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शेयर बाज़ार ज़रा संभलकर 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Sat , 18 Jan

सार

अमेरिका में एसऐंडपी 500 सूचकांक ने लगातार दूसरे साल 25 प्रतिशत से अधिक प्रतिफल दिया..!!

janmat

विस्तार

बीता साल 2024 जोखिम भरी परिसंपत्तियों के लिए बेहतरीन सा रहा। बिटकॉइन, सोना और अमेरिकी शेयर का प्रदर्शन खास तौर पर शानदार रहा। अमेरिका में एसऐंडपी 500 सूचकांक ने लगातार दूसरे साल 25 प्रतिशत से अधिक प्रतिफल दिया। इससे पहले अमेरिकी शेयरों ने लगातार दो साल तक 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि 1997-98 में डॉट कॉम बबल के दौर में की थी, जब तकनीकी कंपनियों का जलवा था। 

जैसा हमेशा होता है, उभरते बाजारों की परिसंपत्तियां पिछड़ी रहीं और पिछले साल उनके शेयरों में केवल 8 प्रतिशत की तेजी आई। यूरोपीय शेयर 9.5 प्रतिशत चढ़े मगर अमेरिका अपवाद बना रहा! सोने ने पिछले 25 साल की तरह इस बार भी शेयरों से ज्यादा रिटर्न दिया। उसके भाव 27.5 प्रतिशत चढ़ गए। बिटकॉइन 120 प्रतिशत प्रतिफल के साथ सबसे आगे रहा।

शेयरों के बढ़े मूल्यांकन, बढ़ते खुदरा रुझान और मुद्रास्फीति में नए उभार की ज्यादा चिंता है। बॉन्ड बाजार में हाहाकार मचने का खतरा भी है। अगर आप केप (साइक्लिकली एडजस्टेड प्राइस टु अर्निंग) अनुपात पर नजर डालें तो 1999-2000 में डॉट कॉम बबल के दौरान ही यह इससे ऊंचा था। प्राइस टु बुक या प्राइस टु सेल के अन्य मूल्यांकन मानकों पर हम पहले ही डॉट कॉम बबल के स्तर से आगे पहुंच चुके हैं। 

मेरे लिए यह मानना मुश्किल है कि तेज विस्तार या बढ़त की कोई गुंजाइश अब बची रह गई है। वित्तीय बाजार के पिछले 25 साल के प्रतिफल के आंकड़े बताते हैं कि लंबी अवधि में मिलने वाले प्रतिफल का अनुमान लगाते समय आरंभिक मूल्यांकन सबसे ज्यादा अहमियत रखता है। क्या अमेरिकी शेयरों से लंबे समय में हमें वाकई जानदार प्रतिफल मिल सकता है, जबकि शुरुआत में ही मूल्यांकन इतना ज्यादा है? पिछले वित्तीय आंकड़े तो इनकार में ही जवाब देते हैं।

मुद्रास्फीति की बात करें तो संकेत यही हैं कि यह अनुमान से कहीं अधिक ढीठ और लंबे समय तक ऊंचाई पर टिकती नजर आ रही है। रोजगार, ब्याज दर से प्रभावित होने वाली खपत और अमेरिकी अर्थव्यवस्था अनुमान से ज्यादा मजबूत दिख रहे हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व खुद भी भविष्य में दर कटौती करने और कटौती का समय तय करने में खासी सतर्कता बरत रहा है। 

अभी यह भी देखना है कि डॉनल्ड ट्रंप शुल्क और आव्रजन के मोर्चे पर क्या रुख अपनाते हैं? परंतु वह अपने चुनावी वादों पर अड़े रहे तो फेडरल रिजर्व को आगे जाकर दर घटाने के बजाय बढ़ानी पड़ सकती हैं। किसी को भी 2025 में ऐसा होने का अंदेशा नहीं है, इसलिए बाजार के लिए यह बड़ा सदमा होगा।

दुनिया भर में बॉन्ड बाजार में उतार चढ़ाव है और विकसित बाजारों में राजकोषीय चुनौतियां साफ दिख रही हैं। इस समस्या को हल करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति भी नजर नहीं आ रही है। क्या बाजार 5 प्रतिशत के ऊपर बॉन्ड यील्ड झेल पाएंगे क्योंकि अब यील्ड वहां तक पहुंचना संभव लग रहा है। शेयरों की बात करें तो जो अमेरिकी अपवाद पर भरोसा करने वालों से उलटा दांव है। 

एक तरह से यह धारणा बन चुकी है कि अमेरिका हमेशा बेहतर प्रदर्शन करेगा और किसी भी दूसरे देश या क्षेत्र में निवेश करना समय की बरबादी है। इस पर सबकी रजामंदी भी साफ नजर आती है। आज कई सक्रिय निवेशक ऐसे हैं, जिन्होंने अमेरिका के कमजोर प्रदर्शन का दौर देखा ही नहीं है क्योंकि पिछले 16 साल से अमेरिकी शेयर बाकी सबसे ज्यादा रिटर्न देते रहे हैं। मगर हमेशा ऐसा नहीं रहा है। 

