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सेवा का उठाएं आसमान, जमीन पर रहें सियासी  विमान

सार

सियासत के अस्त के बाद कुछ याद रखा जाता है तो वह होती है, इमेज. सियासत आज विश्वास के संकट से गुजर रही है तो उसका कारण यही है कि,सियासी इमेज सेवा छोड़ सौदा तक पहुंचती जा रही है..!

janmat

विस्तार

 पीएम मोदी सियासी नुमाइंदों को इमेज पर निवेश की नसीहत दे रहे हैं तो इसके मायने बहुत गंभीर हैं. व्यक्ति, व्यवस्था, सरकार और सिस्टम की इमेज ही उसका वर्तमान और भविष्य बता देती है. बीजेपी के सांसदों, विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री के साथ सीधे संवाद में पीएम ने कहा कि सत्ता, सेवा के लिए है. जनता की सेवा करोगे तो बरकरार रहोगे, कुछ और करोगे तो जनता इसे छीन लेगी. इसलिए जनता के बीच रहें उनके काम करें. जनता आपका व्यवहार देखती है, इसलिए अपना आचरण ऐसा रखें कि समाज के बीच आपकी छवि ठीक रहे. 


   पीएम मोदी पहले भी पार्टी के सांसदों, विधायकों  से संवाद करते रहे हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी में उन्होंने पहली बार रात्रि  विश्राम किया. सबसे पहला सवाल यह उत्पन्न होता है कि, पीएम के मन के इस संवाद के कोई सियासी मायने हैं. मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन हमेशा से मजबूत रहा है. इस मजबूती में किसी कमी की कसक क्या पीएम के मन में है.आजकल कोई व्यक्ति या व्यवस्था अगर यह मान ले कि उसका आचरण और उसकी कार्यशैली किसी की नजर से छिपी हुई है तो यह उसकी बहुत बड़ी गलती होगी. पीएम का पूरा संवाद सेवा, आचरण की शुद्धता, सार्वजनिक काम को प्राथमिकता और इमेज पर निवेश के लिए केंद्रित रहा है.


  प्रधानमंत्री ने भले ही सिस्टम में करप्शन पर आक्षेप नहीं किया हो लेकिन सियासत में छवि का परसेप्शन जिन बातों से मिलकर बनता है उसमें करप्शन भी महत्वपूर्ण होता है. मंत्रियों और अफसरों के बीच तनाव को भी पीएम ने इशारों में कहा है. उनका कहना है कि,  मंत्री नहीं अफसर काम करते हैं. मंत्री अच्छी छवि रखेंगे तो अफसर खुद काम में जुटे रहेंगे. 


  पीएम मोदी की एक-एक बात वर्तमान सियासी  हकीकत पर चोट कर रही है. आज राजनीति में सामान्य रूप से सफल व्यक्ति भी काफिले के साथ चलता है. दरबारी संस्कृति उसकी जीवनचर्या बन जाती है. जनता जो उसकी मालिक है, वह भी बिना दरबारी संस्कृति से गुजरे अपने जनप्रतिनिधि से ही मिल नहीं पाती है.


  मध्य प्रदेश में सरकारी सिस्टम की इमेज का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के सेवानिवृत एक सिपाही के यहाँ छापों में करोड़ों रुपए और पचासों किलो सोना जब्त  होता है. ऐसी खबरें प्रधानमंत्री तक जरूर पहुंचती होगी. बडबोले बयान भी पीएम के कानों से गुजरते होंगे. जनता की तकलीफों से तो वह जरूर वाकिफ रहते हैं. मन की बात में विभिन्न राज्यों की छोटी-छोटी बातों को शामिल करना उनकी इसी शैली का प्रमाण माना जा सकता है.


  बीजेपी का चुनाव चिन्ह कमल है. कमल, भारत का राष्ट्रीय पुष्प भी है. कमल का फूल जल से उत्पन्न होकर कीचड़ में खिलता है परंतु वह मानव को दोनों से निर्लिप्त रहकर जीवन जीने की प्रेरणा देता है. बुराई और गंदगी के बीच रहकर भी व्यक्ति अपनी मौलिकता और पवित्रता को बनाए रख सकता है. अपने संवाद में प्रधानमंत्री ऐसे ही सियासी कमलवत जीवन का संदेश पार्टी के जनप्रतिनिधियों को देते दिखाई पड़ रहे हैं.


