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त्वरित विश्लेषण: जीत के मायने हार के सबक: अतुल विनोद

अतुल विनोद अतुल विनोद
Updated Thu , 22 Feb

सार

भारतीय जनता पार्टी चार राज्यों में फिर से ताज हासिल करने में सफलता हासिल करती दिख रही है| पंजाब में आम आदमी पार्टी ने छक्का लगाया, कांग्रेस के हाथ कुछ भी नहीं आया| उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर में  कांग्रेस सत्ता से थोड़ी पीछे रह गई|

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विस्तार

बीजेपी जीत के 5 लड्डुओं में से चार लड्डू खाने जा रही हैं| आम आदमी पार्टी को एक लड्डू मिला है| कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए यह नतीजे बहुत बड़ा झटका हैं| कहा जा रहा था कि बीजेपी ने 4 राज्यों में अपनी सरकार बचा ली तो वह राजनीति में एक नई ऊंचाई प्राप्त करेगी और वास्तव में भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी राजनीति में आज एक नया इतिहास लिख दिया| इसका मतलब यह नहीं कि बीजेपी फूल कर कुप्पा हो जाए और यह मानने की भूल करने लगे कि वह जो कुछ कर रही है सब सही कर रही है|

कांग्रेस के लिए यह हार सदमे में डूब जाने के लिए भी नहीं| समाजवादी पार्टी के लिए आने वाले समय में भी संभावनाओं के दरवाजे खुले हैं| लेकिन 5 साल के लिए तो वो विपक्ष में बैठ ही गयी|  बहुजन समाज पार्टी के लिए अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना मुश्किल होगा| आम आदमी पार्टी पंजाब में जीत की लहर पर सवार है| लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि आम आदमी पार्टी के लिए पूरे देश में इसी तरह की विक्टरी के दरवाजे खुल गये| उसे पंजाब में विकल्पहीनता का फायेदा भी मिला| 

भारतीय जनता पार्टी के लिए ये जीत बहुत महत्वपूर्ण है| इस जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिन रात एक कर रहे थे| उत्तर प्रदेश में योगी और मोदी की डबल इंजन की सरकार को जनता ने समर्थन देकर इस जोड़ी को एक बड़ी ताकत दी| उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को सुशासन और अपराधियों पर अंकुश रखने का इनाम मिला| समाजवादी पार्टी की हार के पीछे उसका आपराधिक तत्वों के साथ खड़े होना भी है| जनता बीजेपी को वोट नहीं देती तो उसके सामने विकल्प समाजवादी पार्टी था| समाजवादी पार्टी ने राजनीति में शुचिता, पारदर्शिता और प्रशासन के ऐसे बीज नहीं बोये कि बीजेपी से नाराज मतदाता समाजवादी पार्टी चुनने का रास्ता अख्तियार करता|

आखिरकार मतदाता ने समाजवादी पार्टी को नकार दिया और भारतीय जनता पार्टी को ही चुनना पसंद किया| उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का एक वर्ग भारतीय जनता पार्टी की सरकार से इतना खुश नहीं था लेकिन उसके सामने विकल्प भी नहीं था| 

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार को फिर से स्थापित करने में सफलता हासिल की है| कांग्रेस तो दूर दूर तक विकल्प नहीं बन पाई| कांग्रेस की तैयारियां हवा हवाई थी| बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव लड़ा नहीं| दरअसल बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को एक सशक्त विकल्प तैयार करने रणनीति तैयार करनी थी| ये रणनीति और तैयारी एक साल का काम नहीं है, बीजेपी को उखाड़ने के लिए काई साल का संघर्ष चाहिए था| समाजवादी पार्टी को तो हारना  ही था क्योंकि उसकी रीति नीति आज की उत्तर प्रदेश की जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं से मेल नहीं खाती| पंजाब में कांग्रेस को बड़ी चोट लगी| कांग्रेस के लिए यह चिंता का विषय है कि जिन राज्यों में उसे सरकार मिलती है वह सरकार अपनी सफलता को दोहरा क्यों नहीं पाती?

भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी, नीतीश कुमार, नवीन पटनायक या तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ये एक बार सरकार बनने के बाद सत्ता से चिपक जाते हैं और दो से तीन बार तक तो इन्हें हटाना मुश्किल नहीं होता| 

कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि सत्ता में आने के बाद अगली बार उसे वापस सत्ता मिलेगी इस बात की कोई गारंटी नहीं होती| निश्चित रूप से 5 साल में कांग्रेस की राज्य सरकार ऐसा आदर्श प्रस्तुत नहीं करती कि उसे जनता दोबारा चुने| यही वजह रही कि पंजाब में 5 साल पहले आई कांग्रेस की सरकार इतनी अलोकप्रिय हो गई कि वहां की जनता को एक नई पार्टी को भारी बहुमत देने को मजबूर होना पड़ा| इसके पीछे केजरीवाल की दिल्ली में लागू की गई नीतियां और सुशासन के वायदे भी हैं,जिन्हें पंजाब की जनता ने कांग्रेस से ज्यादा बेहतर माना| बीजेपी और अन्य राजनीतिक दल तो वैसे भी पंजाब के चुनाव में  मुकाबले में नहीं थे| इसलिए यहां पर बीजेपी की हार नहीं हुयी|

गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में कांग्रेस अच्छा कर सकती थी, लेकिन वहां पर कांग्रेस में अच्छे चेहरों को तरजीह नहीं दी गयी| नये नेतृत्व को नहीं उभारा जा सका| राजनीति के नए पैमाने के आधार पर तैयारी नहीं की गयी|  इसलिए इन राज्यों में कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के बावजूद भी पहले नंबर की पार्टी नहीं बन सकी| 

भारतीय जनता पार्टी को मिली ये जीत  आम जनता और उसकी आकांक्षाओ की बड़ी जिम्मेदारी भी है| भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में एक नई सियासी इबारत लिखने की शुरुआत करनी होगी| विकास के नए पैरामीटर तय करने क्योंकि कुछ मापदंड पूरे हो चुके हैं| अब नए सिरे से विकास के प्रतिमान गढने होंगे| भारतीय जनता पार्टी को अपने शासन के दौर में राज्य और केंद्र के स्तर पर ऐसे कदम उठाने होंगे जो भारत को अन्य विकसित राष्ट्रों की तुलना में खड़ा कर सकें| अपनी कमजोरियों को सामने रखना होगा| कमियों को सामने रखते हुए इन राज्यों में ऐसे काम करने होंगे जो जनता के विश्वास को और मजबूत करें, ताकि भारतीय जनता पार्टी को आने वाले लोकसभा चुनावों में फायदा मिले|