प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं विचारक रुडोल्फ ज्ञान डी मैलो के अनुसार ‘बेरोजगारी वह परिस्थिति है, जिसमें एक व्यक्ति इच्छा होने के बावजूद वैतनिक व्यवसाय की स्थिति में नहीं होता है’..!!
बीते जून 2024 में भारत की बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत रही। भारत में आज भी बेरोजगारी चिंता का विषय बनी हुई है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं विचारक रुडोल्फ ज्ञान डी मैलो के अनुसार ‘बेरोजगारी वह परिस्थिति है, जिसमें एक व्यक्ति इच्छा होने के बावजूद वैतनिक व्यवसाय की स्थिति में नहीं होता है।’ देखा जाए तो ऐसी परिस्थितियों से हममें से अधिकतर लोग अपने-अपने जीवन में कभी न कभी अवश्य गुजरे होते हैं। वहीं अनेक लोगों के जीवन में तो हमेशा ही ऐसी ही स्थितियां बनी रहती हैं, अर्थात लोग जीवनभर बेरोजगार ही बने रहकर किसी प्रकार खिंच-तीरकर अपने जीवन की गााड़ी को ढोते रहते हैं।
यूँ तो देश की अर्थव्यवस्था पहले के मुकाबले आज बहुत अच्छी स्थिति में पहुंच चुकी है, किंतु रोजगार के मामले में हम आज भी फिसड्डी बने हुए हैं।बेरोजगारी के वास्तविक स्वरूप को समझने के लिए जुलाई 2024 में गुजरात में घटी उस घटना का स्मरण करना चाहिए, जिसे घटे अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं। गौरतलब है कि उस घटना में एक कंपनी द्वारा उसके 10 पदों के लिए नौकरी का एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ था।
बता दें कि उन 10 पदों को भरने के लिए तब गुजरात की एक निजी इंजीनियरिंग कंपनी द्वारा निर्धारित स्थल (अंकलेश्वर के लॉड्र्स प्लाजा होटल) में, जहां उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया जाना था, कुल 1800 युवाओं की भीड़ एकत्र गई थी। इतना ही नहीं, लोगों ने होटल के भीतर घुसने के लिए जमकर धक्का-मुक्की भी की। मात्र 10 पदों को भरने के लिए वहां पहुंचे लोगों की भीड़ इतनी घनी थी कि उसने स्टील की रेलिंग को धक्का देकर तोड़ दिया। तब कई लोग रेलिंग के साथ ही नीचे गिरे भी थे। हालांकि उस दर्घटना में किसी की मृत्यु तो नहीं हुई, लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं कि वह घटना छोटी थी। गौर करें तो यह घटना वास्तव में इस बात का प्रतीक है कि 140 करोड़ आबादी वाला भारत आज एक अत्यंत भयावह आपदा के मुहाने पर खड़ा है और वह है बेरोजगारी की आपदा।
केवल 10 पदों पर नियुक्ति के लिए 1800 युवाओं की भीड़ का एकत्र होना तथा ‘पहले हम-पहले हम’ वाली स्थिति का उत्पन्न होना युवाओं की कितनी भयावह मन:स्थिति को दर्शाता है, जबकि सभी को मालूम है कि केवल 10 ही लोग वहां चयनित किए जाने हैं। ऐसी ही एक अन्य घटना में चपरासी के लिए निकली सरकारी नौकरी की भर्ती में स्नातक एवं स्नातकोश्रर उत्तीर्ण और वह भी निर्धारित पद-संख्या के मुकाबले कई-कई गुना अधिक अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था, जो यह बताने के लिए काफी है कि देश में आज बेरोजगारी एक अभिशाप का रूप ले चुकी है।
दूसरी वाली घटना, पहली वाली गुजरात की घटना से भी कहीं अधिक भयावह प्रतीत होती है। जरा सोचिए कि देश में युवाओं की मनोदशा कैसी होती जा रही है, कि स्नातक एवं स्नातकोत्तर उत्तीर्ण अभ्यर्थी अपने जीवन की दशा सुधारने के लिए चपरासी तक बनने के लिए तैयार हो चुके हैं। यहां पर गौर करने की बात यह है कि किसी भी व्यक्ति के लिए चपरासी होना कोई बुरी बात नहीं होनी चाहिए, परंतु यह भी सौ प्रतिशत सत्य है कि जब कभी कोई युवा उच्च तथा उच्चत्तर शिक्षा प्राप्त करता है तो वह यह तो कदापि नहीं सोचता कि अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी करने के बाद वह चपरासी की नौकरी करेगा।
ये परिस्थितियां यह साबित करती हैं कि भारत में बेरोजगारी अब बीमारी या कहा जाए कि महामारी का रूप ले चुकी है, जिसे नियंत्रित करने अथवा रोकने के लिए आवश्यक ‘वैक्सीन’ के निर्माण में हमारी तमाम राज्यों एवं केंद्र की सरकारें अब तक असफल ही रही हैं। गौरतलब है कि थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग दि इंडियन इकोनॉमी’ ने बताया है कि जून 2024 में भारत की बेरोजगारी दर 9.2 प्रतिशत थी। यह आंकड़ा इस मुद्दे की गहराई को उजागर करता है।