अंबेडकर की विरासत पर कांग्रेस का दावा लगातार कमजोर होता जा रहा है. अंबेडकर और संविधान पर कांग्रेस का एजेंडा बीजेपी के लिए अच्छी डील दिखाई पड़ रही है. अंबेडकर के अपमान का वर्तमान कांग्रेस के अतीत के अपमानों के सामने तो कुछ भी नहीं है..!!
दलित राजनीति में अंबेडकर की विचारधारा निर्णायक भूमिका निभाती है. इस राजनीति पर कभी कांग्रेस का एकाधिकार हुआ करता था. पहले उसे बीएसपी जैसे क्षेत्रीय दलों ने तोड़ा. फिर भाजपा ने दलित राजनीति पर अपना दावा मजबूत किया. दलितों का बहुमत अभी भी बीजेपी के साथ भले ही ना हो, लेकिन दलितों के समर्थन का प्रतिशत उनके साथ लगातार बढ़ रहा है.
किसी विरासत पर नाम लेकर दावा उतना कारगर नहीं होता, जितना विरासत को अपने काम के जरिए जनविश्वास की कसौटी पर पहुंचाना महत्वपूर्ण होता है. ओबीसी और ट्राइबल पॉलिटिक्स दलित राजनीति से अलग चलती है. संसद में अंबेडकर के अपमान को बीजेपी के खिलाफ़ एजेंडा बनाने की राहुल गांधी की रणनीति कांग्रेस पार्टी पर ही भारी पड़ती दिखाई पड़ रही है.
कांग्रेस द्वारा अंबेडकर के अपमान में इतिहास में जो घटनाएं की गई थीं, वह देश को आज स्मरण नहीं थीं, लेकिन इस एजेंडे के कारण एक बार यह सारी घटनाएं फिर से उभरकर सामने आ रही हैं.
कांग्रेस राम जन्मभूमि आंदोलन में जिस तरह से बीजेपी के ट्रैप में फंसी थी, उसी तरीके से अंबेडकर की विरासत पर भी फंस गई लगती है. अंबेडकर द्वारा नेहरू कैबिनेट से इस्तीफे के पत्र में जिस ढंग की बातें अंबेडकर ने स्वयं कही थीं, वह कांग्रेस के भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं.
राहुल गांधी को अंबेडकर के अपमान के कांग्रेस के इतिहास को विस्मृत करने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन वह इसको एजेंडा बनाकर अपनी पार्टी और नेताओं के इतिहास को ही उजागर करने का हिस्सा बन गए हैं.
बाबा साहब को कांग्रेस द्वारा चुनाव हराने की बात जैसे-जैसे जन मानस में पुनः स्थापित होगी, तो इसका कांग्रेस कोनुकसान ही होगा. बाबा साहब के पंच तीर्थ का विकास भाजपा सरकारों ने किया. इस काम से उन्हें फायदा भी मिला, लेकिन पंच तीर्थ पर कांग्रेस का नकारात्मक रवैया भी बीजेपी स्थापित कर रही है.
पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में बाबा साहब अंबेडकर के चित्र भी कांग्रेस की सरकार नहीं लगा पाई. बाबा साहब का अंतिम संस्कार भी राजधानी दिल्ली में नहीं हो पाया. इसके लिए भी कांग्रेस के जिम्मेदार होने का इतिहास एक बार फिर लोगों के सामने उभर कर आएगा. पंडित जवाहरलाल नेहरू के पत्रों के हवाले से भी डॉक्टर अंबेडकर के अपमान के उदाहरण भाजपा द्वारा उभारे जा रहे हैं.
बीजेपी ने जब मंदिर वहीं बनाएंगे कहकर राम जन्मभूमि आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाया, तब भी कांग्रेस हिंदुओं के अपमान का ही मामला उठाती रही. यही सवाल करती रही, कि मंदिर बनाने की तारीख नहीं बताएंगे, जन्मभूमि का ताला खुलवाने का क्रेडिट राजीव गांधी लेते रहे, लेकिन राम मंदिर का श्रेय बीजेपी के खाते में दर्ज हुआ. इस काम का उन्हें राजनीतिक लाभ भी मिला.
