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महाकाल के नगर से तय, सत्ता की डगर

सार

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत से मध्यप्रदेश में सरकार बना रही है. न्यूज़ पुराण ने चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ होने से पहले ही उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ के मिथक के आधार पर बता दिया था कि प्रदेश में फिर भाजपा सरकार बनने जा रही है. साथ ही उज्जैन में महाकाल लोक की एक तस्वीर के साथ प्रदेश के सियासी भविष्य को लेकर बड़ा संकेत भी दिया था. पढ़िए यह आलेख..!!

janmat

विस्तार

एमपी विधानसभा चुनाव में अगली सरकार के गठन के लिए कांग्रेस को विजेता बनाने वाले सभी सर्वे और सोच का हारना सुनिश्चित लग रहा है. महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ के ग्रह नक्षत्र और सितारे यही बता रहे हैं कि मध्यप्रदेश में अगली सरकार बीजेपी की ही बनेगी.

वर्ष 1992 के बाद से अब तक संपन्न हुए सभी सिंहस्थ महापर्व आयोजन के इतिहास और मिथक पर यदि भरोसा किया जाए तो एमपी में अगली सरकार बीजेपी की बनना लगभग सुनिश्चित है. हर सिंहस्थ का आयोजन बीजेपी सरकार में बीजेपी के मुख्यमंत्री की लीडरशिप में ही संपन्न हुआ है. पिछले तीन सिंहस्थ से चली आ रही यह परंपरा अगले सिंहस्थ में भी जारी रह सकती है.

अगला सिंहस्थ अप्रैल मई 2028 में आयोजित होगा. सिंहस्थ के साथ एक और मिथक जुड़ा हुआ है कि जिस भी मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सिंहस्थ का आयोजन हुआ है उसको सिंहस्थ के बाद पद से हटना पड़ा है. पिछले 2018 के चुनाव में भी यह परंपरा जारी रही थी.

नवंबर में प्रस्तावित चुनाव में गठित सरकार प्रदेश में नवंबर 2028 तक काम करेगी. अगला चुनाव फिर नवम्बर 2028 में होगा. इस बीच अप्रैल मई 2028 में सिंहस्थ का आयोजन होगा. सिंहस्थ से जुड़े मिथक पर विश्वास किया जाए तो एमपी में अगली सरकार बीजेपी की बनेगी और बीजेपी के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ही 2028 का सिंहस्थ आयोजित किया जाएगा.

सिंहस्थ से जुड़े पिछले इतिहास को देखा जाए तो 2028 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार के गठन का रास्ता साफ हो सकता है. एमपी बीजेपी में जो भी अगला मुख्यमंत्री बनेगा वह सिंहस्थ के आयोजन का दायित्व तो निभाएगा लेकिन सिंहस्थ के बाद होने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री और सरकार को हटना होगा.

एमपी में एंटीइनकम्बेंसी के कारण पिछड़ रही भाजपा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की दूसरी सूची आने के बाद अचानक परसेप्शन में कांग्रेस से आगे निकलती दिखाई पड़ रही है. केंद्रीय मंत्रियों सांसदों और दूसरे दिग्गज नेताओं को चुनाव में उतारने के चौंकाने वाले अप्रत्याशित निर्णय शायद डेस्टिनी के वशीभूत ही हो रहे हैं. महाकाल की कृपा और सिंहस्थ के ग्रह नक्षत्र चुनावी नतीजे को अपने अनुकूल करने के लिए अप्रत्याशित निर्णय के लिए बीजेपी को मजबूर कर रहे हैं.

महाकाल लोक के निर्माण के बाद आध्यात्मिक नगरी उज्जैन में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. उज्जैन के विकास में महाकाल लोक के बाद अचानक तेजी आई है. मालवा और निमाड़ अंचल में महाकाल लोक के निर्माण का भी बीजेपी को फायदा होने की पूरी संभावना है. बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय के चुनाव मैदान में उतरने के बाद इस अंचल में भाजपा कार्यकर्ताओं में देखा जा रहा उत्साह निश्चित ही बीजेपी को बड़ी जीत दिलाने में मददगार हो सकता है.

कांग्रेस के साथ यह जुड़ा हुआ है कि 1980 के बाद जब भी राज्य में सिंहस्थ का आयोजन हुआ है तब कांग्रेस सरकार में नहीं थी. 2016 में सिंहस्थ के आयोजन के बाद सिंहस्थ से जुड़े मिथक चर्चा में आए थे. इसका कांग्रेस ने भी खूब प्रयोग किया था. सिंहस्थ के मिथक के आधार पर कांग्रेस ने अपनी जीत का दावा किया था जो चुनाव परिणाम में सही साबित हुआ. उस समय भाजपा जरूर सिंहस्थ के मिथक को मानने से इनकार कर रही थी लेकिन चुनाव परिणामों ने सिंहस्थ से जुड़े मिथक के इतिहास को कायम रखा.

सिंहस्थ कराने वाले मुख्यमंत्री के साथ तो पद से हटने का मिथक 1968 से जुड़ा हुआ है. 1968 के सिंहस्थ के समय गोविंद नारायण सिंह मुख्यमंत्री थे. करीब 11 महीने बाद 12 मार्च 1969 को उन्हें इंदिरा और नेहरू कांग्रेस की उलझन के चलते पद छोड़ना पड़ा. सिंहस्थ 1980 की पूरी तैयारी जनता पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में की गई थी. अप्रैल में सिंहस्थ हुआ था. उस समय राष्ट्रपति शासन लागू था.

1992 अप्रैल मई में जब सिंहस्थ हुआ तो सुंदरलाल पटवा सीएम थे. 7 महीने बाद बावरी मस्जिद ढहाने पर केंद्र ने प्रदेश सरकार बर्खास्त कर दी जिससे उनकी कुर्सी चली गई थी. सिंहस्थ 2004 के समय अप्रैल मई में उमा भारती मुख्यमंत्री थीं. हुबली के फ़ैसले के बाद 22 अगस्त 2004 में उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था. सिंहस्थ 2016 अप्रैल मई में शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में हुआ. डेढ़ साल बाद हुए विधानसभा के चुनाव में पराजित होकर उन्हें पद छोड़ना पड़ा.

महाकाल की नगरी में महाकाल लोक के लोकार्पण के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब उज्जैन आए थे तब महाकाल के दर्शन के लिए जाते समय मंदिर प्रांगण में उनके साथ राज्य के दो चेहरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चल रहे थे.

एमपी में बीजेपी ने बिना किसी चेहरे के सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने का निर्णय लिया है. महाकाल मंदिर में पीएम मोदी के साथ चल रहे दोनों चेहरों में मध्यप्रदेश के भविष्य के मायने छुपे हुए हैं. सिंहस्थ महापर्व की सफलता के ग्रह नक्षत्र भी महाकाल लोक के लोकार्पण समारोह में तलाशे जा सकते हैं.