 वैकल्पिक राजनीति की बातें तो बहुत होती हैं. लेकिन वास्तव में बिना कमलवत सियासी  जीवन के राजनीति का संकट दूर नहीं हो सकता. कांग्रेस को सत्ता से बेदखलकर कर अपनी सियासी जमीन तैयार करने वाली बीजेपी के सामने भी उसी प्रकार की समस्याएं दिखाई पड़ रही है. 


  लंबे समय से कांग्रेस सत्ता में नहीं है उसके बाद भी जरा से भी सफल कांग्रेस नेता का काफिला देखकर उनके धन, संपत्ति और वैभव का अंदाजा लगाया जा सकता है. कुछ इसी तरह बीजेपी के नेताओं के आचरण भी देखे जा सकते हैं. 


 सियासत में आर्थिक प्रगति के अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं. इनको देखकर तो ऐसा लगता हैकि, इससे अधिक आर्थिक प्रगति का कोई दूसरा क्षेत्र भारत में है ही नहीं. एक बार सांसद, विधायक और मंत्री बन जाने का मतलब है कि, पीढ़ियों की व्यवस्था हो जाएगी. राज्यों में सत्ता में बदलाव की तेज गति यही बताती है कि, सिस्टम की छवि और व्यवस्था की  शैली से पब्लिक खुश नहीं होती. 


  पीएम मोदी ने अपने संवाद में जो बातें कही है, उसमें इसलिए नैतिक बल दिखाई पड़ता है क्योंकि उन्होंने अपना सियासी जीवन कमलवत बिताया है. आरोपों के जितने कीचड़ मोदी के खिलाफ उछाल गए हैं इतना तो शायद किसी राजनेता के खिलाफ नहीं किया गया होगा. इस सब के बावजूद भी सियासी आसमान तक उनका पहुंचना यही साबित करता हैकि, उनके आचरण की नैतिक ताकत उनका आधार है. सियासी आसमान भी झुक कर चलता है और दूसरों से यही अपेक्षा करता है कि, वह भी झुक कर जनता की सेवा करें तो यह भारतीय राजनीति में सुधार की जरूरत बता रहा है.


 परसेप्शन में तो राजनीति झूठ का पर्याय बनी हुई है. राजनीति पर लोग विश्वास नहीं करते. राजनेताओं के सामने विश्वसनीयता का संकट है. राजनीति की किसी भी बात को समाज में विश्वसनीय नहीं माना जाता. शायद इसीलिए अब चुनाव जीतने के लिए सीधे नकद पैसे देने की रणनीति चालू हुई है. जब बातों का मूल्य समाप्त हो जाता है तो फिर खातों में धन देकर सत्ता  की सीढ़ियां चढ़ने का उपक्रम रचा जाता है. 


संवाद के संदेशों को सही स्प्रिट  में समझने की जरूरत है. मनुष्य पूरा जीवन अपनी इमेज के लिए ही निवेश करता है. ऐसा कहा जाता है कि, अनुपस्थिति में जिसकी याद सकारात्मक दृष्टि से की जाए उसी की इमेज सार्थक होती है. मध्य प्रदेश की बीजेपी के जन प्रतिनिधियों को पीएम मोदी ने सबसे बड़ा संदेश यही दिया हैकि,  इमेज पर निवेश ही  सबसे बड़ा निवेश है. इमेज बेहतर होगी तो बहुत सारे सकारात्मक बदलाव अपने आप आ जाएंगे. 


अनुभूति से जो बातें कही जाती है, उनके बहुत गंभीर मायने होते हैं. पीएम मोदी के संदेश अनुभूति से उपजे हैं. उनकी सियासी जमीन आज आसमान पर है फिर भी आचरण झुका हुआ जमीन पर ही दिखाई पड़ता है. दूसरी तरफ नई-नई गीली सियासी जमीन वाले भी सियासत में मेवा देखते हैं और कदम भले जमीन पर रखते हैं लेकिन सियासी विमान आसमान में ही उड़ाते हैं. राजनीति को बदलने की जरूरत है और इसे बदलना ही एकमात्र रास्ता है.