भाजपा अपनी बात और एजेंडा जिस ताकत के साथ पब्लिक में पहुंचाती है. कांग्रेस उसका कभी भी मुकाबला नहीं कर पाई. डॉ. आंबेडकर के अपमान के इतिहास पर भी राहुल गांधी ने वही गलती की है, जो राजीव गांधी ने राम मंदिर आंदोलन के समय की थी.
शिक्षा का विकास और कांग्रेस का पतन एक सिक्के के दो पहलू जैसे हैं. जब लोग अशिक्षित थे, तब कांग्रेस को सत्ता मिलती थी, जैसे-जैसे शिक्षा का प्रतिशत बढ़ा, वैसे-वैसे कांग्रेस की सत्ता का प्रतिशत घटा. कांग्रेस की ऐतिहासिक भूलों को सुधारने की कोशिश ही बीजेपी की राजनीति में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं.
चाहे 370 हटाने का मामला हो, चाहे तीन तलाक खत्म करने का मामला हो, चाहे राम मंदिर का निर्माण हो, यह सब भारतीयता की विरासत है. इस विरासत को कांग्रेस ने नहीं सहेजा. इन पर केवल राजनीति करते रहे. इसी प्रकार की राजनीति अंबेडकर के अपमान पर भी कर रहे हैं.
अंबेडकर का अपमान कांग्रेस का इतिहास रहा है. इसी इतिहास को एक बार फिर बीजेपी उजागर करेगी और अंबेडकर की विरासत हासिल करने के कांग्रेस के प्रयासों को धूल धूसरित कर देगी.
डॉक्टर अंबेडकर का जन्म स्थान मध्य प्रदेश है, लेकिन उनकी कर्मभूमि और आस्था भूमि महाराष्ट्र मानी जाती है. डॉ. अंबेडकर ने कांग्रेस को दलित विरोधी बताते हुए, कहा था, कि कांग्रेस के साथ दलितों का जुड़ना, आत्महत्या जैसे है.
यह नहीं कहा जा सकता कि राहुल गांधी के अंबेडकर के अपमान के एजेंडे के कारण, इतिहास में कांग्रेस द्वारा बाबा साहब के साथ किए गए अपमानजनक बातें और घटनाएं एक बार फिर अपने आप उभर रही हैं, या इनके पीछे बीजेपी का इकोसिस्टम काम कर रहा है.
महाराष्ट्र में अभी हाल ही में चुनाव परिणाम में कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच चुकी है. महाराष्ट्र में अंबेडकर की आस्था रखने वाले बहुतायत में हैं. वहां भी संविधान लहराया गया था. वहां भी अंबेडकर की विरासत का दावा किया गया था.
कोई भी वह लड़ाई कभी नहीं जीत सकता, जिसमें उसके दुश्मन खुद अपने हों. अंबेडकर की विरासत पर कांग्रेस के दावे में उनके नेताओं के कृत्य ही दुश्मन बने हुए हैं. जो कमजोरी है, उसको छुपाना चाहिए, लेकिन राहुल गांधी तो हर वही चीज कर रहे हैं, जो कांग्रेस की विरासत की नकारात्मकता को ही उजागर कर रही है.
संविधान बदलने और अंबेडकर के अपमान के राहुल गांधी के एजेंडे से कांग्रेस को लाभ होगा या नहीं होगा, लेकिन इससे अंबेडकर और कांग्रेस का इतिहास जरूर सामने आएगा. मजाक में ही सही बीजेपी के नेता राहुल गांधी को अपनी पार्टी के लिए स्टार केंपेनर मानते हैं. अंबेडकर की विरासत का उनका एजेंडा भी बीजेपी के लिए बिग डील साबित हो, तो आश्चर्य नहीं होगा.