती देखने को मिली है। आतंकवाद को लेकर अमेरिका की मौजूदा सरकार का रुख हमेशा से सख्त रहा है।
ऐसे में इस हमले से कहीं न कहीं अमेरिका को भी संदेश देने की कोशिश की गई है कि कश्मीर अभी भी शांत नहीं हुआ है। करीब 25 साल पहले 21 मार्च, 2000 को भी पाकिस्तानी आतंकियों ने छत्तीससिंहपुरा में इसी तरह से 36 सिखों का नरसंहार कर दिया था। यह हमला तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे से ठीक पहले किया गया था। उनकी तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बातचीत होने वाली थी। तब भी जांच कर्ताओं ने उस वारदात के लिए भी लश्कर-ए-तैयबा को ही जिम्मेदार माना था।
पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर ने कश्मीर को लेकर बहुत ही भड़काऊ टिप्पणियां की हैं। उनके बयान कहीं न कहीं आतंकवादियों के लिए एक संदेश का काम किया है कि जम्मू-कश्मीर को रक्तरंजित करने के लिए यही माकूल वक्त है। आम नागरिकों को निशाना बनाना इन आतंकियों के लिए बेहद आसान रहता है, क्योंकि साधारण से हथियारों का इस्तेमाल करके ये बड़े नरसंहारों को अंजाम दे देते हैं, जिसकी जांच भी आसान नहीं होती। इसके ठीक उलट ऐसी घटनाओं की दहशत बहुत ज्यादा होती है और पूरी दुनिया तक संदेश पहुंचाया जा सकता है कि कश्मीर में अब भी कुछ नहीं बदला है।
जम्मू और कश्मीर में देशी-विदेशी सैलानियों की तादाद पिछले वर्षों में लगातार बढ़ रही है। सड़क, रेल और हवाई यातायात के माध्यमों ये यह केंद्र शासित प्रदेश पूरे देश से जुड़ चुका है और लगातार जुड़ता जा रहा है। जिस कश्मीर को आर्टिकल 370 खत्म होने से पहले डर की भावना से देखा जाता था, वह अब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। श्रीनगर का लाल चौक जहां कभी अलगाववादी देश विरोधी रैलियां निकालते थे, वहां अब रामनवमी की यात्राएं निकलती हैं।
ऐसे में कथित रूप से पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने टूरिस्टों पर निशाना बनाकर उनके मन में फिर से खौफ पैदा करने की कोशिश की है और वह भी ठीक सालाना सीजन की शुरुआत में। यही नहीं, आने वाले महीनों में पवित्र अमरनाथ यात्रा भी शुरू होनी है और उससे पहले माहौल बिगाड़ने से बेहतर समय देश के दुश्मनों के लिए क्या हो सकता है।
एक और अहम बात है। देश के कई हिस्सों में नए वक्फ कानून के खिलाफ एक माहौल बनाया गया है। खासकर बंगाल में तो इसकी आड़ में जबरदस्त हिंसा को भी अंजाम दिया जा रहा है। देश के कई और हिस्सों में इस कानून के नाम पर माहौल खराब करने की कोशिश की गई है। ऐसे में देश के दुश्मनों को शायद पहलगाम अटैक के लिए यह सबसे सुविधाजनक वक्त दिखा। क्योंकि, बेगुनाहों की मौतों के खिलाफ देश में जो माहौल तैयार हो रहा है, उसमें भारत-विरोधियों को अपना काम बनने की उम्मीद दिख रही है।