वैश्विक वित्तीय संकट के पहले तमाम क्षेत्रों का प्रदर्शन देख लीजिए। एक दूसरे की तुलना में मूल्यांकन, निवेशकों के निवेश और डॉलर की जरूरत से ज्यादा कीमत को देखते हुए मुझे दूसरों से अलग सोचना सही लग रहा है। कोई भी संपत्ति या क्षेत्र हमेशा औरों से बेहतर प्रतिफल नहीं दे सकता।

फिर भी दूसरे पक्ष पर विचार करना हमेशा समझदारी होती है। अमेरिका में तेजी की उम्मीद क्यों लगाई जा रही है? हम कहां गलत हो सकते हैं? अमेरिका से उम्मीद लगाए विश्लेषकों और टिप्पणीकारों की रिपोर्ट पढ़कर पता लगता है कि कई लोग मूल्यांकन से चिंतित नहीं हैं क्योंकि इसका कोई समय तय नहीं होता। कई बार बाजार पारंपरिक पैमानों पर सालों महंगे रह सकते हैं। 

डॉट कॉम बुलबुले के दौर में केप अनुपात आज के स्तर पर पहुंचने के बाद दो साल तक शेयर बाजार चढ़ते रहे थे। उस समय बाजार ने लगातार चार साल 20 फीसदी से अधिक प्रतिफल दिया था। हो सकता है कि फिर नया बुलबुला बनने का आपका अंदेशा सही हो फिर भी 2025 में बाजार दमदार प्रदर्शन कर सकते हैं। 

अमेरिका में अब भी केवल 2.1 फीसदी आर्थिक वृद्धि का अनुमान है मगर अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर है, जिसकी वजह से आंकड़े बढ़ सकते हैं। अमेरिकी वृद्धि हर्षमिश्रित अचंभा देती जा रही है। चकित करने वाली वृद्धि, बेहतर वित्तीय स्थिति और फेड की दरों में कटौती हमेशा ही वित्तीय संपत्तियों के लिए बहुत अच्छी बात रही है। ब्याज दरों में कटौती भी हमेशा से शेयर बाजारों के लिए अच्छी रही है।

कई लोग मानते हैं कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) में भारी भरकम निवेश बरबादी या बुलबुला नहीं है। पूंजीगत व्यय में इजाफे से कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा और उत्पादकता बढ़ेगी। अमेरिका में पहले ही 2 फीसदी से अधिक श्रम उत्पादकता है, जो किसी भी जी 7 देश से बहुत अधिक है। उत्पादकता अधिक होगी तो आर्थिक वृद्धि भी ज्यादा रहेगी, कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा मुद्रास्फीति घटेगी। 

एआई के क्षेत्र में अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है। चार अमेरिकी कंपनियां – अल्फाबेट, मेटा, एमेजॉन और माइक्रोसॉफ्ट – ही 2025 में एआई पर 240 अरब डॉलर से ज्यादा पूंजी खर्च करेंगी। इस मामले में कोई उनके आसपास भी नहीं फटकता। अगर एआई इंटरनेट की तरह भारी बदलाव लाने वाली तकनीक साबित होगी तो कौन जाने कि इस निवेश का कितना अच्छा असर होगा?

अमेरिका में न तो मंदी के और न ही अर्थव्यवस्था सुस्त होने के संकेत हैं। मंदी की आहट देने वाले प्रमुख संकेतक जैसे यील्ड कर्व (बॉन्ड यील्ड और परिपक्वता में बचे समय के बीच संबंध दर्शाने वाला) या साम रूल पिछले दो महीनों में उलटी चाल चल रहे हैं। मंदी या आर्थिक सुस्ती नहीं होने पर शेयर बाजार में बिकवाली मुश्किल से ही दिखती है। फेड अब भी दरें घटाने की सोच रहा है यानी बाजार में गिरावट की स्थिति नहीं है।

मुझे लगता है कि यहां से अमेरिकी शेयरों मे पैसा यही मानकर बनाया जा सकता है कि हम डॉट कॉम बुलबुले को दोहरा रहे हैं। खुदरा धारणा के मामले में हम कहां हैं, बाजार किस तरह कुछ ही शेयरों और तकनीकी शेयरों के बल पर चढ़ रहा है, उसका मूल्यांकन दूसरों के मुकाबले कैसा है, यह सब देखकर तो यही कहा जाएगा कि बाजार बहुत नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। यह सब देखकर अमेरिका से बाहर निवेश करना ही ठीक लग रहा है चाहे निवेश समितियों को समझाना कितना ही मुश्किल क्यों न हो। आप यह सोचकर अमेरिकी बाजार में निवेश बनाए रख सकते हैं कि गिरावट से ऐन पहले आप बाजार से निकल जाएंगे।