एमपी में कांग्रेस सेक्युलर और सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीतिक गेंद उछाल रही है. कांग्रेस के नेता सेक्युलर और हिंदुत्व के दोनों चेहरे दिखाकर चुनावी लाभ के कल्पना लोक में चक्कर लगा रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को ही हिंदुत्व का रण बना दिया है..!
कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व और बीजेपी के हिंदुत्व का परीक्षण छिंदवाड़ा की भूमि पर होने जा रहा है. शिवराज सिंह चौहान ने छिंदवाड़ा का भूगोल बदलने की घोषणा भी कर दी है. पांढुर्ना नया जिला बनाया जा रहा है. कमलनाथ अपनी हनुमान भक्ति और छिंदवाड़ा में बनाए गए हनुमान मंदिर को राज्य की राजनीति में कांग्रेस के हिंदुत्व के चेहरे के रूप में स्थापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे लेकिन शिवराज ने पांढुर्ना में हनुमान लोक के निर्माण की शुरुआत कर कांग्रेस के चुनावी हिंदुत्व को उसके गढ़ में ही बड़ी चुनौती दे दी है.
कुछ दिनों पहले ही कमलनाथ कह रहे थे कि छिंदवाड़ा देश का एकमात्र जिला है, जहां महापौर और जिले के सभी विधायक कांग्रेस के हैं. अब छिंदवाड़ा जिले को तोड़कर दूसरा जिला पांढुर्ना बनाने की घोषणा हो चुकी है. छिंदवाड़ा का भूगोल तो बदल दिया गया है अब देखना यह है कि छिंदवाड़ा का राजनीतिक इतिहास कितना बदलेगा?
पांढुर्ना लंबे समय से जिला बनने की आस लगाए हुए था. 40 साल से छिंदवाड़ा से सांसद और मुख्यमंत्री तक पहुंचे कमलनाथ ने कांग्रेस की सरकार में पांढुर्ना को जिला बनाने के बारे में विचार नहीं किया. जिले का भूगोल बदलने से शायद उन्हें राजनीतिक नुकसान होने का अनुमान होगा. इसीलिए पांढुर्ना को नया जिला बनाने के बारे में 10 साल की कांग्रेस सरकार और डेढ़ साल के अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में कमलनाथ ने नहीं सोचा.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांढुर्ना को जिला बना कर वहां के लोगों को तोहफा दिया है. यह राजनीतिक दांव कांग्रेस पार्टी के लिए जहां लंबे समय तक राजनीतिक घाव साबित होने की संभावना है वहीं सॉफ्ट हिंदुत्व की कमलचाल को भी उनके घर में ही कड़ी चुनौती से गुजरना होगा.
कमलनाथ का छिंदवाड़ा में राजनीति शुरू करना एक संयोग ही कहा जाएगा. कमलनाथ और छिंदवाड़ा को एक दूसरे के पर्याय के रूप में राजनीति में स्थापित होना भी कमलनाथ की राजनीतिक सफलता ही कहीं जाती है. राज्य की राजनीति में आने के पहले लगातार वहां से संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले कमलनाथ कुछ समय के लिए अपनी पत्नी अलका नाथ और फिर अपने बेटे नकुल नाथ को सांसद बनाने में सफल रहे हैं. छिंदवाड़ा के चुनाव परिणाम हर चुनाव में अलग दृश्य पेश करते रहे हैं.
कांग्रेस अभी कमलनाथ के गृह जिले में सभी विधानसभा सीटों पर काबिज है तो इसके पहले के चुनावों में बीजेपी ने भी अपनी दमदार उपस्थिति जिले में दर्ज की थी. राजनीतिक रूप से छिंदवाड़ा को कमलनाथ के लिए अजेय नहीं कहा जा सकता. सांसद के रूप में भी कमलनाथ यहाँ सुंदरलाल पटवा से चुनाव में पराजित हो चुके हैं. लंबे समय से छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व करने के कारण कमलनाथ के परिवार को भी एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ सकता है.
कमलनाथ को छिंदवाड़ा में ही घेरने का बीजेपी का प्लान सोची समझी रणनीति लगता है. पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भोपाल में कह चुके हैं कि इस बार मध्यप्रदेश में बीजेपी लोकसभा की सभी 29 सीटें जीतेगी. एक चैनल के कार्यक्रम में कमलनाथ द्वारा यह कहा जाना कि वे छिंदवाड़ा से अगला लोकसभा चुनाव लड़ना चाहेंगे कई राजनीतिक संकेत दे रहा है. अमित शाह छिंदवाड़ा जाकर कार्यकर्ताओं में जोश भर चुके हैं. अब शिवराज सिंह चौहान पांढुर्ना जिला बनाने की घोषणा कर रहे हैं. यह कोई संयोग नहीं है. यह कार्ययोजना के हिसाब से ही मोर्चे पर आगे बढ़ने की रणनीति दिखाई पड़ती है.
एमपी में कांग्रेस सेक्युलर और सॉफ्ट हिंदुत्व के राजनीतिक भंवर में गोते लगा रही है. दोनों हाथ में लड्डू की कमलचाल कहीं खाली हाथ ना न रह जाए. सॉफ्ट हिंदुत्व की चाल से जहां मुस्लिम नाराज हो रहे हैं वहीं हिंदुत्व के खिलाफ मुसलमानों की कट्टर प्रतिक्रिया पर कांग्रेस की चुप्पी से हिंदुओं में भी नाराजगी बढ़ रही है.
हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक एकीकरण आज आसमान छू रहा है. मिशन चंद्रयान ने नेशनलिज्म को चाँद पर पहुंचा दिया है तो धार्मिक तीर्थ स्थलों पर देव लोक का भव्य निर्माण जनमानस को प्रभावित कर रहा है. कमलनाथ महाकाल लोक में जाकर महाकाल से अर्जी लगाते हैं. अब तो छिंदवाड़ा में ही हनुमान लोक का निर्माण होने जा रहा है. कमलनाथ हमेशा छिंदवाड़ा में हनुमान मंदिर के निर्माण को अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में राजनीति में पेश करते हैं. अब जब सरकार 314 करोड़ की लागत से पांढुर्ना में हनुमान लोक बनाने जा रही है तो कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान की हनुमान भक्ति की राजनीतिक परीक्षा होना स्वाभाविक है.
कांग्रेस के एक बड़े नेता मणिशंकर अय्यर पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहराव को हिंदूवादी और भाजपा का प्रधानमंत्री कह रहे हैं. कांग्रेस में विचारधारा की टकराहट साफ-साफ देखी जा रही है. कमलनाथ हिंदुत्व की विचारधारा को लीड कर रहे हैं तो कांग्रेस के दूसरे नेता अपने सेक्युलर चेहरे को राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग कर रहे हैं. हिंदुत्व बीजेपी का ही राजनीतिक यान है. इस यान पर कांग्रेस का झंडा टांगने की कोशिश नकल ही मानी जाएगी. असल और नकल में अगर चुनना होगा तो भारतीय बुद्धिमत्ता असल को पहचानने में कभी भी कोई गलती नहीं करती.